Sharda Temple Kashmir : टीटवाल में शारदा मंदिर में स्थापित होगी 200 किलोग्राम वजनी मां शारदा की मूर्ति
मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए शारदा पीठ से शिलाएं और मिट्टी लाई गई थी जिनकी सबसे पहले दक्षिण स्थित शृंगेरी पीठ में पूजा की गई। टीटवाल किशनगंगा (नीलम) नदी के किनारे पर स्थित है और बंटवारे से पूर्व यहीं से शारदा पीठ के लिए यात्रा आरंभ होती थी।
श्रीनगर, जेएनएन : उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से टीटवाल क्षेत्र में निर्माणाधीन शारदा देवी मंदिर में स्थापित करने के लिए शृंगेरी पीठ ने मां शारदा की पंचधातु से बनी प्रतीमा दी है। श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य स्वामी विदुशेखर जी ने कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों की मौजूदगी में शारदा माता की मूर्ति सेव शारदा समिति कश्मीर के प्रधान रविंद्र पंडिता को सौंपी। तीन फीट और करीब 200 किलोग्राम वजनी मां शारदा की यह भव्य मूर्ति अगले साल की शुरूआत में टीटवाल ले जाई जाएगी और इसे विधिवत पूजा-अर्चना के बाद नए शारदा मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
Sharda Peeth yatra, that lies in PoK now.The official Charri Mubarak would proceed from teetwal to Chilhana onwards to Sharda Peeth those days.We feel blessed on this historic moment”said Ravinder Pandita. Work on this heritage temple is likely to be completed in Nov & the murti pic.twitter.com/TGG5chxjBp
— Ravinder Pandita(Save Sharda) (@panditaAPMCC63) October 5, 2022
समिति के प्रदान रविंद्र पंडिता ने कहा कि टीटवाल में बन रहे शारदा माता के मंदिर में श्रृंगेरी मठ ने अपना पूरा सहयोग दिया है। मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए शारदा पीठ से शिलाएं और मिट्टी लाई गई थी जिनकी सबसे पहले दक्षिण स्थित शृंगेरी पीठ में पूजा की गई। आपको बता दें कि टीटवाल किशनगंगा (नीलम) नदी के किनारे पर स्थित है और बंटवारे से पूर्व यहीं से शारदा पीठ के लिए यात्रा आरंभ होती थी।
Sharda Temple at LoC Teetwal in https://t.co/8stjV3fZFs a holy function at Sringeri , the Shankracharya of Sringeri mutt Swami Vidushekhara ji handed over the idol of Sharda Mata to the Head of the committee Ravinder Pandita in presence of many kashmiri Pandit community members. pic.twitter.com/RpVHxdFfJh— Ravinder Pandita(Save Sharda) (@panditaAPMCC63) October 5, 2022
टीटवाल के लोगों ने मंदिर निर्माण के लिए दी जमीन : समिति के प्रधान रविंद्र पंडिता ने बताया कि 1947 से पहले टीटवाल में एक धर्मशाला और एक सिख गुरुद्वारा हुआ करता था, जिसे 1947 में कबालियों ने हमले के दौरान जला दिया गया था। अब शारदा पीठ गुलाम कश्मीर में है और देखरेख के अभाव में काफी क्षतिग्रस्त हो गई है। सितंबर 2021 में जब वह शारदा पीठ यात्रा शुरू कर रहे थे, उसी दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें इस पारंपरिक मार्ग पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि दी। पंडिता ने बताया कि मंदिर निर्माण का काम नवंबर में पूरा होने की संभावना है। मंदिर का उद्घाटन अगले साल की शुरूआत में किया जाएगा और उसी दौरान ही यह मूर्ति स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि समिति यहां सिख गुरुद्वारा का निर्माण भी कर रही है और इसका काम लगभग पूरा होने वाला है।
आस्था का केंद्र है शारदा पीठ : शारदा पीठ कश्मीरी हिंदुओं की आस्था का केंद्र रही है। इतिहासकारों की मानें तो यहां पर मंदिर का निर्माण कुशान राज के दौरान किया गया था लेकिन मौजूदा मंदिर व शिक्षा केंद्र की स्थापना सम्राट ललितादित्य के समय की गई। देवी शारदा को ज्ञान की देवी कहा जाता है। कश्मीरी पंडितों के अलावा यह पावन तीर्थस्थल सभी हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी खासा महत्व रखता है। यह न सिर्फ अहम धार्मिक स्थल था बल्कि 12वीं सदी तक यहां एक विशाल शिक्षा केंद्र भी था। इसका बहुत ही ज्यादा महत्व था और बंगाल तक से छात्र यहां शिक्षा के लिए आते थे। अभी भी दक्षिण के सारस्वत ब्राह्मणों में शिक्षा आंरभ करने से पूर्व सात कदम कश्मीर की तरफ चलने की परंपरा है। इसे शारदा पीठ से जोड़ कर देखा जाता है।
This 3 ft weighing 200 kgs murti will be taken in a yatra early next year to Teetwal Kashmir where it will be installed in the new Sharda yatra temple there.
Speaking on the occasion Head of Save Sharda Committee Ravinder Pandita said that he is very grateful to Sringeri mutt pic.twitter.com/ha2ViVVfyG— Ravinder Pandita(Save Sharda) (@panditaAPMCC63) October 5, 2022
नीलम दरिया से अभी होते हैं पीओके में शारदा पीठ के दर्शन : शारदा अध्ययन केंद्र और शारदा आराधना केंद्र की स्थापना की शुरुआत को फिर से शारदा संस्कृति की बहाली की दिशा में अहम माना जा रहा है। टीटवाल में खड़े होकर नीलम दरिया के पार गुलाम कश्मीर में पहाड़ी पर स्थित देवी शारदा के प्राचीन मंदिर के दर्शन संभव हैं। कश्मीरी हिंदुओं के अलावा कई संगठन वर्षाें से भारत-पाकिस्तान सरकार से गुलाम कश्मीर में स्थित देवी शारदा पीठ की यात्रा को बहाल करने का आग्रह करते रहे हैं। महबूबा मुफ्ती सहित कई नेता करतारपुर कारिडोर की तर्ज पर शारदापीठ कारिडोर बनाने की मांग करते रहे हैं।