Kashmir Lockdown Effect: घर से चंद कदम दूर क्वारंटाइन में बीते 14 दिन ताकि अपने रहें सुरक्षित
यह 14 दिन मैंने गिन-गिन के खुदा से दुआ मांगते गुजारे कि टेस्ट पॉजिटिव न आए और मैं स्वस्थ घर जा सकूं। शुक्र है कि मेरी दुआ खुदा ने सुन ली।
श्रीनगर, रजिया नूर। घर के बजाय इंसान को यदि जन्नत जैसी जगह भी रहने को मिल जाए फिर भी वह अपने घर जितनी प्यारी नहीं लगती। लेकिन मुझे पहली बार घर के बजाय उस क्वारंटाइन सेंटर में रहना गनीमत लगा। 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि पूरी कर घर पहुंची युवती का कहना है कि उसका घर तो क्वारंटाइन सेंटर से चंद गज के फासले पर ही है लेकिन घर नहीं जा सकी। हालांकि दिल ने काफी चाहा कि घर जाकर मां के हाथ से बने मजेदार गाड नदरू (कमल ककड़ी व मछली) खाऊं और अपने कमरे में लंबी नींद लूं जो कि छुट्टियों में हमेशा करती थी। इस बार मन मारना पड़ा। इसकी वजह थी कि मैं नहीं चाहती थी कि घर जाने से परिवार के लोग किसी मुसीबत में पड़ जाएं।
यह 14 दिन मैंने गिन-गिन के खुदा से दुआ मांगते गुजारे कि टेस्ट पॉजिटिव न आए और मैं स्वस्थ घर जा सकूं। शुक्र है कि मेरी दुआ खुदा ने सुन ली। टेस्ट निगेटिव आ गया। मेडिकली भी फिट साबित हुई। 14 दिन के वनवास के बाद मैं आज अपने घर पर हूं। हालांकि उसे यहां 14 दिन होम क्वारंटाइन पर रहना होगा।
बांग्लादेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रही लालचौक से 15 किलोमीटर दूर श्रीनगर-बारामुला रोड पर उमराबाद, जेनाकूट की रहने वाली इस युवती को देसी व विदेशी ट्रैवल हिस्ट्री वाले 71 लोगों के साथ उमराबाद इलाके में एक निजी होटल में अस्थायी तौर पर बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। बाहर से आने वाले अन्य विद्यार्थियों को भी क्वारंटाइन में रखा जा रहा है।
युवती के अनुसार कोरोना महामारी के कारण बांग्लादेश में उसका मेडिकल कॉलेज भी बंद हो गया था। तीन और साथियों के साथ 19 मार्च को कश्मीर लौटी थी। हमेशा की तरह इस बार भी पापा एयरपोर्ट पर लेने पहुंचे थे लेकिन उसे पापा के साथ घर जाने की अनुमति नहीं मिली। उसे बताया गया कि ट्रेवल हस्ट्री वाले लोगों को कुछ दिन तक क्वारंटाइन में रखा जाएगा। उसे और तीन अन्य साथियों समेत 52 लोगों को एसआरटीसी की गाड़ी से उमराबाद में क्वारंटाइन सेंटर पहुंचाया गया।
युवती का कहना है कि हर दिन माता-पिता, घर के अन्य सदस्य मिलने आते थे लेकिन नजदीक जाने की इजाजत नहीं थी। मैं अपनी मां के सीने से लग जाना चाहती थी। छोटे भाई को प्यार करना चाहती थी। चाहती थी कि पापा हमेशा की तरह मेरे सिर पर प्यार से अपना हाथ रखें लेकिन कोरोना ने हमें इतना बेबस कर दिया कि ऐसा चाह कर भी नहीं कर सकते थे। मैं क्वारंटाइन सेंटर की दूसरी मंजिल पर कमरे की खिड़की से मम्मी-पापा को देखा करती थी। उनकी खैरियत पूछती थी, फिर हाथ हिला कर उन्हें अलविदा करती थी।
सेंटर में मेडिकल चेकअप की अच्छा बंदोबस्त: युवती का कहना है कि क्वारंटाइन सेंटर में प्रशासन ने अच्छा इंतजाम कर रखा था। साफ-सुथरे व आरामदेह कमरे, अच्छा खाना और सबसे बड़ी बात कि हमारे लिए लगातार मेडिकल चेकअप का बंदोबस्त। हम अच्छे डाक्टरों की निगरानी में रहे। डॉक्टर समय-समय पर काउंसलिंग भी करते थे। लेकिन घर की याद इस सब पर भारी पड़ती थी। साथ में यह डर कि कहीं हम इस बीमारी का शिकार न हुए हों, यह डर काफी चिंतित करता था। लेकिन शुक्र है कि हम इस बीमारी का शिकार नहीं हुए हैं। वहां मेडिकल गाइडलाइन का पालन करने की सलाह दी गई थी। हम कोशिश करते थे कि फिजिकल डिस्टेंस मेनटेन रहे। इसलिए हम अपना ज्यादातर समय अपने-अपने कमरों में ही गुजारते थे। कभी टीवी देखकर तो कभी कोई किताब पढ़कर या फिर फोन पर अपने घरवालों व दोस्तों से बातचीत करते टाइम काटते थे।
युवती अब घर पहुंच गई है। हालांकि उसे अभी 14 दिन और अपना ज्यादा समय घरवालों से अलग कमरे में ही गुजारना होगा। अब इतना जरूर है कि वह अपनी मां के हाथ का गाड नदरू का जायका ले अपने कमरे में लंबीं नींद ले।