अनुच्छेद 35ए पर क्षेत्रवाद की राजनीति गरमाई
जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को मजबूत बनाने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए पर क्षेत्रवाद की राजनीति गर्माने लगी है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को मजबूत बनाने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए पर क्षेत्रवाद की राजनीति गर्माने लगी है। राज्य में चुनाव हमेशा क्षेत्रीय मुद्दों पर आधारित होते हैं। ऐसे में पंचायत व निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दल इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार व भाजपा को घेर रहे हैं।
कश्मीर में इस मुद्दे पर हालात खराब करने के लिए अलगाववादी भी सक्रिय हैं। घाटी में इस मुद्दे पर 26 व 27 अगस्त को कश्मीर बंद की तैयारियों के बीच रविवार को नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में प्रदर्शन किया।
दूसरी ओर चुनावी माहौल में भाजपा भी 35ए के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। प्रदेश भाजपा पंचायत व निकाय चुनाव में सशक्त होकर संसदीय और विधानसभा चुनाव में कामयाब होने की जमीन तैयार कर रही है। ऐसे हालात में जम्मू दौरे पर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने पार्टी नेताओं से बैठकें कर आगे की रणनीति पर चर्चा की।
वहीं, रविवार को नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में 35ए के मुद्दे पर प्रदर्शन कर जम्मू कश्मीर की विशिष्ट पहचान को बरकरार रखने के लिए इससे छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दी। नेकां के ओबीसी सेल के उपाध्यक्ष अब्दुल गनी तेली के नेतृत्व में में हुए प्रदर्शन में नेकां कार्यकर्ताओं ने कहा कि राज्य के विशेष दर्जे को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कोशिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
नेकां के प्रांतीय प्रधान देवेन्द्र सिंह राणा ने स्पष्ट किया कि 35ए राज्य की पहचान है। इसे हर कीमत पर बरकरार रखा जाएगा। राणा ने बताया हिंंदूरदर्शी महाराजा हरि सिंह ने राज्य के हित में यह कानून बनाया था। भाजपा इसे नुकसान पहुंचाने की राजनीति कर रही है।
जम्मू से रोहिंग्याओं को निकालने का मुद्दा उठाने वाली भाजपा को घेरते हुए उन्होंने पूछा कि केंद्र सरकार के चार वर्षो के कार्यकाल में रोहिंग्याओं को बाहर निकालने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उनसे विदेशी नागरिकता अधिनियम के तहत निपटा जाना चाहिए।
वहीं, प्रदेश भाजपा 35ए को पिछले दरवाजे से लागू किया असंवैधानिक कानून बता रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि गैर कानूनी तरीके से लागू किए गए 35ए को समाप्त करना ही होगा। लोगों द्वारा नकार दिए जाने के बाद नेशनल कांफ्रेंस गुमराह करने की राजनीति कर रही है।
सच यह है कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला व जवाहर लाल नेहरू ने साजिश के तहत वर्ष 1947 में महाराजा हरि को जम्मू कश्मीर से निकलवा दिया था। इसके बाद भारतीय संविधान में 35ए को पिछले दरवाजे से लागू किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या सुरक्षा के लिए खतरा हैं। जम्मू के जनसांख्यिकीय स्वरूप को बदलने की साजिश करने वाले कश्मीर केंद्रित नीति के तहत रोहिंग्याओं का समर्थन कर रहे हैं।