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उमर-महबूबा पर क्यों बरसे राज्यपाल? पढ़ें क्या रहे कारण!

राज्यपाल ने कहा कि जब वह जम्मू कश्मीर में आए तो उन्हें पता चला कि यहां ज्यादा भ्रष्टाचार है। उन्होंने 150-150 करोड़ के दो प्रोजेक्ट रद किए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 01:41 PM (IST)
उमर-महबूबा पर क्यों बरसे राज्यपाल? पढ़ें क्या रहे कारण!
उमर-महबूबा पर क्यों बरसे राज्यपाल? पढ़ें क्या रहे कारण!

जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल सत्यपाल मलिक किसान मेले में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के उपप्रधान उमर अब्दुल्ला पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं का पंचायतों और लोगों के सशक्तीकरण से कोई लेना देना नहीं है। वे केवल अपना सशक्तिरण चाहते हैं। राज्य में जब पंचायत चुनाव करवाने थे तो वह प्रोटोकाल तोड़ महबूबा और अपनी उम्र से छोटे उमर अब्दुल्ला के घर गए थे। उनसे निकाय व पंचायत चुनावों में भाग लेने के लिए कहा, पर उन्होंने मना कर दिया। उन्हें लगा कि चुनाव स्थगित हो जाएंगे। कोई भी चुनाव हों कश्मीर में 50 से 60 लोग मरते हैं। गत वर्ष श्रीनगर संसदीय चुनाव में नौ लोगों की मौत हुई थी। इसमें फारूक अब्दुल्ला विजयी रहे थे। सुरक्षाबलों ने शांतिपूर्वक चुनाव करवाए।

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भट्राचार खत्म करना मुश्किल: राज्यपाल ने कहा कि जब वह जम्मू कश्मीर में आए तो उन्हें पता चला कि यहां ज्यादा भ्रष्टाचार है। उन्होंने 150-150 करोड़ के दो प्रोजेक्ट रद किए। इनमें कई लोग भ्रष्टाचार में शामिल थे। वह सारा भ्रष्टाचार तो खत्म नहीं कर सकते लेकिन जब तक रहेंगे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए काम करते रहेंगे। जब से वह आए हैं तब से हर सप्ताह पांच से छह बच्चों को नौकरी देते हैं। यह वे बच्चे हैं जिनके माता-पिता आतंकी गतिविधियों में मारे गए। मुख्य सचिव की ओर से नियुक्ति आदेश जारी कर दिए जाते हैं। यह शर्मनाक है कि उन युवाओं को तब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलता जब तक अधिकारियों को नियुक्ति आदेश के लिए एक लाख नहीं मिल जाते।

सालों से एक ही जगह काम कर रहे कई अधिकारी

यहां कई अधिकारी पंद्रह-पंद्रह साल से सचिवालय में हैं। उन्हें कभी एक दल का तो कभी दूसरे का संरक्षण मिला। उनके पास अभी भी दो मामले आए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव को कहा है कि इनके काम बंद हो जाएं नहीं तो चीफ विजिलेंस के पास भेज दूंगा। फिर भी कुछ नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री को लिखूंगा कि चार-पांच लोगों को मेरे कहने पर जेल में भेज दो। नहीं तो राज्य में सुधार नहीं होगा। जम्मू कश्मीर में कोई उद्योग कैसे लगाए। लोग कहते हैं कि हर राज्य में तीन फीसद कमीशन मांगी जाती है, लेकिन यहां 10 से 12 फीसद कमीशन मांगते हैं।

