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डॉक्टर एसआरओ 202 पर काम को तैयार नहीं, मरीज कराह रहे Jammu News

स्पष्ट नीति के अभाव में डाक्टर लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं। चयन के बावजूद डाक्टर नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। इसका कारण एसआरओ 202 है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 10:46 AM (IST)
डॉक्टर एसआरओ 202 पर काम को तैयार नहीं, मरीज कराह रहे Jammu News
डॉक्टर एसआरओ 202 पर काम को तैयार नहीं, मरीज कराह रहे Jammu News

जम्मू, रोहित जंडियाल । राज्य प्रशासन की दूरदराज के क्षेत्रों में डाक्टरों की कमी को पूरा करने के तमाम प्रयास विफल हो रहे हैं। स्पष्ट नीति के अभाव में डाक्टर लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं। चयन के बावजूद डाक्टर नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। इसका कारण एसआरओ 202 है।

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चार महीने में अब तक 900 के करीब डाक्टर छोड़ चुके हें नौकरी

यह एसआरओ डाक्टरों और मरीजों के बीच सबसे बड़ी बाधा बन रहा है इस कारण पिछले चार महीनों में नौ के करीब डाकटर नौकरी छोड़ चुका है। त्यागपत्र देने वाले डाक्टरों का सिलसिला अभी भी जारी है। राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में डेढ़ हजार के करीब डाक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक हजार पद लोक सेवा आयोग को रेफर किए। लोक सेवा आयोग ने 14 जनवरी 2019 को एसआरओ 202 के तहत रिकार्ड तीन महीने में 921 मेडिकल आफिसर्स का चयन किया था। यह पहली बार था कि चयन के लिए इंटरव्यू भी नहीं हुए और लिखित परीक्षा के आधार पर ही सभी को नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए। सरकार के इस प्रयास की सराहना भी हुई और चयनित हुए डाक्टरों को दूरदराज के अस्पतालों में रिक्त पड़े पदों में भेजा गया। परंतु बहुत कम डाक्टरों ने ज्वाइन किया। करीब 70 प्रतिशत डाक्टरों ने ज्वाइन नहीं कया और नौकरी छोड़ दी।

मई महीने में फिर से एसआरओ 202 के तहत 332 डाक्टरों को चयन किया गया लेकिन उनमें भी आधे से अधिक ने ज्वाइन नहीं किया। डाक्टर विभाग द्वारा निर्धारित शतों पर जाने को तैयार नहीं है। नौकरी न करने वाले डाक्टरों ने बताया कि एसआरओ 202 के तहत नौकरी करना अपने करियर को दांव पर लगाना है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अगर एसआरेओ के स्थान पर नियमित तौर पर नियुक्तियां हो तो हर कोई ज्वाइन करेगा।

क्या है एसआरओ 202

एसआरओ 202 के तहत डाक्टरों की नियुक्तियों में पांच साल तक निर्धारित वेतन पर ही काम करना पड़ता है। यही नहीं पांच साल तक उनका तबादला भी नहीं होगा। पांच साल तक चयनित डाक्टर उच्च शिक्षा के लिए भी नहीं जा सकते हैं। पांच साल के बाद ही उनकी नियुक्ति को स्थायी किया जाएगा।

कब कितने डाक्टरों ने छोड़ी नौकरी

-14 मार्च को राज्य प्रशासन ने 437 मेडिकल आफिसर्स की नियुक्तियां रद कर दी हैं। इन सभी ने तय समय सीमा 26 फरवरी तक ज्वाइन नहीं किया था।

-नौ अप्रैल को 71 मेडिकल आफिसर्स ने त्यागपत्र दे दिया और उनके त्यागपत्र स्वीकार भी कर लिए गए। यह वे मेडिकल आफिसर थे जिन्होंने ज्वाइन तो किया लेकिन नौकरी नहीं की।

-10 अप्रैल को 16 मेडिकल आफिसर ने त्यागपत्र दिया। इन सभी ने भी चयन के बाद ज्वाइन तो किया लेकिन नौकरी नहीं की। विभाग ने त्यागपत्र स्वीकार कर लिए।

-18 अप्रैल को 30 मेडिकल आफिसर्स को ज्वाइन न करने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

-18 अप्रैल को 61 मेडिकल आफिसर्स को ज्वाइन करने के बावजूद डयूटी पर न आने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इन सभी को नोटिस जारी किए गए थे।

-18 अप्रैल को 9 डाक्टरों ने त्यागपत्र दे दिया। इन सभी के अनुरोध पर उनके त्यागपत्र स्वीकार भी कर लिए गए।

-20 अप्रैल को 91 मेडिकल आफिसर्स को बर्खास्त किया गया

-10 मई: 17 मेडिकल आफिसर्स की नियुक्ति रद

-18 जून: चार मेडिकल अाफिसर्स ने त्यागपत्र दिया

-21 जून: को 166 मेडिकल आफिसर्स की नियुक्ति रद

जिन डाक्टरों ने निर्धारित समय में ज्वाइन नहीं किया उन्हें बर्खास्त कर दिया गया

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एसआरओ 202 के तहत मेडिकल आफिसर्स का चयन किया था। जिन डाक्टरों ने निर्धारित समय में ज्वाइन नहीं किया उन सभी को बर्खास्त कर दिया गया है।

- अटल ढुल्लु, वित्त सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग

निजी अस्पतालों में मोटा पैकेज

राज्य में सरकारी नौकरी को डाक्टर प्राथमिकता नहीं देते हैं। यहां पर कम वेतन और दूरदराज के क्षेत्रों में सुविधाएं न होने के कारण डाक्टर सरकारी अस्पतालों में नौकरी के लिए नहीं जाते हैं। निजी अस्पतालों में अच्छे पैकेज और बेहतर सुविधाओं के कारण डाक्टर इनमें नौकरी करने को प्राथमिकता देते हैं। एसआरओ 202 ने सरकारी नौकरी में डाक्टरों की रूचि को और कम कर दिया है।

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