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Jammu: हिंदूवादी नेता राजू चंदेल ने कहा- अली बाबा चालीस चोर गैंग की मांगों पर ध्यान न दें उपराज्यपाल

उपराज्यपाल को किसी अली बाबा चालीस चोर गैंग के दबाव में आने की आवश्यकता नहीं है। उपराज्यपाल का निर्णय जम्मू-कश्मीर राज्य तथा देश के हित में है। अली बाबा चालीस चोर गैंग हमेशा ही भारत सरकार की नीतियों का विरोध करता आया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 11:34 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 11:34 AM (IST)
Jammu: हिंदूवादी नेता राजू चंदेल ने कहा- अली बाबा चालीस चोर गैंग की मांगों पर ध्यान न दें उपराज्यपाल
अगर जम्मू-कश्मीर के सभी मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन लाया जाए तो जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

जम्मू, जागरण संवाददाता: श्री अमरनाथ यात्रा वेलफेयर सोसायटी के राष्ट्रीय महामंत्री व वाइस चेयरमैन हिंदूवादी नेता राजू चंदेल तथा संगठन के वाइस चेयरमैन एसएस सिंधु ने उपराज्यपाल के पहले परिसीमन फिर चुनाव, उसके बाद राज्य का दर्जा देने के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल अली बाबा चालीस चोर गैंग की मांगों पर ध्यान न दें। कश्मीर व लद्दाख को अलग यूटी का दर्जा दें।

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यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए चंदेल ने कहा कि उपराज्यपाल कश्मीर को लद्दाख में शामिल करें तथा जम्मू का दायरा बढ़ाते हुए उसमें अनंतनाग, दक्षिण कश्मीर तथा उत्तरी कश्मीर का कुछ हिस्सा जम्मू में शामिल किया जाए। जम्मू विधानसभा का चुनाव कराते हुए जम्मू को राज्य का दर्जा दिया जाए। कश्मीर-लद्दाख को यूटी का दर्जा दिया जाए क्योंकि कश्मीर का आतंकवाद पाकिस्तान के इशारे पर आजकल चरम सीमा पर है।

आतंकवादियों में हताशा देखी जा रही है। इन आतंकवादियों को कहीं न कहीं कश्मीर में बैठे हुए अलगाववादियों, हुर्रियत वालों का पूरा समर्थन दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए जरूरी है कि जम्मू को राज्य का दर्जा चुनाव के उपरांत दिया जाए और श्रीनगर वैली को लद्दाख में शामिल कर एक मजबूत प्रशासन की नींव रखी जाए।

उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को किसी अली बाबा चालीस चोर गैंग के दबाव में आने की आवश्यकता नहीं है। उपराज्यपाल का निर्णय जम्मू-कश्मीर राज्य तथा देश के हित में है। अली बाबा चालीस चोर गैंग हमेशा ही भारत सरकार की नीतियों का विरोध करता आया है।

चंदेल ने कहा कि हमारे जम्मू-कश्मीर को मंदिरों का शहर कहा जाता है। अगर जम्मू-कश्मीर के सभी मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन लाया जाए तो जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।  


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