Lockdown Effect: हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा- हफ्ते में लॉकडाउन से बाहर आने का बनाएं एक्शन प्लान
सरकार की रिपोर्ट में कोरोना वायरस की रोकथाम व लॉकडाउन के पालन को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई थी लेकिन यह नहीं बताया गया कि लॉकडाउन के बाद जिंदगी कैसे होगी?
जेएनएफ, जम्मू : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए प्रशासन की ओर से ठोस रणनीति तैयार न किए जाने पर कड़ा एतराज जताया है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन कोरोना वायरस से निपटने व लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए उठाए जा रहे कदमों का तो विवरण दे रहा है, लेकिन लोगों को यह नहीं बताया जा रहा कि किस तरह से उन्हें लॉकडाउन से बाहर कैसे आना है। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर इस पर एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि जनता हमेशा के लिए तो लॉकडाउन में नहीं रह सकती, कभी न कभी तो उन्हें लॉकडाउन से बाहर आना ही है। ऐसे में लॉकडाउन हटने के बाद उन्हें कोरोना वायरस के साथ कैसे जीवनयापन करना है और कौन-कौन सी सावधानियां बरतते हुए रोजमर्रा के काम निपटाने हैं, इसे लेकर अभी से जागरूकता लाने व कदम उठाने की जरूरत है।
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस रजनीश ओसवाल ने स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, समाज कल्याण विभाग व जम्मू-कश्मीर स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव को एक सप्ताह के भीतर बैठक कर लॉकडाउन से बाहर आने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि समय रहते लोगों को यह बताना जरूरी है कि लॉकडाउन के बाद वे कौन से एहतियातन कदम उठाकर खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने 8 मई को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। सरकार की रिपोर्ट में कोरोना वायरस की रोकथाम व लॉकडाउन के पालन को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई थी, लेकिन यह नहीं बताया गया कि लॉकडाउन के बाद जिंदगी कैसे होगी? बेंच ने कहा कि इस रिपोर्ट से साफ है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक अधिकारी अभी तक लॉकडाउन के आगे की जिंदगी के बारे में नहीं सोच रहे। उन्हें यह एहसास नहीं कि कोरोना के साथ भी जिंदगी जीनी है। उन्होंने अभी तक इसे लेकर कोई योजना ही नहीं बनाई कि जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो किस तरह से औद्योगिक, व्यवसायिक व संस्थाओं की गतिविधियां आरंभ करनी है?
बेंच ने कहा कि यह तो अब तय है कि जनता को कोरोना के साथ भी जीने का अभ्यास करना होगा, ऐसे में जरूरी है कि जनता को जागरूक किया जाए कि किस तरह कोरोना के साथ जिंदगी को आगे बढ़ाना है। लिहाजा प्रशासन इसे लेकर ठोस नीति तैयार करके अगली सुनवाई तक बेंच को अवगत कराए।
- जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक अधिकारी अभी तक लॉकडाउन के आगे की जिंदगी के बारे में नहीं सोच रहे। उन्हें यह एहसास नहीं कि कोरोना के साथ भी जिंदगी जीनी है। - हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच