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विद्यार्थियों को 50 हजार मुआवजा देने के निर्देश

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर विद्यार्थियों को मुआवजा कम लगता है तो वे वाजिब मुआवजे की मांग कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने इंस्टीट्यूट को विद्यार्थियों से वसूली गई पूरी फीस भी वापस करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने दो महीने के भीतर यह भुगतान करने का निर्देश दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 09:37 AM (IST)
विद्यार्थियों को 50 हजार  मुआवजा देने के निर्देश
विद्यार्थियों को 50 हजार मुआवजा देने के निर्देश

जेएनएफ, जम्मू : हाईकोर्ट ने बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग एंड पैरामेडिकल साइंसेस को 2017 से दाखिल किए गए सभी विद्यार्थियों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

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हाईकोर्ट ने कहा कि अगर विद्यार्थियों को मुआवजा कम लगता है तो वे वाजिब मुआवजे की मांग कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने इंस्टीट्यूट को विद्यार्थियों से वसूली गई पूरी फीस भी वापस करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने दो महीने के भीतर यह भुगतान करने का निर्देश दिया है।

बाबा इंस्टीट्यूट को जेएंडके स्टेट पैरामेडिकल एंड नर्सिग काउंसिल ने वर्ष 2010 में अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी की थी। यह एनओसी एक सत्र के लिए जारी की गई थी। वर्ष 2017 में इंस्टीट्यूट के पास एनओसी नहीं थी। इसके बावजूद इंस्टीट्यूट ने विद्यार्थियों का दाखिला किया, लेकिन काउंसिल ने इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों की परीक्षा लेने से इन्कार कर दिया। इंस्टीट्यूट ने मौजूदा याचिका में अपील की थी कि वर्ष 2010 में जारी एनओसी के आधार पर उसके विद्यार्थियों की परीक्षा ली जाए। इंस्टीट्यूट का कहना था कि विद्यार्थियों ने जिला अस्पतालों में ट्रेनिग भी की, जिसकी फीस भी इंस्टीट्यूट ने जमा करवाई। अब विद्यार्थियों को परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिली तो नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। हाईकोर्ट ने इंस्टीट्यूट की इन दलीलों को दरकिनार करते हुए कहा कि इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए दाखिले गैर मान्यता प्राप्त हैं। जब इंस्टीट्यूट के पास काउंसिल की अनुमति ही नहीं थी तो उसने दाखिले कैसे किए। इसके लिए इंस्टीट्यूट पूरी तरह जिम्मेदार है, लिहाजा सभी विद्यार्थियों को पूरी फीस वापस करने के साथ 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट की सूची सार्वजनिक करे काउंसिल

जम्मू : हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य प्रशासन व काउंसिल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उच्च पदों पर विराजमान अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही ऐसी घटनाएं होती हैं। अब तकनीक का दौर है और काउंसिल अपनी वेबसाइट बनाकर सभी रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं करती? हर दाखिले से पूर्व काउंसिल समाचार पत्रों में रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं करती ताकि विद्यार्थी ठगी के शिकार न हों। इसके अलावा ऐसे सभी इंस्टीट्यूट में दाखिला प्रक्रिया को एक एजेंसी के नियंत्रण में लाना चाहिए ताकि इंस्टीट्यूट अपने स्तर पर दाखिला न कर सके। जगह-जगह खुल रही दुकानों पर लगे रोक

जम्मू : हाईकोर्ट ने शिक्षा के नाम पर जगह-जगह खुल रही दुकानों पर अंकुश लगाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे उतने ही युवा ऐसे कोर्स करें जिनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हों। अगर इसी तरह इंस्टीट्यूट अपने स्तर पर कोर्स करवाते रहे तो शिक्षित युवा बेरोजगार रहेंगे, जिससे उनमें निराशा ही पैदा होगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के फैसले का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जब देश में लॉ कॉलेजों की संख्या बढ़ गई तो काउंसिल ने तीन साल के लिए देश में नए लॉ कॉलेज खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया। काउंसिल का मानना था कि देश में पर्याप्त कॉलेज है और वकीलों की भी कोई कमी नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि इंजीनियरिग के मामले में कुछ उल्टा था। देश के कई हिस्सों में कॉलेज इसलिए बंद हो गए क्योंकि विद्यार्थी ही नहीं थे। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा केस का इससे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि शिक्षा देने वाले ये इंस्टीट्यूट दुकान बन कर न रह जाएं।


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