Positive India: कोरोना योद्धाओं के लिए फेस-शील्ड तैयार कर रहे आइआइटी जम्मू के छात्र
गौर ने बताया कि आइआईटी जम्मू के कुछ अन्य छात्र वेंटिलेटर यूवी सैनिटाइजेशन चैंबर्स सहित दो से तीन अन्य उत्पाद विकसित करने की भी कोशिश कर रही हैं।
जम्मू, जेएनएन। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जम्मू के छात्र भी अपना योगदान दे रहे हैं। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए मार्च से घोषित देशव्यापी लॉकडाउन का पालन करते हुए आइआइटी जम्मू संस्थान भी बंद है परंतु यहां पढ़ने वाले कई छात्र व संस्थान के कर्मचारी इन दिनों सुरक्षाकर्मियों के लिए सुरक्षात्मक उपकरण तैयार करने में व्यस्त हैं। आइआइटी के इन छात्रों ने पीपीई किट के साथ इस्तेमाल होने वाले फेस-शील्ड का नया डिजाइन तैयार किया है। जल्द ही इन्हें ट्रायल के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंपा जाएगा। संस्थान के निदेशक एमएस गौड़ ने कहा कि बच्चों द्वारा तैयार फेस-शील्ड की खासियत है कि थोड़े ही समय में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव है। प्रोटोटाइप के उत्पादन के लिए 3-डी प्रिंटर का उपयोग किया जा रहा है।
आइआइटी जम्मू के निदेशक मनोज सिंह गौर ने बताया कि लॉकडाउन के बाद संस्थान को बंद कर दिया गया था। कुछ छात्र और संस्थान के सदस्यों ने पीपीई किट को विकसित करने में रुचि जारी की। उन्होंने भी स्वीकृति दे दी। संस्थान के बच्चों ने इस दौरान एक फेस-शील्ड विकसित किया। यह ऐसा डिजाइन था जिसका थाेड़े समय में ज्यादा उत्पादन संभव था। बस फिर क्या था बच्चे व संस्थान के सदस्यों ने प्रोटोटाइप के उत्पादन के लिए 3-डी प्रिंटर का उपयोग करते हुए फेस-शील्ड बनाना शुरू कर दिए।
गौर ने बताया कि आइआईटी जम्मू के कुछ अन्य छात्र वेंटिलेटर, यूवी सैनिटाइजेशन चैंबर्स सहित दो से तीन अन्य उत्पाद विकसित करने की भी कोशिश कर रही हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने में यह उपकरण काफी हद तक सहायक साबित होंगे। उन्होंने ने बताया कि वेंटिलेटर का पहला नमूना आने में कम से कम चार से छह सप्ताह का समय लगेगा।
उन्होंने बताया कि आइआइटी जम्मू अतिरिक्त प्लाज्मा प्लम के साथ यूवी सैनिटाइजेशन चैंबर भी बना रहे हैं। ये उत्पादन इस्तेमाल में होने वाली पीपीई किट व अन्य पुन: प्रयोज्य उत्पादन को नष्ट करने में मददगार साबित होगा। इसके अलावा हम ऑक्सीजन कनसंट्रेटर डिजाइन भी तैयार कर रहे हैं।
वहीं आइआइटी जम्मू के छात्रों व संस्थान के सदस्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए एसपी रूरल सुरम सिंह ने कहा कि छात्रों द्वारा तैयार फेस शील्ड का पहले परीक्षण किया जाएगा और उसके बाद ही इसे उपयोग के लिए जवानों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच हमारे जवान व अधिकारी चौबीस घंटे फील्ड में तैनात रहते हैं। कई इलाकों में जाना पड़ता है। ऐसे में इसके सफल परीक्षण के बाद भी इसे इस्तेमाल में लाया जाएगा। एसपी रूरल ने कहा कि फिर भी लॉकडाउन के बीच उपलब्ध सामग्री से बच्चों ने बड़ी मेहनत से यह उपकरण तैयार किए हैं। यह बात सराहनीय योग्य है।
संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक अभियंता विजय कुमार पाल ने यह जानकारी भी दी कि इस समय उनके डिपार्टमेंट के छात्र पॉजिटिव-प्रेशर रेस्पिरेटरी सिस्टम (पीपीआरएस) पर काम कर रहे हैं। ये उपकरण पोस्ट-कोविड मरीजों के लिए भी सहायक साबित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों ने जो फेस-शील्ड तैयार किया है, वे पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं संस्थान द्वारा जिस वेंटिलेटर को तैयार किया जा रहा है उसकी लागत भी कम होगी।