Jammu And Kashmir: इल्तिजा का हमला - मुझे नहीं मालूम, पिता का लाड़ला होना भी अपराध
मां महबूबा के ट्विटर हैंडल को संचालित कर रही इल्तिजा ने अपनी मां के पीएसए डोजियर पर ट्वीट करते हुए लिखा कि निस्संदेह वह (महबूबा मुफ्ती) अपने पिता को बहुत प्यार करती थी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने मां पर पीएसए के लिए डैडिज गर्ल (पिता की लाडली) को आधार बनाए जाने पर रोष जताते हुए कहा है कि मुझे नहीं मालूम कि मां-बाप को प्यार करना या उनका लाडला होना भी अपराध है।
सितंबर 2019 से अपनी मां महबूबा के ट्विटर हैंडल को संचालित कर रही इल्तिजा ने अपनी मां के पीएसए डोजियर पर ट्वीट करते हुए लिखा कि निस्संदेह वह (महबूबा मुफ्ती) अपने पिता को बहुत प्यार करती थी। वह उन्हें अपना आदर्श और नेता मानती हैं। उन दोनों के बीच अटूट संबंध और विश्वास था।
यही कारण है कि उसने मुफ्ती साहब के असमय निधन के बाद भी उनके वादे को निभाते हुए भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई। मै नहीं जानती कि मां-बाप को प्यार करना भी अपराध हो सकता है।इल्तिजा ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि मेरी मां ने उस समय सियासत में कदम रखा जब सभी यह कह रहे थे मुफ्ती साहब का सियासी कैरियर समाप्त हो चुका है।
दोनों ने मिलकर बहुत मेहनत की और पीडीपी को एक मजबूत क्षेत्रीय दल और ताकत बनाया। उसने आगे लिखा है कि ऐसे राष्ट्र में जहां श्रवण कुमार की माता-पिता के प्रति अगाध श्रद्धा की कहानियां बच्चों को सुनाई जाती हैं, वहां सरकार द्वारा पिता की लाडली बेटी होने को एक अपराध बनाना निंदाजनक और शर्मनाक है।
कश्मीर बंद का जनजीवन पर रहा आंशिक असर
कश्मीर में मंगलवार को बंद और हड़ताल के चलते सामान्य जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित रहा। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। एहतियात के तौर बारामुला-बनिहाल रेल सेवा और मोबाइल इंटरनेट सेवा को पूरे कश्मीर में बंद रखा गया। देर शाम गए तक वादी में स्थिति लगभग शांत सामान्य रही। प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ ने मकबूल बट की 26वीं बरसी पर कश्मीर बंद का आह्वान किया था। अन्य अलगाववादी संगठनों ने कथित तौर पर इसका समर्थन किया था।
जेकेएलएफ के संस्थापकों में शामिल मकबूल बट को 11 फरवरी 1984 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। बीते चार दिनों यह दूसरा मौका है, जब कश्मीर में हड़ताल हुई हो और प्रशासन को रेल व इंटरनेट सेवा बंद रखनी पड़ी हो। इससे पूर्व गत नौ फरवरी को संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरू की बरसी पर हड़ताल रही थी।
श्रीनगर समेत वादी के विभिन्न इलाकों में सुबह से ही हड़ताल का असर नजर आया। लालचौक समेत अधिकांश इलाकों में सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, लेकिन कई मोहल्लों में दुकानें आधी अधूरी खुलीं। रेहड़ी-फड़ी भी वाले कई जगह नजर आए। सड़कों पर सार्वजनिक वाहन नहीं दिखे।
हालांकि, निजी व तिपहिया वाहन दिनभर सड़कों पर दिखे। सरकारी कार्यालय खुले थे, लेकिन उनमें कर्मचारियों की मौजूदगी नाममात्र ही रही। आतंकी कमांडर की बरसी पर अलगाववादियों के हड़ताल-प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने श्रीनगर समेत वादी के सभी इलाकों में सुरक्षा का कड़ा बंदोबस्त रखा था। अफवाहों पर काबू पाने के लिए पूरी वादी में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद रही। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, कई जगह बंद का असर आंशिक रहा है। देर शाम गए तक पूरी वादी में स्थिति पूरी तरह शांत व सामान्य रही है। कहीं से भी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
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