मैंने राज्य में स्थिरता के लिए उठाया यह कदम: सत्यपाल मलिक
मैं नहीं चाहता था कि किसी भी राजनीतिक दल को खरीद-फरोख्त का मौका दूं। मेरी कोशिश है कि राज्य में राजनीतिक मूल्यों पर आधारित व्यवस्था को बनाया जाए न कि इसे खतरे में डाला जाए।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने के बाद मचे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने फैसले को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर वह विधानसभा भंग नहीं करते तो कुछ राजनीतिक दल खरीद-फरोख्त में लगे हुए थे, जिससे राज्य में अस्थिरता का माहौल पैदा हो जाता। महबूबा मुफ्ती ने भी कुछ दिन पहले यह कहा था कि उनके विधायकों को एनआईए का डर दिखाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस तरह की शिकायतें की थी। मैं नहीं चाहता था कि किसी भी राजनीतिक दल को खरीद-फरोख्त का मौका दूं। मेरी कोशिश है कि राज्य में राजनीतिक मूल्यों पर आधारित व्यवस्था को बनाया जाए न कि इसे खतरे में डाला जाए। कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस जो नंबर गेम दिखाकर जोड़तोड़ की कोशिश कर रहे थे, वे मौका परस्त राजनीति थी। सत्ता को हथियाने के लिए यह सारा खेल खेला जा रहा था।
राज्यपाल ने कहा कि अगर ये गठजोड़ वाली सरकार बनती तो इसका लोगों की अपेक्षाओं से कोई सरोकार नहीं होता। ये दल अगर सरकार बनाना ही चाहते थे तो पांच महीने पहले भी दावा कर सकते थे। इन्होंने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। इन दलों की कोशिश केवल सत्ता हथियाना था। अगर ऐसा हो जाता तो इससे राज्य के हालात में जो सुधार हुए हैं, वे फिर से खराब हो सकते थे। अपने कदम को सही करार देते हुए राज्यपाल ने कहा कि इसका विरोध करने वाले राजनीतिक दल कुछ सप्ताह पहले स्वयं विधानसभा को भंग कर चुनाव कराने की वकालत कर रहे थे। उन्होंने जो भी फैसला लिया वह सही है। उन्होंने किसी पार्टी का पक्ष न लेते हुए राज्य के लोगों की बेहतरी के लिए जम्मू-कश्मीर संविधान व्यवस्था के अंतर्गत काम किया है। अगर कोई इसको कोर्ट में चुनौती देना चाहता है तो उसके लिए दरवाजे खुले हैं।
महबूबा मुफ्ती के राजभवन को समर्थन पत्र संबंधी भेजे गए फैक्स पर किए गए टवीट पर राज्यपाल ने कहा कि वह न ट्वीट करते हैं आैर देखते हैं। कल बुधवार को ईद थी। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला भी मुस्लिम हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि इस दिन दफ्तर बंद रहा करते हैं। यहां तक कि मेरा रसोइया भी छुट्टी पर था। अगर फैक्स बंद था तो वे पार्टी के किसी भी व्यक्ति को भेज सकती थी। फैक्स को संभालने वाले की तो बात ही छोड़ दीजिए। अगर मुझे फैक्स मिल भी गया होता, तब भी मेरा फैसला यही होता। विधानसभा भंग करने के लिए कल का ही दिन क्यों चुने जाने के सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि ईद का मुबारक दिन था, इसीलिए उन्होंने इस दिन को चुना। राज्य में विधानसभा चुनाव कब करवाए जाने हैं इसका फैसला चुनाव आयोग करेगा।