स्वास्थ्य निदेशक ने किया खुलासा, कश्मीर में लड़कियां भी कर रही हैं मादक पदार्थों का सेवन
स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर डा. मुश्ताक अहमद का कहना है कि कश्मीर में लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी अफीम ब्राउन शूगर और शराब का सेवन कर रही हैं। यह सब चिंता का विषय है।उन्होंने कहा कि अभिभावकों और स्थानीय ग्रामीण समितियों को नशा करने वालों की पहचान करनी चाहिए।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर डा. मुश्ताक अहमद का कहना है कि कश्मीर में लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी अफीम, ब्राउन शूगर और शराब का सेवन कर रही हैं। यह सब चिंता का विषय है।
श्रीनगर में एक पत्रकार वार्ता में स्वास्थ्य निदेशक ने कहा कि विभाग के पास नशे को लेकर जो आंकड़े हैं, स्थिति उससे भी बदतर है। उप्न्होंने कहा कि कश्मीर में चिंताजनक तथ्य यह है कि लड़कों के साथ लड़कियां भी नशा कर रही हैं। अफीम, ब्राउन शूगर, शराब आम हो गई है। उन्होंने कहा कि अगर किसी में भी नशा लेने की लत के बारे में जल्दी पता चल जाए तो उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अभिभावकों और स्थानीय ग्रामीण समितियों को नशा करने वालों की पहचान करनी चाहिए। एक बार उसकी पहचान हो जाए तो उसका इलाज संभव है। जम्मू-कश्मीर में बने नशा मुक्ति केंद्रों में ड्रग पालिसी के तहत उनका उपचार किया जाता है।
डा. मुश्ताक ने कहा कि पुलिस को इसमें अहम भूमिका निभाते हुए ड्रग्स की सप्लाई करने वालों की चेन तोड़नी होगी। इसके बाद स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग नशा करने वालों का विभिन्न प्रकार की थेरेपी से इलाज करेगा। उन्होंने कहा कि कई ऐसी युवाओं की सफल कहानियां हें जिन्होंने ड्रग्स को डाक्टरों के इलाज के बाद पूरी तरह से छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 120 जिलों को चिन्हित कर उन्हें नशा मुक्त बनाने का आह्वान किया है। लेकिन अभी तक बीस जिलों में ही तत्काल कार्रवाई हो रही है। इनमें आठ जिले जम्मू-कश्मीर के हैं जहां पर ड्रग पालिसी लागू है। उन्होंने कहा कि पंजाब के बाद हम दूसरे राज्य हैं जहां पर ड्रग पालिसी 2019 से लागू है।
स्वास्थ्य निदेशक ने कहा कि आठ जिलों में एंटी ड्रग ट्रीटमेंट सुविधा है। इसके अलावा जिला स्तर पर भी नशा करने वालों का इलाज किया जाता है। कश्मीर में नशा बढ़ने के कारणों पर डा. मुश्ताक ने कहा कि बच्चों के सामने अभिभावकों की लड़ाई, बुरे दास्तों का साथ, तनाव ऐसे मुख्य कारण हैं। मनोचिकित्सों की भी बच्चों को नशे से दूर रखने की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वगों के लोगों को एकजुट होकर नशे के खिलाफ काम करना होगा।