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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी वारदात में नहीं सड़क हादसों में होती है अधिक मौत

निजी वाहन चालक अधिक यात्रियों को सवार करने के चक्कर में ओवरलोडिंग करते है, जो सड़क हादसों का बड़ा कारण है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 10:45 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 10:45 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी वारदात में नहीं सड़क हादसों में होती है अधिक मौत
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी वारदात में नहीं सड़क हादसों में होती है अधिक मौत

जम्मू, दिनेश महाजन। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी वारदात के मुकाबले सड़क हादसों में अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। गत वर्ष 2018 में 908 लोग सड़क हादसों में काल का ग्रास बने। जबकि आतंकी वारदातों में 500 लोग मारे गए। राज्य में कई ऐसे जिले है, जिनमें सड़क ढांचा पर्याप्त ना होने से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। इसमें ओवर लोडिंग भी एक बड़ा कारण है।

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स्टेट ट्रासपोर्ट सलाहकार कमेटी और राज्य विधानसभा की तरफ से गठित हाउस कमेटी ने तेज और लापरवाही से वाहन चलाने के कारण अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं होती है। राज्य की सड़कों की बदहाली भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। राज्य में जब तक अच्छी और चौड़ी सड़कें नहीं बन जाती तब तक ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है। राज्य में सड़कों का विस्तार तो नहीं हो पाया है लेकिन वाहनों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। राज्य में अब कुल वाहनों की संख्या 15 लाख से अधिक हो लेकिन सड़क प्रबंधन प्रणाली की रफ्तार बढ़ते वाहनों की संख्या के साथ कदम नहीं मिला सकी।

संभाग के पांच जिलों में होते है सबसे घातक सड़क हादसे

जम्मू संभाग के पहाड़ी जिले डोडा, किश्तवाड़, रामबन, रियासी, पुंछ व राजौरी में जर्जर सड़कों, ओवरलोडिंग से सब से अधिक सड़क हादसे होते है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के मुकाबले सड़क हादसों में अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है, क्योंकि पिछले पांच वर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर में हर वर्ष करीब पांच सौ लोग आतंकवादी वारदातों में मारे गए हैं। जबकि सड़क हादसों में प्रति वर्ष करीब मरने वालों की संख्या हजारों में है। स्टेट ट्रासपोर्ट सलाहकार कमेटी ने अपनी सिफारिश में इन जिलों में स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट विभाग के अतिरिक्त वाहनों को चलाने की बात कहीं थी, ताकि ओवरलोडिंग पर अंकुश लग पाए। निजी वाहन चालक अधिक यात्रियों को सवार करने के चक्कर में ओवरलोडिंग करते है, जो सड़क हादसों का बड़ा कारण है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बेहतर प्रबंधन और यातायात नियमों का सख्ती से पालन होना अनिवार्य

आईजीपी ट्रैफिक पुलिस अलोक कुमार का कहाकि बेहतर प्रबंधन और यातायात नियमों को कड़ाई से लागू करने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है। राज्य में सड़क दुर्घटनाओं से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफे का कारण यह भी है कि यहां कोई ट्रामा सेंटर नहीं है, जहां आपात स्थिति में मरीजों को लाया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके।

वर्ष       सड़क हादसें    घायल    मृतकों की संख्या

2010   6120           8655    1073

2011   6644           10108  1120

2012   6709           9776    1165

2013   6469           8681    990

2014   5861           8043    992

2015   4638           6076    688

2016   5501           7677    958

2017   5624           7419    926

2018   5529           7250    908

(इस वर्ष के आंकड़े जनवरी से नवंबर तक है)


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