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बचपन पर बोझ बने स्कूली बच्चों के बैग को किया जाएगा हलका

हालत यह है कि कई प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को आवश्यक विषयों के अलावा कुछ अतिरिक्त ज्ञानवर्धक पुस्तकें भी पढ़नी पड़ती है। नन्हें बच्चों के कंधे बैग से दब कर रह गए है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 07:16 AM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 08:30 AM (IST)
बचपन पर बोझ बने स्कूली बच्चों के बैग को किया जाएगा हलका
बचपन पर बोझ बने स्कूली बच्चों के बैग को किया जाएगा हलका

जम्मू, सतनाम सिंह। राज्य में स्कूली बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। बच्चों के बैग का वजन इतना अधिक हो गया है कि बच्चे पढ़ाई के साथ नहीं बल्कि बैग के भार तले दब कर रह गए है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों से कहा है कि शिक्षा विभाग बच्चों के स्कूलों के बैगों और विषयों को पढ़ाने की प्रक्रिया को सुचारू बनाया जाए और नियमों का पालन करें।

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स्कूलों बच्चों के बैग का वजन कक्षा के हिसाब से तय किया गया है। पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को होम वर्क नहीं दिया जाए। पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को गणित और भाषा के अलावा कोई अन्य पुस्तके न पढ़ाई जाए। तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए एनसीईआरटी की ईवीएस और गणित पढ़ाया जाए। विद्यार्थियों से अतिरिक्त पुस्तकें और अन्य मैटेरियल न मंगवाया जाए। हालांकि यह आदेश तो केंद्र का है लेकिन राज्य सरकार ने बच्चों के स्कूलों के बैग का बोझ कम करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट आने वाली है। सरकार शीघ्र ही इस रिपोर्ट को लागू करने के लिए कदम उठाएगी।

डायरेक्टर स्कूल एजूकेशन जम्मू राकेश कुमार सरगंल का कहना है कि शिक्षा विभाग ने कुछ समय पहले बोर्ड आफ स्कूल एजूकेशन की चेयरपर्सन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी का मकसद स्कूली बच्चों के बैग के भार पर नियम समेत अन्य सुधार करने थे। अगले अकादमिक सत्र से पहले ही कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार का आदेश भी शीघ्र प्राप्त हो जाएगा। शिक्षा विभाग आदेश को अमल करने के लिए कदम उठाएगी।

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश अनुसार

  • पहली कक्षा से लेकर दूसरी कक्षा तक 1.5 किलोग्राम
  • तीसरी कक्षा से लेकर पांचवीं कक्षा तक 2 से 3 किलोग्राम
  • छठी कक्षा से लेकर सातवीं कक्षा तक 4 किलोग्राम
  • आठवीं और नौवीं कक्षा तक 4.5 किलोग्राम
  • दसवीं कक्षा 5 किलोग्राम

अतिरिक्त पुस्तकों को पढ़ाने पर रोक लगाना जरूरी

स्कूली बच्चों पर बैग का बोझ कुछ अधिक ही पड़ रहा है। हालत यह है कि कई प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को आवश्यक विषयों के अलावा कुछ अतिरिक्त ज्ञानवर्धक पुस्तकें भी पढ़नी पड़ती है। नन्हें बच्चों के कंधे बैग से दब कर रह गए है। पहली कक्षा के बच्चे को पांच किलोग्राम से अधिक भार का बैग उठाना पड़ता है। आठवीं नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को आठ नौ किलोग्राम का बैग उठाना पड़ता है। यूपीए सरकार के समय में भी केंद्रीय विद्यालयों में बच्चो के बैग का वजन कम करने के लिए नियम लागू किए गए थे लेकिन यह प्रक्रिया कुछ समय तक चल पाई। अलबत्ता प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले में केंद्रीय विद्यालयों में बच्चो के बैग का भर कम है। सख्त जरूरत यह है कि प्राइवेट स्कूलों में आवश्यक विषयों के अलावा अतिरिक्त पुस्तकों को पढ़ाने पर रोक लगाई जाए। नियमों का पालन हो।


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