संविधान के दायरे में मांगों, मोदी सब देंगे

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान के दायरे में रह कर जो मर्जी मांगोंगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब कुछ देंगे। वह जम्मू और कश्मीर के लोगों से बहुत प्यार करते हैं। जब बाढ़ आई थी तो उन्होंने जहाज पानी में उतार दिए थे। उसी सेना को अब आप पत्थर मारोगे। इस सोच को बदलने की जरूरत है। यह सारी समस्या दिल्ली के कुछ पहले के शासकों की है जिन्होंने यहां पर गलत लोगों को बिठाया। कुछ स्थानीय नेता भी समस्या की जड़ हैं। वे दिल्ली में कुछ और तो जम्मू में कुछ और बोलते हैं। वे ऐसे सपने बेचते हें जो पूरे नहीं हो सकते।

आतंकवाद के खिलाफ समझौता नहीं

राज्यपाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं। हमारी सेना हर दिन दो तीन आतंकवादियों को मार रही है। हमारी सेना विश्व में चौथे नंबर है। तीन सौ युवा उसे नहीं हरा सकते। हुर्रियत को बता दिया है कि हिंन्दोस्तान को नहीं तोड़ सकते तो भारतीय संविधान के तहत काम करो। राज्यपाल ने कहा कि एलटीटी विश्व में सबसे मजबूत आतंकी संगठन था। उसे दस देशों का समर्थन था। वह कुछ नहीं कर सके और खत्म हो गए। यहां के नेता यह जानते हैं। वे चाहते हैं कि यहां के युवा मरते रहें और वे दिल्ली पर दबाव बनाते रहें। उन्होंने पंचायत चुनाव करवा कर दिखा दिया है। अगर आप गोली चलाओगे तो बदले में गुलदस्ता नहीं जाएगा।

मरने की खबर से पहले स्यापा

राज्यपाल ने कहा कि यहां के कुछ राजनीतिक दल भी युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। अभी आतंकवादी की मौत की खबर भी नहीं आई होती है तो एक दल की अध्यक्षा उसके घर में पहुंच कर स्यापा कर देती है। बर्फबारी में पत्थरबाजी करते हैं, सुरक्षाबलों से हथियार छीनने की कोशिश करते हैं। यह कौन सी समझादारी है। अगर फौज की पीठ में छुरा मारोगे तो वे चुप बैठेंगे।

लगता है मेरी कलम ज्यादा देर चलेगी

राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन अधिक देर तक चलने के भी संकेत दिए। वैसे तो उनकी कलम दो महीने तक चलेगी, लेकिन यह चार महीने भी हो सकती है। यहां के कुछ नेताओं के लक्षण ही ऐसे हैं। एक कहता है जल्दी चुनाव करवाओ तो दूसरा देरी से करवाने की बात कहता है। चुनाव करवाने का फैसला तो चुनाव आयोग को ही करवाना है। उन्होंने महबूबा से कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर जो वादे किए थे, उन्हें बताएं वह पूरा कर देंगे। उमर से भी यही कहा। लगता नहीं कि उमर को कोई रुचि है।

दुनिया में कहीं जन्नत है तो कश्मीर में है

राज्यपाल ने कहा कि कुछ नेता युवाओं को गुमराह कर रहे हैं कि उन्हें मरने के बाद जन्नत मिलेगी। मौलवियों के जरिए यह समझाया जा रहा है कि उन्हें जन्नत मिलेगी। यह उनका आना धार्मिक मामला है। परंतु दुनिया में अगर कहीं जन्न्त है तो कश्मीर में है। आओ और इसमें राज करो। एक अच्छे मुसलमान के तौर पर काम करो। अच्छी जन्नत मिलेगी। बंदूक से कुछ नहीं मिलेगा।

उमर तिलमिला उठे, बेहुदा शब्दावली का इस्तेमाल न करें

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्यपाल महोदय बेहुदा शब्दाबली का इस्तेमाल न करें। आप जिस पद पर हो, आपको यह कहना शोभा नहीं देता। यह सिर्फ उसके लिए मेरा सम्मान है जो कि मैं वह नहीं कह रहा जो कि आपसे मिलने के दौरान बात हुई थी। कृप्या राजनीति करना छोड़ दें और अपने काम पर ध्यान दें। 


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