मैंने ऐसा शख्स नहीं देखा, जो इंसान में खुदा को देखता हो..
मैंने गांधी को देखा है..पहली अगस्त से चार अगस्त 1947 तक कश्मीर में रुके थे।कश्मीर में जम्हूरियत और सभी की तरक्की चाहते थे महात्मा गांधी ।
श्रीनगर, नवीन नवाज । मैं तब पांचवीं या छठी कक्षा में पढ़ती थी। उस समय हम श्रीनगर के सौरा क्षेत्र में रहते थे। बरजुला, जहां आज बोन एंड ज्वाइंट अस्पताल है, वहां पास में किशोरी लाल जी का मकान हुआ करता था, महात्मा गांधी वहीं पर रुके थे। वह पहली अगस्त 1947 को कश्मीर आए और चार अगस्त तक यहां ठहरे।
मैं और मेरी वालिदा बेगम अकबर वहां होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने जाते थे। वह हमारा मनोबल बढ़ाते थे। वह चाहते थे कि कश्मीर में जम्हूरियत हो, जहां सभी की तरक्की हो। वह सभी के साथ इंसाफ चाहते थे। वह सीधी बात बहुत ही शांति के साथ कहते थे। हमने उन्हें दो बार अपने घर आने की दावत दी थी। वह बड़ी मुश्किल से राजी हुए थे। वह हमारे घर सौरा आए थे। हमने उनके लिए बकरी के दूध के अलावा कश्मीरी रिवायतों के मुताबिक चाय नाश्ते का पूरा बंदोबस्त किया था। वह सही मायनों में महात्मा थे।
उन्होंने हमारी मेहमाननवाजी की परंपरा को सराहा, लेकिन अपनी आवभगत को देखकर कुछ नाराज भी हुए। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस तरह के तामझाम सही नहीं लगते। उन्होंने मुझे और मेरे भाइयों को अपने पास बुलाकर हमसे बात की।
उन्होंने हमें कहा कि आप हमेशा लोगों की सेवा करना और लोगों के हक के लिए खड़े रहना। उस समय महाराजा हरि सिंह ने भी उन्हें अपने घर बुलाया था। जहां तक मुझे पता है कि वह यहां से जम्मू जाने से पहले महाराजा से भी मिले थे।
मैं आज लगभग 90 साल के करीब हूं। मैंने बहुत से नेताओं को देखा है, बहुत से लोगों को मिली हूं, लेकिन सच पूछो तो मैंने आज तक महात्मा गांधी जैसा दूसरा इंसान नहीं देखा, जो इंसान में खुदा को देखता हो, जो किसी के साथ हिंदूू-मुस्लमान का या अमीर-गरीब का कोई भेद न रखता हो।
कौन हैं खालिदा शाह :
जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की सबसे बड़ी बेटी हैं खालिदा शाह। खालिदा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला की बड़ी बहन हैं। खालिदा शाह के पति स्व. जीएम शाह भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।