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नारी सशक्तिकरण: माता पिता से प्रेरणा मिली कि भूखा न सोने पाए कोई

दिलों दिमाग पर समाज सेवा का नशा ऐसा चड़ा कि कालेज पहुंचने पर मैं गुरमीत कौर और मेरी बड़ी बहन रंजीत कौर ने स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों से घर से एक रोटी फालतू लाने को कहा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 11:40 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 09:27 AM (IST)
नारी सशक्तिकरण: माता पिता से प्रेरणा मिली कि भूखा न सोने पाए कोई
नारी सशक्तिकरण: माता पिता से प्रेरणा मिली कि भूखा न सोने पाए कोई

जम्मू, अवधेश चौहान। समाज में कोई भी बच्चा कुपोषण या बड़ा बूढ़ा भूखा न रहे यह सीख बचपन में मुझे मेरे माता पिता से मिली। पिता का ड्राइविंग इंस्टीट्यूट था। उन्हें शुरू समाज सेवा की ऐसी ललक थी कि कोई भी बच्चा या बड़ा भूखा न रहे। पिता जी शाम को घर लौटते थे, तो मां गुरदेव कौर काफी सारी रोटियां और सब्जी या दाल तैयार करती थीं। शाम को पिता के साथ मैं और मेरी बहन झुग्गी झाेपड़ी में रहने वाले लोगों को भोजन करवाते थे। अपने लालन पोषण के दौरान जो प्ररेणा हमें हमे माता पिता से मिली उसने हमारे जीवन को बदल दिया।

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दिलों दिमाग पर समाज सेवा का नशा ऐसा चड़ा कि कालेज पहुंचने पर मैं गुरमीत कौर और मेरी बड़ी बहन रंजीत कौर ने स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों से घर से एक रोटी फालतू लाने को कहा। कालेज में छुट्टी होने के बाद हम दोनों स्कूलों में रोटियां इकट्ठी करने पहुंच जाते थे। मां घर में सब्जी तैयार कर देती थी। यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। फिर सोचा कि समाज में अनपढ़ता जैसी कुरिति को दूर किया जाए। गुरमीत कौर कहती है कि में उस समय बी.टेक में थी तो हम दोनों बहनों ने शास्त्री नगर स्थित घर में ही झुग्गी झाेपड़ी के बच्चों को पढ़ना शुरू कर दिया। इस अभियान में कुछ और भी लोग जुड़ते गए। बच्चे जब गुड मार्निंग कहते थे तो उनके चेहरे पर एक चमक और विश्वास देख कर आत्मीय सुख मिलता, जिसे में शब्दों में बयान नही कर सकती। समाजिक कुरितियों को दूर करने का मेरा सफर यही खत्म नही हुआ।

मैंने एम.टेक करने के बाद मैंने सोशियोलॉजी में मास्टर्स डिग्री की और नेट का पेपर परीक्षा पास की तो मैंने इंसानियत और समाज के रिश्ते को बारीकी से जाना। हम दाेनों ने मासिकधर्म में महिलाओं को सफाई बरतने के लिए जागरूक किया। उन्हें निशुल्क में सेनेटरी नेपकिंन्स बांटने शुरू किए। वृद्ध आश्रम में जाकर उन बुर्जुगों का दर्द जाना कि उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है। दीवाली पर झोपड़ पट्टी के बच्चों के साथ पटाखे चलाना अब रूटीन बन गया है। गरीब पिता अवतार सिंह के नाम पर वर्ष 2014 में संस्था बनाई जो निरंतर निसस्वार्थ भावना से काम कर रही है।

रॉबिनहुड संस्था से जुड़ी है गुरमीत

गुरमीत कौर अब रोबिन हुड आर्मी नामक संस्था से जुड़ी हुई हैं, जो जम्मू सहित देश विदेश में कुपोषण को दूर करने के लिए काम कर रही है। संस्था के सदस्य होटलों, विवाह शादियों, घरों में पार्टी के दौरान जो खाना बच जाता है, संस्था के सदस्य खाना इकट्ठा कर रात को भूखे लोगों को खाना खिलाते हैं। देश में संस्था के 115 ग्रुप है, जिसमें 35 हजार सदस्य हैं। यह संस्था निसस्वार्थ 10 विदेशी मुल्कों के कुपोषित बच्चों को भोजन उपलब्ध करवाती है। सबसे ज्यादा मदद जयहिंद बेकरी वाले दे रहे है, जो रोजाना 20 किलों भोजन हमें देते हैं, रात में हमार ग्रुप रेलवे स्टेशन और झोपड़ पट्टी इलाकों में बांट रहे हैं। हमारे ग्रुप के एडमिन वीनस सेठी है, भोजन इकट्ठा करने के साथ इसे बांटने के लिए स्वयं हमारा नेतृत्व करते हैं।


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