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Holi: प्राकृतिक रंगों से होली मनाएं, पानी भी बचाएं

देशभर में महंगाई के साथ-साथ पानी की समस्या आम बात बन गई है। आम आदमी को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 12:38 PM (IST)
Holi: प्राकृतिक रंगों से होली मनाएं, पानी भी बचाएं
Holi: प्राकृतिक रंगों से होली मनाएं, पानी भी बचाएं

जम्मू, जागरण संवाददाता। होली का त्योहार खुशियों और आनंद का त्योहार है। इसे मनाएं, लेकिन साथ ही पानी की बचत करने का भी प्रयास करें। कोशिश करें कि होली के दौरान पानी की बर्बादी न होने पाए। इसके साथ ही होली में रसायन वाले रंगों का प्रयोग न करें। होली पर जितने पानी की बर्बादी कर दी जाती है, उतने पानी से शहर में कई दिन तक आम लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है। लिहाजा पानी की बर्बादी रोककर इस होली को इको फ्रेंडली तरीके से मनाने का संकल्प लेना चाहिए। पानी की बचत करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि प्राकृतिक रंगों से सूखी होली खेलें।

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देशभर में महंगाई के साथ-साथ पानी की समस्या आम बात बन गई है। आम आदमी को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है। हम सभी रोजाना इसी समस्या से रूबरू होते रहते हैं। होली रंगों का रंग-बिरंगा त्योहार है। खासकर बच्चों को होली खेलने में, एक-दूसरे को रंग लगाने में बहुत मजा आता है। एक-दूसरे के रंगे चेहरों को देखकर बच्चों की खुशी दोगुनी हो जाती है। आदमी होली खेलने में इतना मशगूल हो जाता है कि उसे कुछ ध्यान ही नहीं रहता कि उसके शरीर पर लगाए गए रंगों को निकालने के लिए उसे कितना पानी खर्च करना पड़ेगा? ऐसे में अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो होली की मस्ती भी की जा सकती है और पानी की बचत भी।

वाहन धोने में खर्च होता है सबसे ज्यादा पानी

होली खेलने में इतना पानी व्यर्थ नहीं जाता, जितना होली में इस्तेमाल वाहनों को धोने में जाता है। होली के दिन सड़कों पर दोपहिया व चारपहिया वाहन दौड़ते नजर आते हैं। मस्ती में डूबे युवा होली खेलने के लिए अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के घर पहुंचते हैं और दूर जाने के लिए वाहनों का इस्तेमाल होता है। शाम तक ये वाहन होली के रंगों से पट जाते है और फिर शुरू होता है, इन्हें धोने का काम। जम्मू शहर में करीब 250 गैराज हैं, जहां पर वाहन धोए जाते हैं। होली के बाद इन गैराज में वाहनों की कतार लग जाती है। आमतौर पर एक दोपहिया वाहन को धोने में 200-300 लीटर और चारपहिया वाहन को धोने में करीब 500 लीटर पानी लग जाता है। लिहाजा होली के बाद इन वाहनों को धोने में ही लाखों लीटर पानी खर्च हो जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • होली में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें। ये आसानी से साफ हो जाते हैं।
  • गुब्बारों में पानी भरकर होली न खेलें।
  • जब होली खेलना पूरा हो जाए, तभी नहाने जाएं। बार-बार नहाने से पानी की बर्बादी होती है।
  • घर के बाहर होली खेलें। घर में होली खेलने से घर गंदा होगा, जिसे साफ करने में अधिक पानी खर्च होगा।
  • पुराने व गहरे रंगों वाले कपड़े पहनें, ताकि आसानी से धोया जा सके।
  • खेलने से पहले बालों में तेल लगा लें। इसके बाद जितना भी रंग बालों में लगा होगा, एक ही बार धोने से निकल जाएगा।

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