सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले कैसे बन गए मालिक, हाईकोर्ट ने रोशनी एक्ट पर उठाए गंभीर सवाल
हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस ताशी रबस्तान ने वीरवार को रोशनी एक्ट को चुनौती देने वाली एडवोकेट अंकुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई की।
जम्मू, जेएनएफ। राज्य हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने रोशनी एक्ट के नाम से प्रख्यात जम्मू-कश्मीर लैंड एक्ट पर गंभीर सवाल खड़े किए। बेंच ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यह किस तरह की व्यवस्था बनाई गई थी, जिसमें सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों को ही जमीन का मालिक बना दिया गया। बेंच ने कहा कि क्या केंद्र या देश के किसी अन्य राज्य में ऐसा कोई कानून है, जिसमें सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना अधिकार दिए जाते हों? अगर देश के किसी हिस्से में ऐसा है, तो उस कानून की कापी बेंच के सामने पेश की जाए।
हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस ताशी रबस्तान ने वीरवार को रोशनी एक्ट को चुनौती देने वाली एडवोकेट अंकुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई की। बेंच के पूर्व निर्देशानुसार सरकार की ओर से वीरवार को रोशनी एक्ट का लाभ पाने वाले लाभार्थियों की सूची बेंच के सामने पेश की गई। इसमें बताया गया कि जम्मू संभाग में एक्ट के तहत 25 हजार व कश्मीर में 4500 लोगों को लाभ दिया गया, जबकि लद्दाख में रोशनी एक्ट का कोई लाभार्थी नहीं था। बेंच ने इस पर हैरानगी प्रकट करते हुए कहा कि क्या आज तक इस सरकारी जमीन की कीमत का आंकलन किया गया? बेंच ने राजस्व विभाग को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के निर्देश देते हुए कहा कि विभाग के सचिव या उससे उच्च पद का कोई अधिकारी यह हलफनामा दे कि जो सूची बेंच के सामने पेश की गई है, वो सही व हर लिहाज से पूर्ण है। बेंच ने कहा कि यह बताया जाए कि जो सरकारी जमीन बेची गई, उसमें से शहरी इलाके में कितनी थी, ग्रामीण इलाकों में कितनी और वन विभाग की कितनी जमीन थी।
सुंजवां व चुआदी मामले पर भी लिया संज्ञान, जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश :
डिवीजन बेंच ने पाया कि हाल ही में एक समाचार प्रकाशित हुआ, जिसमें कहा गया कि जम्मू की डिप्टी कमिश्नर ने सुंजवां व चुआदी क्षेत्र में 5000 कनाल सरकारी जमीन के राजस्व रिकार्ड में गलत एंट्रियों को खारिज किया है और ऐसे मामलों की जांच जारी है। बेंच ने जम्मू की डिप्टी कमिश्नर को निर्देश दिया कि ऐसी सभी अवैध एंट्रियों की निशानदेही करके उन्हें खारिज किया जाए और इसके लिए जो भी सरकारी अधिकारी व लोग जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। बेंच ने अवैध एंट्रियों के लाभार्थियों तथा उस समय के जिम्मेदार अधिकारियों की सूची तैयार करने का निर्देश भी दिया। बेंच ने यह सारी जमीन वापस लेने तथा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया।
राजनेताओं व अधिकारियों की बेंच का देंगे जानकारी : अंकुर
मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि रोशनी एक्ट के लाभार्थियों में कई राजनेता व प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं और वह अगली सुनवाई के दौरान उनकी जानकारी बेंच के सामने पेश करेंगे। शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस मामले की सीबीआइ जांच करवाने की मांग इसलिए की थी क्योंकि कंप्ट्रोलर एंड आडिटर जनरल आफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था कि रोशनी एक्ट के तहत 25 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। बेंच ने इस तथ्य को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस पहलू को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बेंच ने अंकुर शर्मा को यह रिपोर्ट अगली सुनवाई को पेश करने का निर्देश देते हुए कहा कि इसपर बहस की जाएगी।
क्या था रोशनी एक्ट : तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस की सरकार ने वर्ष 2001 में रोशनी एक्ट बनाया था। इसके अनुसार, 1999 से पहले कब्जे वाली सरकारी जमीन के पैसे लेकर मालिकाना हक देने की बात कही गई। इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली सेक्टर के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही थी। लेकिन इससे अतिक्रमण व कब्जे और हुए। बाद में इस एक्ट को रद कर दिया था।