Terror Funding In Kashmir : सरकार से वेतन लेकर आतंकियों के लिए काम करते थे हिजबुल सरगना सलाहुद्दीन के तीनों बेटे
जम्मू कश्मीर उद्यमशीलता विकास केंद्र (जेकेईडीआइ) से निकाले गए सलाहुद्दीन के छोटे बेटे सैयद मुईद शाह से पहले उसके दो बड़े भाइयों सैयद अहमद शकील और शाहिदयूसुफ को भी पिछले वर्ष नौकरी से बाहर किया जा चुका है। दोनों टेरर फंडिंग के सिलसिले में इस समय जेल में बंद हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के तीनों बेटे सरकारी खजाने से वेतन लेते थे और काम आतंकियों और अलगाववादियों का करते थे। सुरक्षा एजेंसियों के पास पुख्ता सुबूत हैं कि तीनों प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। बताया जाता है कि तीनों ने चोर दरवाजे से नौकरी हासिल की थी।
जम्मू कश्मीर उद्यमशीलता विकास केंद्र (जेकेईडीआइ) से निकाले गए सलाहुद्दीन के छोटे बेटे सैयद मुईद शाह से पहले उसके दो बड़े भाइयों सैयद अहमद शकील और शाहिदयूसुफ को भी पिछले वर्ष नौकरी से बाहर किया जा चुका है। दोनों टेरर फंडिंग के सिलसिले में इस समय जेल में बंद हैं।
सैयद अहमद शकील शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में 1990 के दौरान चोर दरवाजे से बतौर लैब टेक्नीशियन तैनात हुआ था। उसने करीब छह बार आतंकियों के लिए वित्तीय मदद जुटाई और उन तक पैसा पहुंचाया। वहीं, शाहिद यूसुफ भी चोर दरवाजे से ही वर्ष 2007 में कृषि विभाग में नियुक्त हुआ था। दोनों भाई अलग-अलग पते और पहचान का इस्तेमाल करते हुए सऊदी अरब से आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा मंगवाते थे।
इस तरह सैयद मुईद शाह तक पहुंचीं सुरक्षा एजेंसियां : राज्य प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2016 में जेकेईडीआइ पर दो बार आतंकियों के आत्मघाती दस्ते ने सनसनीखेज तरीके से हमले किए। सुरक्षा एजेंसियों को पहले समझ में नहीं आया कि आखिर आतंकी इस संस्थान में क्यों दाखिल हुए हैं और उन्होंने इमारत के उन्हीं हिस्सों में पोजीशन ली, जिन्हें सबसे ज्यादा सुरक्षित और मजबूत माना जाता है। इन हमलों की जांच को जारी रखते हुए सुरक्षाबलों ने आतंकियों के कई ओवरग्राउंड वर्करों को पकड़ा और सभी से पूछताछ के आधार पर पता चला कि भीतर का कोई आदमी मिला हुआ है। इस आदमी को तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ी और जब मिला तो वह कोई और नहीं सैयद मुईद शाह निकला। सूत्रों के अनुसार, सैयद मुइद शाह ने ही आतंकियों को परिसर में घुसने का रास्ता दिखाया था। इन हमलों में सेना के दो कैप्टन और दो सीआरपीएफ कर्मी बलिदानी हुए थे। दो हमलों में पांच आतंकी भी मारे गए थे।