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जम्मू कश्मीर में गृह मंत्री के दौरे ने जगाई जल्द चुनाव की आस, राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ी

कांग्रेस नेकां पीडीपी व अन्य दलों के सामने अब गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय का वोट बैंक बचाए रखने की चुनौती भी पैदा हो गई है। इन दलों के लिए इन दोनों समुदायों का साथ छूटने के मतलब कम से कम 20 सीटें खो देना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 07 Oct 2022 07:36 AM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 07:36 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में गृह मंत्री के दौरे ने जगाई जल्द चुनाव की आस, राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ी
परिसीमन से कई विधानसभा क्षेत्रों का स्वरूप बदला है और इसी के आधार पर मतदाता सूचियां बनाई जा रही हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू कश्मीर दौरे ने जल्द विधानसभा चुनाव की नई उम्मीद जगा दी है। इससे एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। इस बीच, पहाड़ी लोगों को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का भरोसा देकर कश्मीर केंद्रित दलों की बेचैनी भी बढ़ा दी है। ये दल अब गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय में अपना वोट बैंक बचाने के लिए दबाव में नजर आने लगे हैं। इस आबादी को साधने के लिए राजनीतिक दल उपाय खोजने लगे हैं। दरअसल, बारामुला में शाह ने कहा था कि मतदाता सूची के अंंतिम प्रकाशन व अन्य औपचारिकताओं के पूरा होते ही चुनाव कराए जाएंगे।

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जम्मू कश्मीर राज्य में अंतिम बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। इसके बाद बनी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार जून 2018 में गिर गई थी। 22 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया था। पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर परिसीमन की प्रक्रिया इसी वर्ष मई में पूरी हुई। इससे विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई। इसके अलावा 24 सीटें गुलाम जम्मू कश्मीर के लिए आरक्षित हैं, लेकिन उन पर चुनाव नहीं होगा। परिसीमन से कई विधानसभा क्षेत्रों का स्वरूप भी बदला है और इसी के आधार पर मतदाता सूचियां बनाई जा रही हैं।

कश्मीरी दलों के इसलिए है बेचैनी : कांग्रेस, नेकां, पीडीपी व अन्य दलों के सामने अब गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय का वोट बैंक बचाए रखने की चुनौती भी पैदा हो गई है। इन दलों के लिए इन दोनों समुदायों का साथ छूटने के मतलब कम से कम 20 सीटें खो देना है। इसीलिए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख विकार रसूल, नेकां प्रमुख डा. फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के नेता ताज मोहिउद्दीन दो दिन से कुछ ज्यादा सक्रिय नजर आने लगे हैं।

  • भाजपा यहां सरकार बनाने के लिए पूरी तरह जोर लगा रही है। उसने कई नए दलों को तैयार किया है जो देखने में स्थानीय संगठन हैं, लेकिन हैं उसकी बी टीम। गृह मंत्री के बयान से उम्मीद है कि चुनाव इसी साल के अंत तक हो जाएंगे। हम पूरी तरह तैयार हैं। - अली मोहम्मद सागर, महासचिव, नेशनल कांफ्रेंस
  • चुनाव ज्यादा देर तक नहीं टाले जा सकते। गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के बीच हमारा जनाधार मजबूत है। गृह मंत्री ने एलान बेशक किया है, लेकिन हमें नहीं लगता कि वह पहाड़ी समुदाय के साथ किया वादा पूरा करेंगे। - फिरदौस टाक, पीडीपी के प्रवक्ता
  • अमित शाह यहां सफेद झूठ बोल गए हैं। गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय को मूर्ख बनाने का प्रयास किया है। उन्हें लगता है कि वह इन्हें मूर्ख बनाकर वोट हासिल कर लेंगे तो वह गलत सोचते हैं। -विकार रसूल, अध्यक्ष, जम्मू कश्मीर कांग्रेस
  • चुनाव का एलान करना चुनाव आयोग का काम है। गृहमंत्री जी ने कहा है कि चुनाव यहां जल्द होंगे। नेकां, कांग्रेस, पीडीपी या इन जैसे अन्य दलों का समय बीत चुका है। इन्होंने जो बीते 70 साल से लोगों को मूर्ख बना रखा था, अब उसका हिसाब देंगे। -सुनील शर्मा, महासचिव, जम्मू कश्मीर भाजपा 

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