Kashmir Militancy: आइजी कश्मीर विजय कुमार का दावा तीन दशक में पहली बार हिजबुल से मुक्त हुआ त्राल
त्राल में आज हिजबुल मुजाहिदीन के किसी आतंकी का न होना बता रहा है कि अब स्थानीय लड़के आतंकी नहीं बनना चाहते हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर का कंधार और आतंकियों की नर्सरी कहलाने वाला पुलवामा जिले का त्राल हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से पूरी तरह मुक्त हो गया है। त्राल में सक्रिय हिजबुल के अंतिम तीन आतंकी भी गत शुक्रवार की सुबह मारे गए हैं। कश्मीर में बीते तीन दशकों से जारी आतंकी हिंसा के दौर में यह पहला मौका है, जब त्राल हिजबुल के आतंकियों से पूरी तरह खाली हो गया है। दक्षिण कश्मीर में 29 विदेशी आतंकवादी कोकेरनाग, त्राल और खिरयु इलाके के ऊंचाई वाले इलाकों में सक्रिय हैं। उनकी धरपकड़ के लिए अभियान शुरू किया गया है।
यह दावा कश्मीर रेंज के आइजीपी विजय कुमार ने किया है। चीवा उराल में आतंकवादियों के खिलाफ जारी अभियान की कामयाबी के बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी कि त्राल में जिंदा बचे हिजबुल मुजाहिदीन के तीनों स्थानीय आतंकी मारे गए हैं। 1989 के बाद आज पहली बार त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन का एक भी स्थानीय आतंकी जिंदा नहीं है। एक तरह से त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन पूरी तरह खत्म हो गया है। घाटी में आतंकी हिंसा को नया रुख देने वाला हिजबुल का पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी और अलकायदा से जुड़े असार गजवात उल हिंद का कमांडर जाकिर मूसा दोनों ही त्राल के रहने वाले थे।
सबसे बड़ा आतंकी संगठन है हिजबुल मुजाहिदीन
हिजबुल मुजाहिदीन का जम्मू कश्मीर में सक्रिय स्थानीय आतंकियों का सबसे बड़ा संगठन है। हिजबुल को कभी प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी का फौजी बाजू भी कहते थे। त्राल शुरू से ही सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। इस इलाके में कभी भी स्थानीय आतंकियों की भर्ती नहीं रुकी। कश्मीर में सक्रिय लगभग हर आतंकी संगठन का त्रल में मजबूत नेटवर्क रहता है। किसी आतंकी को अगर वादी में कहीं ठिकाना बनाने में दिक्कत रही हो तो उसके लिए त्राल के जंगल हमेशा मुफीद रहे हैं। स्थानीय स्तर पर सक्रिय ओवरग्राउंड वर्करों का नेटवर्क भी उसके लिए हमेशा तैयार रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि त्राल में आज हिजबुल मुजाहिदीन के किसी आतंकी का न होना बता रहा है कि अब स्थानीय लड़के आतंकी नहीं बनना चाहते हैं।
त्राल मुठभेड़ में ये आतंकी मारे गए
पुलिस ने मारे गए आतंकियों की पहचान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इनमें एक मोहम्मद कासिम शाह उर्फ जुगनू है, दूसरा बासित अहमद परे है और तीसरा हारिस मंजूर बट है। जुगनू मार्च 2017 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर आतंकी बना था। वह पांच लाख का इनाम था। हारिस इसी साल अप्रैल में आतंकी बना था जबकि करीब एक माह पहले आतंकी बने बासित अहमद ने सूचना प्रौद्योगिकी में बीएससी की पढ़ाई की थी।
पहचान के लिए लोगों को बुलाया गया
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि तीनों आतंकियों की पहचान की पुष्टि के लिए कुछ लोगों को बुलाया गया था। पहचान के आधार पर दफनाए जाने की रस्म में उनके कुछ रिश्तेदारों को शामिल किया गया। चीवा उराल त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन के जुगनू समेत मारे गए तीन आतंकियों में शामिल बासित अहमद परे अपने खानदान का चौथा लड़का है जो बंदूक उठाने के बाद मारा गया। उसका एक भाई तारिक अहमद परे जून 2014 में हिजबुल मुजाहिदीन के डिवीजनल कमांडर आदिल के साथ मारा गया था।
बासित के खानदान से तीन आतंकी और भी निकले हैं
मार्च 2015 में त्राल का एक लड़का इसहाक अहमद परे चर्चा में आया था। वह अपने पिता से एक हजार रुपये ट्यूशन फीस के लेकर घर से निकला और आतंकी बन गया था। वह दसवीं पास करने के बाद आतंकी बना था। उसे न्यूटन कहते थे। इसहाक के बाद उनके परिवार का एक और लड़का शकूर आतंकी बना। शकूर भी दो साल पहले मारा गया और कुछ समय पहले बासित भी आतंकी बन गया। बासित 27 मई को आतंकी बना था। उसने इनफार्मेन टेक्नोलाजी की डिग्री हासिल की थी।