जम्मू और कश्मीर में दो माह में पूरी होगी रोहिंग्या की बायोमीट्रिक्स पहचान : राज्यपाल
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि किश्तवाड़ में भाजपा नेता अनिल परिहार और उनके भाई की हत्या में लिप्त आतंकियों की पहचान भी कर ली गई है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को कहा कि राज्य में बसे रोहिंग्या की बायोमीट्रिक्स गणना और उनकी पहचान का काम शुरू हो चुका है। इसे दो महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किश्तवाड़ में भाजपा नेता अनिल परिहार और उनके भाई की हत्या में लिप्त आतंकियों की पहचान भी कर ली गई है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें राज्य में आम लोगों तक पहुंच बनाकर बातचीत का माहौल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
हत्यारों की पहचान हुई, जल्द होंगे गिरफ्त में
राज्यपाल मलिक ने किश्तवाड़ में पिछले हफ्ते भाजपा नेता अनिल परिहार व उनके भाई की हत्या पर दुख जताते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य में निकाय चुनाव के शांतिपूर्ण तरीके संपन्न होने से आतंकी और सीमा पार बैठे उनके मालिक हताश हो गए हैं।
ऐसे में उन्होंने लोगों को पंचायत चुनाव से दूर रखने के लिए यह हत्या कराई हैं। यह शत प्रतिशत आतंकी वारदात है। पुलिस ने इस हत्याकांड में लिप्त आतंकियों की पहचान कर ली है, उन्हें जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
चूहों की तरह बिल में घुस गए हैं आतंकी
किश्तवाड़ घटना का पंचायत चुनावों पर असर संबंधी सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि निकाय चुनाव की तरह यह चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होंगे। आतंकी इनमें कोई खलल नहीं डाल सकेंगे। आतंकी चूहों की तरह अपने बिल में घुस गए हैं।
शांति बहाली के पक्षधर सभी से बातचीत को तैयार
स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती पर राज्यपाल ने कहा कि यहां हालात में सुधार हुआ है। बीते तीन-चार महीने में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। आतंकवाद तो जहन में होता है और इससे निपटने के लिए इसकी जड़ों का इलाज जरूरी है।
मैं यहां प्रधानमंत्री के संदेश और उद्देश्य के साथ आया हूं। उन्होंने मुझे यहां सभी तक पहुंच बनाकर बातचीत लायक माहौल बनाने का जिम्मा दिया है। राज्य में शांति बहाली का जो भी पक्षधर है, हम उससे बातचीत को तैयार हैं।
नेकां व पीडीपी को हो रहा गलती का अहसास
नेकां और पीडीपी के चुनावों से दूर रहने पर राज्यपाल ने कहा कि कारगिल काउंसिल में इन दोनों दलों ने अनुच्छेद 35ए को मुद्दा नहीं बनाया और चुनाव लड़े, लेकिन निकाय चुनावों में यह इसी बहाने के आधार पर बाहर रहे। दोनों को अब अपनी गलती का अहसास हो रहा है। पंचायत चुनावों में यह लोग आगे आ रहे हैं।