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जम्मू कश्मीर में जड़ी-बूटियां हैं हजार, पर नहीं भा रहा इलाज, करीब दो फीसद लोग भी नहीं कराते आयूष से इलाज

नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन के 75वें राउंड के आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर में सिर्फ 1.7 फीसद लोग ही आयूष से इलाज करवाते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 11:24 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 11:24 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में जड़ी-बूटियां हैं हजार, पर नहीं भा रहा इलाज, करीब दो फीसद लोग भी नहीं कराते आयूष से इलाज
जम्मू कश्मीर में जड़ी-बूटियां हैं हजार, पर नहीं भा रहा इलाज, करीब दो फीसद लोग भी नहीं कराते आयूष से इलाज

जम्मू, रोहित जंडियाल। राज्य में जड़ी-बूटियों की भरमार है। इसके बावजूद दो फीसद लोग भी आयूष (आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, योग, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी) के तहत इलाज नहीं करवाते हैं। यहां के लोग अभी भी एलोपैथी पर ही विश्वास करते हैं। यह सब उस समय है, जब देश के अन्य भागों की तरह यहां भी आयूष का प्रचार है। नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन के 75वें राउंड के आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर में सिर्फ 1.7 फीसद लोग ही आयूष से इलाज करवाते हैं। इनमें भी महिलाओं की संख्या कम है। 1.9 फीसद पुरुष और 1.6 फीसद महिलाएं इस पद्धति से इलाज करवाती हैं। यह राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। राष्ट्रीय औसतन 4.4 फीसद लोग आयूष से इलाज करवाते हैं। यह उस समय का सर्वे है, जब जम्मू कश्मीर पूर्ण राज्य था और इसमें लद्दाख भी शामिल था। उस समय कुल 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू कश्मीर आयूष से इलाज करवाने में 26वें स्थान पर है।

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कर्नाटक व मेघालय में 10.2 फीसद लोग आयूष से करवाते हैं इलाज

देश में पहले स्थान पर कर्नाटक और मेघालय है, जहां 10.2 फीसद लोग आयूष के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों से इलाज करवाते हैं। दूसरे स्थान पर अरुणाचल प्रदेश है, जहां 9.9 फीसद लोग और तीसरे स्थान पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह है जहां 9.2 फीसद लोग आयूष से इलाज करवाते हैं।

जम्मू कश्मीर में 98.3 फीसद लोग एलोपैथी से करवाते हैं इलाज

सर्वे के अनुसार जम्मू कश्मीर में 98.3 फीसद लोग एलोपैथी से ही इलाज करवाते हैं। यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर 95.4 फीसद लोग एलोपैथी से इलाज करवाते हैं। देश में जम्मू कश्मीर एलोपैथी से इलाज करवाने के मामले में सातवें स्थान पर है। पहले स्थान पर दादर नगर हवेली और दमन द्वीप है। इनमें शत-प्रतिशत लोग एलोपैथी पर निर्भर हैं। दूसरे स्थान पर त्रिपुरा व गोवा 99.6 फीसद और तीसरे स्थान पर तेलंगाना है, जहां 99 फीसद लोग एलोपैथी से इलाज करवाते हैं।

जम्मू कश्मीर में 1962 में खुला था आयुर्वेद अस्पताल

जम्मू कश्मीर में आयुर्वेद का पहला अस्पताल वर्ष 1962 में खुला था। साथ में आयुर्वेद कॉलेज भी खुला था, लेकिन राजनीति के चलते इस कॉलेज को वर्ष 1981 में बंद कर दिया गया और आयुर्वेद अस्पताल 58 साल बाद भी अपग्रेड नहीं हुआ। दो साल पहले फिर से आयुर्वेद कॉलेज खोला गया और सौ बिस्तरों की क्षमता वाला आयुर्वेद अस्पताल भी बनाया गया, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह काम नहीं कर रहा है। 40 से अधिक डिस्पेंसरियां ऐसी हैं, जो सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे चल रही हैं।

राज्य में आयुर्वेद व यूनानी की चार सौ से अधिक डिस्पेंसरियां

जम्मू कश्मीर में आयुर्वेद और यूनानी की चार सौ से अधिक डिस्पेंसरियां हैं। इस कारण भी आयुर्वेद पद्धति पर मरीज विश्वास नहीं कर पाए। यही स्थिति यूनानी को लेकर है। होम्योपैथी का हाल ऐसा है कि अभी तक एक कॉलेज नहीं है। कॉलेज खुलने की तैयारी हो रही है, लेकिन अभी भी इस पद्धति के डॉक्टर बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहे हैं।

सही नहीं है आंकड़ाः आयुर्वेद विभाग में करीब 35 साल तक अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. महेश शर्मा का कहना है कि यह आंकड़ा सही नहीं है। इस समय एलोपैथी अस्पतालों में भी आयुर्वेद डॉक्टर काम कर रहे हैं। उनसे जो मरीज जांच करवाने के लिए आते हैं, उन्हें भी एलोपैथी में ही गिना जाता है। इसलिए इस संख्या को सही नहीं माना जाता। हालांकि उनका कहना है कि आयुर्वेद में ढांचागत सुविधाओं की कमी है।


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