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हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा, कानून में सब समान, फारूक की बेटी को भी झेलने पड़ेंगे प्रतिबंध Jammu News

साफिया खान ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि वह शांतिप्रिय भारतीय नागरिक है और किसी तरह की आपराधिक घटना में संलिप्त नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 12:01 PM (IST)
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा, कानून में सब समान, फारूक की बेटी को भी झेलने पड़ेंगे प्रतिबंध Jammu News
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा, कानून में सब समान, फारूक की बेटी को भी झेलने पड़ेंगे प्रतिबंध Jammu News

जम्मू, जेएनएन। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून की नजर में सब एक है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला की बेटी साफिया खान ने प्रशासन की ओर से उन पर लगाए गए प्रतिबंधों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने साफिया की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि वह भी राज्य के दूसरे नागरिकों की तरह हैं। अगर प्रशासन को लगता है कि राज्य में अमन कायम रखने व उनके जान-माल की सुरक्षा के लिए कुछ प्रतिबंध जरूरी हैं, तो उन्हें यह प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे।

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साफिया खान ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि वह शांतिप्रिय भारतीय नागरिक है और किसी तरह की आपराधिक घटना में संलिप्त नहीं है। उनका कहना है कि इसके बावजूद पांच अगस्त से उन्हें घर में नजरबंद किया गया है। बिना कोई कारण बताए उन्हें घर में कैद किया गया है और उनके बच्चों को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं। साफिया ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ गुपकार रोड श्रीनगर में रहती है और उनका किसी राजनीतिक दल से कोई लेनादेना नहीं। साफिया ने कहा कि वह बीमार है और उसे नियमित डॉक्टर से परामर्श व दवाइयां लेनी पड़ती हैं। लिहाजा, उनके घर के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों को हटाते हुए उन्हें अपनी मर्जी से बाहर आने-जाने की अनुमति दी जाए।

इस मामले की 16 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान राज्य के एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने कहा था कि याची को न तो हिरासत में लिया गया है और न ही नजरबंद किया गया है। कश्मीर घाटी में अमन-शांति व आम लोगों के जानमाल की सुरक्षा को देखते हुए कुछ आवश्यक प्रतिबंध अवश्य लगाए गए हैं। जहां तक याची को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बात थी तो श्रीनगर के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर की अगुआई में डॉक्टरों की टीम याची के निवास पर गई थी लेकिन याची ने उनकी सेवाएं लेने से इन्कार कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि याची ने जो राहत मांगी थी, वह प्रदान करने के लिए हर संभव कदम उठाए गए हैं। यह भी साफ है कि याची को न हिरासत में लिया गया है और न ही नजरबंद किया गया है। 


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