JK: बिल अदायगी में सरकारी विभाग फिसड्डी, प्रदेश में इन विभागों पर 5935 करोड़ रूपये की देनदारी
राज्य में जेपीडीसीएल व केपीडीसीएल की देनदारी करीब 9321.71 करोड़ रुपये है। करोड़ों रुपये की देनदारी के बाद भी सरकारी व केंद्र विभागों को नियमित बिजली सप्लाइ दी जा रही है।
जम्मू, राहुल शर्मा। राज्य की आर्थिक दशा बिगाड़ रहे जम्मू पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (जेपीडीसीएल) को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास नाकाफी हैं। हर साल देनदारी के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए घरेलू, कमर्शियल या उद्योगपति ही कसूरवार नहीं हैं। जेपीडीसीएल के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि राज्य के सरकारी व केंद्र विभाग ही बढ़ते घाटे का मुख्य कारण है। सही मायनों में यही जेपीडीसीएल के सबसे बड़े देनदार हैं।
राज्य में जेपीडीसीएल व केपीडीसीएल की देनदारी करीब 9321.71 करोड़ रुपये है। इनमें सरकारी व केंद्र विभागों की ही देनदारी 64 फीसद यानी 5935.04 करोड़ रुपये है। इसके बावजूद कारपोरेशन के अधिकारियों के पास देनदारी को वसूलने और नियमित बिल अदायगी के सिस्टम को सुचारु बनाने के लिए कोई योजना नहीं है। वे इन विभागों की बिजली भी नहीं काट सकते। करोड़ों रुपये की देनदारी के बाद भी सरकारी व केंद्र विभागों को नियमित बिजली सप्लाई दी जा रही है।
कारपोरेशन से मिली जानकारी के अनुसार जम्मू संभाग के विभिन्न जिलों में स्थित सरकारी व केंद्र विभागों के कार्यालयों को जेपीडीसीएल को 4070.84 करोड़ रुपये देने हैं। इसी तरह कश्मीर संभाग में इनकी देनदारी करीब 1864.20 करोड़ है।
घरेलू उपभोक्ताओं की देनदारी 1924.34 करोड़ रुपये
जम्मू-कश्मीर में घरेलू उपभोक्ताओं की देनदारी करीब 1924.34 करोड़ रुपये है। इनमें जम्मू संभाग के घरेलू उपभोक्ताओं को 1095.95 करोड़ जबकि कश्मीर संभाग के उपभोक्ताओं को केपीडीसीएल को 823.39 करोड़ रुपये चुकाने हैं। यह देनदारी सरकारी व केंद्र विभाग के मुकाबले एक तिहाई है। इसके बावजूद घरेलू उपभोक्ताओं से बकाया बिल वसूलने के लिए विभाग सख्त कदम उठाता है, लेकिन उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली सप्लाई नहीं मिलती।
कमर्शियल उपभोक्ताओं को देने हैं 1662.33 करोड़ रुपये
कमर्शियल उपभोक्ताओं पर देनदारी करीब 1662.33 करोड़ रुपये है। जम्मू संभाग के कमर्शियल उपभोक्ताओं को जहां जेपीडीसीएल को 880.52 करोड़ रुपये जबकि कश्मीर संभाग के कमर्शियल उपभोक्ताओं को केपीडीसीएल को 581.81 करोड़ रुपये देने हैं। सरकार के अनुसार 9321.71 करोड़ रुपये की कुल देनदारी में जम्मू संभाग के सरकारी, केंद्र विभागों के अलावा घरेलू व कमर्शियल उपभोक्ताओं पर 6047.31 करोड़ रुपये की देनदारी है। कश्मीर में इनकी देनदारी करीब 3274.40 करोड़ रुपये है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिजली घाटे के लिए घरेलू उपभोक्ता नहीं बल्कि केंद्र व सरकारी विभाग ही अधिक जिम्मेदार हैं।
सरकारी-केंद्र विभागों के लिए नहीं एमनेस्टी योजना
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घरेलू व कमर्शियल उपभोक्ताओं से बकायाजात वसूलने के लिए नौ मार्च से एमनेस्टी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत उपभोक्ता को पुराने बकाया बिल की मूल राशि का ही भुगतान करना है। यानी बिल पर हर माह लगने वाला सूद उन्हें नहीं चुकाना होगा। प्रशासन का कहना है कि इस योजना से उन्हें अभी तक की देनदारी पर करीब 600 करोड़ रुपये नुकसान होगा, लेकिन यह योजना सरकारी व केंद्र सरकार के लिए नहीं है। अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि ये दोनों ही विभाग सरकार के हैं और सरकार जब चाहे इस देनदारी को चुकता कर सकती है।
बिजली विभाग राजस्व वसूली के लिए जारी कर रहा नोटिस
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुराने बिल वसूलने के लिए केवल उपभोक्ताओं पर ही दबाव नहीं डाला जाता है। चालू वित्त वर्ष के दौरान बिजली विभाग द्वारा राजस्व वसूली अभियान के दौरान देनदार सरकारी व केंद्र विभागों को भी नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस के बाद कई विभागों ने कुछ राशि जमा भी करवाई थी। नोटिस के बाद जिन्होंने बिल जमा नहीं कराए, पहली बार उनके कनेक्शन भी काटे गए। वित्तीय वर्ष के समापन पर बकाया राशि की सूची सरकार को सौंप दी जाएगी। यदि सरकार का आदेश होगा तो बिजली बिल न देने वाले विभागों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।