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सरकारी बंगलों पर कब्जे के सभी मामलों को अब एक साथ सुनेगा हाईकोर्ट

शेख शकील ने कहा कि बेंच से कहा कि विभाग ने उक्त निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया। प्रशासनिक सचिव को डिवीजन बेंच के सामने हाजिर होने का निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए शेख शकील ने कहा कि विभाग के रवैये को देखते हुए ऐसा जरूरी है।

By Edited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 06:52 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 07:45 AM (IST)
सरकारी बंगलों पर कब्जे के सभी मामलों को अब एक साथ सुनेगा हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर प्रशासन से हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन कराने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर रिपोर्ट मांगी थी।

जेएनएफ, जम्मू: राज्य संपदा विभाग के बंगलों और प्रथम श्रेणी के क्वार्टरों पर पूर्व नौकरशाहों, पूर्व मंत्रियों और नेताओं के कब्जों के सभी मामलों को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट अब एक साथ सुनेगा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच अब इन सभी मामलों को एक साथ जोड़ते हुए पांच दिसंबर को संयुक्त सुनवाई करेगी। इन कब्जों पर संपदा विभाग के विभिन्न नोटिस पर आधारित ये मामले अब तक हाईकोर्ट की अलग-अलग बेंच में दर्ज थे।

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हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस राजेश ¨बदल की डिवीजन बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह इन सभी मामलों को संयुक्त कर पांच दिसंबर को अदालत में रखे। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान याची के वकील एडवोकेट शेख शकील ने दलील दी कि आठ जुलाई 2020 को बेंच ने संपदा विभाग को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर प्रशासन से हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन कराने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर रिपोर्ट मांगी थी।

शेख शकील ने कहा कि बेंच से कहा कि विभाग ने उक्त निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया। अभी तक स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। संपदा विभाग के प्रशासनिक सचिव को डिवीजन बेंच के सामने हाजिर होने का निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए शेख शकील ने कहा कि विभाग के रवैये को देखते हुए ऐसा जरूरी है। जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से पेश हुए असिस्टेंट एडवोकेट जनरल असीम साहनी ने कहा कि उन्होंने दो अक्टूबर को स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन यह रिकार्ड में दर्ज नहीं हुई थी।

इस पर बेंच ने रिपोर्ट को रिकार्ड में दर्ज करवाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि अवैध कब्जों को लेकर ऐसी ही एक अन्य जनहित याचिका भी दायर है। ऐसे में हो सकता है कि दूसरी जनहित याचिका में वह रिपोर्ट दर्ज हो गई हो। इस पर बेंच ने रजिस्ट्री को ऐसे सभी मामलों को पांच दिसंबर को एक साथ बेंच के सामने रखने का निर्देश दिया।


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