एयरपोर्ट से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और जीएमसी जम्मू तक बनेगा ग्रीन कारिडोर, अब कम समय में अंग जरूरतमंद तक पहुंचेगा
राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हाल ही में किडनी प्रत्यारोपण और जीएमसी जम्मू में कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हुई थी लेकिन यहां पर हार्ट ट्रांसप्लांट से लेकर अन्य किसी भी अंग के प्रत्यरोपण की सुविधा नहीं है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। किसी भी मरीज के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अगर वे अंगदाता है तो उसके अंग जरूरतमंद मरीज तक पहुंचाने के लिए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल जम्मू, जीएमसी जम्मू से हवाई अड्डे जम्मू तक ग्रीन कारिडोर बनाया जाएगा। इसके लिए सभी संबंधित विभागों की एक अहम बैठक हुई और सभी ने इस पर सहमति भी जताई।
राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हाल ही में किडनी प्रत्यारोपण और जीएमसी जम्मू में कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हुई थी लेकिन यहां पर हार्ट ट्रांसप्लांट से लेकर अन्य किसी भी अंग के प्रत्यरोपण की सुविधा नहीं है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने अंगदान करना चाहता है तो देश के अन्य अस्पतालों में भर्ती जरूरतमंद मरीजों तक यह अंग पहुंचाए जाते हैं। इसके लिए एक निश्चित समय अवधि है। छह घंटों से लेकर 72 घंटों के बीच अलग-अलग अंगों को संबंधित अस्पतालों मेें पहुंचाया जाना चाहिए ताकि जरूरतमंद मरीज की जान बचाई जा सके।
मंगलवार को नागरिक उड्डयन विभाग ने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत मानव अंगों के परिवहन के लिए ग्रीन कारिडोर के निर्माण के संबंध में हवाई अड्डे के निदेशक संजीव कुमार गर्ग की अध्यक्षता में जम्मू हवाई अड्डे पर बैठक आयोजित की। इसमें स्टेट आर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के संयुक्त निदेशक डा. संजीव पुरी ने राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू से मानव अंगों के परिवहन के लिए ग्रीन कारिडोर के बारे में एक विस्तृत पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि बिना किसी देरी के निर्धारित घंटों के भीतर जरूरतमंद रोगी को सफलतापूर्वक अंग प्रत्यारोपित किया जा सके, इसके लिए ग्रीन कारिडोर बनाने की जरूरत है।
ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर इरफान अहमद ने किसी व्यक्ति को अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित किए जाने और अंग दाता बनने के बाद होने वाली प्रक्रिया के बारे में बताया। निदेशक जम्मू हवाई अड्डे ने इस नेक काम के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। बैठक में डीएस डैनियल धनराज कमांडेंट सीआइएसएफ एयरपोर्ट और उनके सहायक कमांडेंट आरएस जम्वाल, इंडिगो और स्पाइसजेट एयरलाइंस की ओर से सुखदेव सिंह और दीपक आनंद, एयरपोर्ट मैनेजर रवि रमन और अर्चना कौल, मेडिकल आफिसर मोहित कपूर, सुहैब खान भी मौजूद थे। बैठक का समापन सभी सदस्यों द्वारा अंग दाता बनने के लिए शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के साथ हुआ।
क्या है ग्रीन कारिडोर
ग्रीन कॉरिडोर असल में अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस, ट्रैफिक पुलिस के आपसी सहयोग से अस्थायी रूप से तैयार किया जाने वाला एक रूट होता है। जब भी अस्पताल से हवाई अड्डे और हवाई अड्डे से अस्पताल तक कोई मानव अंग मरीज में प्रत्यरोपण के लिए पहुंचाना होता है तो उस दौरान पूरी ट्रैफिक को रोक कर रास्ता खाली करवाया जाता है ताकि कम समय में अंग को जरूरतमंद मरीज के पास पहुंचाया जाए। इसमें जिस बाक्स में अंग को हवाई अड्डे पहुंचाया जाता है, उसकी कहीं पर जांच भी नहीं होती है। संबंधित दोनों अस्पतालों की टीमों में भी आपसी समन्वय बना रहता है।