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एक साल से बंद पड़ी अहम '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' को समझौते का इंतजार

कांट्रेक्ट खत्म होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर कंपनी यह सेवा उपलब्ध करवा रही थी। मगर कंपनी के जाने के बाद अभी तक यह सेवा बंद पड़ी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 11:53 AM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 11:53 AM (IST)
एक साल से बंद पड़ी अहम '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' को समझौते का इंतजार
एक साल से बंद पड़ी अहम '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' को समझौते का इंतजार

जम्मू, रोहित जंडियाल। करीब एक साल से राज्य में बंद पड़ी '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' अभी भी शुरू होने के अासार नजर नहीं आ रहे हैं। कंपनी को टेंडर मिलने के बाद भी मामला फंड्स को लेकर अटका हुआ है। इस कारण कंपनी और विभाग के बीच अभी तक समझौता नहीं हो पाया है।

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राज्य में '102 एंबुलेंस सेवा' पहले हिमाचल प्रदेश की कंपनी मैसर्स एस्टीम इंडस्ट्रीज उपलब्ध करवाती थी। इस कंपनी को दिसंबर 2016 तक यह सेवा उपलब्ध करवाने का टेंडर था। कांट्रेक्ट खत्म होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर कंपनी यह सेवा उपलब्ध करवा रही थी। मगर कंपनी के जाने के बाद अभी तक यह सेवा बंद पड़ी है। इस सेवा को शुरू करने के लिए प्रयास तो हुए लेकिन कई बार टेंडर करने के बाद भी कंपनियां टेंडर भरने को आगे नहीं आई। कुछ महीने पूर्व हुए टेंडर में मैसर्स बीवीजी इंडिया लिमिटेड के नाम को अंतिम रूप दिया गया। सेवा शुरू करने के लिए मिशन निदेशक जम्मू कश्मीर भूपेंद्र कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई।

इस कमेटी की बैठक में मैसर्स बीवीजी लिमिटेड के पदाधिकारियों ने पूरी सेवाएं देने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी। इसमें यह तय हुआ कि कंपनी को यह सेवाएं देने के लिए 31 जनवरी को कंपनी और विभाग के बीच आपसी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे। यही नहीं कंपनी एक फरवरी के बाद शेड्यूल बनाना शुरू कर देगी। 28 अप्रैल तक कंपनी '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' पूरी तरह से शुरू कर देगी। परंतु सूत्रों का कहना है कि अभी तक कंपनी के साथ फंड्स की कमी के चलते एमओयू ही साइन नहीं हो पाया है। इसलिए तय समय सीमा में अब यह सेवाएं शुरू नहीं होने की उम्मीद ही कम है। स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डा. समीर मट्टू ने हालांकि दोनो सेवाएं जल्दी ही शुरू होने की बात कही है। उनका कहना है कि एम्बुलेंसों में जरूरी सामान फिट किया जा रहा है।

यह सेवाएं देती हैं 102 : जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों और उनकी मां को चौबीस घंटे कभी भी जरूरत पड़े तो इस सेवा का इस्तेमाल होता है। जम्मू कश्मीर में 108 आपात एंबुलेंस सेवा लागू न होने के कारण यहां पर हर प्रकार की एंबुलेंस सेवा को इसी नंबर के साथ जोड़ा गया था।

108 सेवा है ही नहीं : राज्य में आपातकालीन एंबुलेंस सेवा 108 आज तक शुरू ही नहीं हो पाई है। इस कारण पहले सभी एंबुलेंस को 102 के साथ ही जोड़ा गया था। सरकार ने कई बार 108 सेवा शुरू करने की घोषणा की।

कुल 436 एंबुलेंस चलाने की योजना : '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' के साथ कुल 436 एंबुलेंस चलाने की योजना है। इनमें पचास एडवांस लाइफ स्पोर्ट सिस्टम वाली होंगी जबकि 66 बेसिक लाइफ स्पोर्ट और 300 अन्य एंबुलेंस होगीी जिनमें जीपीएस फिट होगा। पचास एंबुलेंस मिशन निदेशक कंपनी को देंगे जबिक 33-33 स्वासथ्य निदेशक जम्मू और श्रीनगर देंगे।

एक साल से खड़ी है एंबुलेंस : राज्य में एक ओर '102 और 108 एंबुलेंस सेवा' बंद पड़ी हुई है। वहीं पचास के करीब एंबुलेंस मिशन निदेशक जम्मू कश्मीर के कार्यालय व स्वास्थ्य विभाग के ट्रांसपोर्ट यार्ड में पड़ी हुई हैं। इन एंबुलेंस को परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाइवे एक्सीडेंट रिलीफ सर्विस स्कीम के तहत जम्मू कश्मीर में करीब दो साल पहले भेजा था। कुल 136 एम्बुलेंस भेजी गई थी। एमएलसी रमेश अरोड़ा द्वारा मुद्दा उठाए जाने पर इसमें से अस्सी एंबुलेंस तो अस्पतालों को दे दी गई थी। परंतु शेष अभी भी पहले की तरह ही खड़ी हैं।


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