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Baramulla Encounter: उत्तरी कश्मीर में आधार मजबूत करने की कोशिश कर रहा हिजबुल मुजाहिदीन, 4 साल बाद मारे गए 3 आतंकी

डीआइजी चौधरी ने कहा कि अपनी जान बचाने के लिए तीनों आतंकी एक मकान में छिप गए और उन्होंने बच्चों सहित 12 स्थानीय लोगों को अपना बंधक बना लिया था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 01:39 PM (IST)
Baramulla Encounter: उत्तरी कश्मीर में आधार मजबूत करने की कोशिश कर रहा हिजबुल मुजाहिदीन, 4 साल बाद मारे गए 3 आतंकी
Baramulla Encounter: उत्तरी कश्मीर में आधार मजबूत करने की कोशिश कर रहा हिजबुल मुजाहिदीन, 4 साल बाद मारे गए 3 आतंकी

श्रीनगर, जेएनएन। उत्तरी कश्मीर के जिला बारामूला के येदिपोरा, पट्टन में मारे गए तीनों आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के थे। यह लगभग चार साल बाद था जब जिले में हिज्बुल के आतंकवादी मारे गए हैं। ऐसा लगता है कि हिज्बुल मुजाहिदीन एक बार फिर उत्तरी कश्मीर में अपना आधार स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। परंतु आतंकी संगठन यह समझ लें कि सतर्क सुरक्षाबल ऐसी चालों को नाकाम करने के लिए हमेशा तैयार हैं।

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ये चेतावनी उत्तरी कश्मीर के डीआइजी मोहम्मद सुलेमान चौधरी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान दी। इस अवसर पर 20 सेक्टर आरआर ब्रिगेडियर के कमांडर एनके मिश्रा भी वहां मौजूद थे। डीआइजी चौधरी ने कहा कि विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिलने पर पुलिस की एसओजी, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने गत शुक्रवार सुबह 5 बजे क्षेत्र में यह अभियान चलाया। अपनी जान बचाने के लिए तीनों आतंकी एक मकान में छिप गए और उन्होंने बच्चों सहित 12 स्थानीय लोगों को अपना बंधक बना लिया था।

सेना की पहली प्राथमिकता बंधकों को आतंकवादियों के चंगुल से छुड़वाना था। यही वजह है कि इस प्रयास में सेना एक मेजर रोहित वर्मा और एसओजी के दो जवान घायल हो गए। समय लगा परंतु जवान तीनों आतंकवादियों को मारने में कामयाब रहे। मारे गए आतंकवादियों में दो स्थानीय थे। उनकी पहचान शफाकत अली खान निवासी रावतपोरा, डेलिना और हनन बिलाल सोफी निवासी पुराने शहर बारामुला के रूप में की गई है। तीसरे आतं की पहचान अभी नहीं हो पाई है परंतु पता लगाया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मुठभेड़ स्थल से दो एके -47 राइफल, चार मैगजीन, एक पिस्टल और दो पिस्टल मैगजीन समेत अन्य सामग्री बरामद की गई है।

डीआइजी ने बताया कि चार साल से भी अधिक समय बाद उत्तरी कश्मीर में हिज्ब के आतंकवादियों को मार गिराया गया है। इससे पहले लश्कर और जैश के आतंकवादी ही उत्तरी जिलों में मारे गए हैं। उन्होंने हंदवाड़ा और करीरी मुठभेड़ का हवाला देते हुए कहा कि इनमें भी लश्कर और जैश के आतंकी ही मारे गए थे। ऐसा लगता है कि हिज्ब उत्तरी कश्मीर में एक बार फिर अपना आधार स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। हम हिज्ब को उनके मंसूबों में कभी कामयाब नहीं होने देंगे। हमारे सुरक्षाकर्मी हमेशा सतर्क हैं।

वहीं 20 सेक्टर आरआर ब्रिगेडियर के कमांडर एनके मिश्रा ने कहा कि तीनों आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने का अवसर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। यह ऑपरेशन करीब 12 घंटे तक चला। ऑपरेशन में तीन से चार घर शामिल थे। जब आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया तो उनमें से किसी एक ने गोली चलाई जो मेजर रोहित वर्मा को लगी। वह स्थिर हैं।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन जानबूझकर कर इतना लंबा चलाया गया क्योंकि सेना की पहली प्राथमिकता 12 बंधक नागरिकों को वहां से निकालना था। कमांडर ने बताया कि हिजबुल का यह समूह लंबे समय से सक्रिय था और सेना पर कई हमलों में शामिल था। सेना के अधिकारी ने पत्रकारों को यह भी बताया कि उत्तरी कश्मीर में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती कम हो गई है। वर्ष 2018 में 38 युवक आतंकी संगठनों में भर्ती हुए, 2019 में यह संख्या 19 थी और इस साल यह संख्या और भी कम है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई स्थानीय लड़का आतंकी संगठन में शामिल होता है, तो सेना उसके माता-पिता और रिश्तेदारों से संपर्क करती है। उसे वापस लाने के लिए प्रेरित करती है। हम इस अभियान में काफी हद तक सफल रहे हैं।  


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