स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कमेटियां गठित
हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग को लेकर दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य ढांचे की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है।
जेएनएफ, जम्मू : हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग को लेकर दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य ढांचे की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है।
बेंच ने कमेटी सदस्यों को सभी अस्पतालों का दौरा कर उपलब्ध ढांचे, उपकरणों व मानव संसाधनों की रिपोर्ट देने के साथ स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देने का निर्देश दिया है। बेंच ने निर्देश देते हुए कहा कि कोर्ट स्वास्थ्य मामले में कोई विशेषज्ञ नहीं है और न ही ढांचे को बेहतर बनाने के लिए कोई ठोस राय दे सकता है। ऐसे में जरूरी है कि क्षेत्र के विशेषज्ञ ही समीक्षा करें और स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दें। बेंच ने कश्मीर व जम्मू संभाग के लिए दो अलग-अलग कमेटियां गठित की। जम्मू के लिए गठित कमेटी में पीजीआइ चंडीगढ़ के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ. योगेश चावला, जीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रवि गुप्ता, जीएमसी के रिटायर्ड प्रिसिपल डॉ. एचएल गोस्वामी, जीएमसी के रिटायर्ड एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. रतन कुडयार, डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेस जम्मू व जीएमसी के प्रिसिपल को शामिल किया गया है।
कश्मीर के लिए गठित कमेटी में पीजीआइ चंडीगढ़ के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ. योगेश चावला के अलावा जीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रवि गुप्ता, जीएमसी श्रीनगर के पूर्व प्रिसिपल डॉ. केसर अहमद, शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ. शौकत जरगर, डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेस व जीएमसी श्रीनगर के प्रिसिपल को शामिल किया गया है। बेंच के निर्देशानुसार डॉ. योगेश चावला दोनों कमेटियों की अध्यक्षता करेंगे, जबकि डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेस जम्मू व श्रीनगर संयोजक के रूप में कमेटी के सदस्य सचिव का कार्य करेंगे। बेंच ने कहा कि सभी डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देने पर सहमति दे दी है। बेंच ने सभी अस्पताल प्रबंधकों को कमेटी सदस्यों का सहयोग करने और उन्हें सही जानकारी मुहैया करवाने का भी निर्देश दिया।
जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य ढांचा खस्ताहालत में है। दोनों राजधानियों में उपचार के लिए न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं, न पैरा मेडिकल स्टाफ और न ही उपकरण। ऐसे में लोगों को उपचार के लिए लुधियाना, चंडीगढ़, दिल्ली व अन्य जगहों पर जाना पड़ता है।