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भंग नहीं हो रही राज्य विधानसभा : राज्यपाल

राज्य ब्यूरो/एजेंसी, जम्मू : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार को कहा कि बेशक जम्मू कश्मीर र

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 08:29 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 08:29 AM (IST)
भंग नहीं हो रही राज्य विधानसभा : राज्यपाल
भंग नहीं हो रही राज्य विधानसभा : राज्यपाल

राज्य ब्यूरो/एजेंसी, जम्मू :

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राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार को कहा कि बेशक जम्मू कश्मीर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन राज्य विधानसभा फिलहाल भंग नहीं हो रही है। उन्होंने विधानसभा को निलंबित रखने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि कम से कम विधायक अपने क्षेत्रों की रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने में समर्थ तो हैं।

राज्यपाल ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा-पीडीपी की गठबंधन सरकार भंग होने के बाद विभिन्न दलों ने गठजोड़ कर सरकार बनाने के प्रयास किए, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखकर नहीं लगता कि निलंबित विधानसभा को बहाल कर कोई लोकप्रिय सरकार बनेगी। किसी भी दल के पास सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं है। हम किसी को सरकार बनाने के लिए गैर संवैधानिक कदम उठाने की इजाजत नहीं देंगे। राज्यपाल का यह बयान राज्य में पर्दे के पीछे विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा आपस में गठजोड़ कर सरकार बनाने की जारी अटकलों के बीच आया है।

राज्यपाल ने कहा कि निकट भविष्य में मौजूदा विधानसभा के जरिए नयी सरकार के गठन की कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन मैं लोगों को उनके विकास के अधिकार से वंचित नहीं रखना चाहता। विधायक अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास और लोगों के मामलों को हल करने में अपने प्रयास जारी रख सकते हैं। इसलिए मैंने विधायकों के सीडीएफ के इस्तेमाल के अधिकार को बहाल किया है। गौरतलब है कि पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने 19 जून को पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार भंग होने के बाद राज्य विधानसभा को निलंबित करने के साथ ही विधायकों के सीडीएफ पर भी रोक लगा दी थी। सत्यपाल मलिक ने न सिर्फ विधायकों के लिए सीडीएफ के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की बल्कि उन्हें राज्य में विकास योजनाओं के उद्घाटन का भी अधिकार दिया था। राज्यपाल शासन को छह माह से ज्यादा विस्तार नहीं :

राज्य में अगले माह राष्ट्रपति शासन लागू होने के संबंध में पूछे जाने पर मलिक ने कहा कि यह तो राज्यपाल शासन के छह माह पूरे होने पर अपनायी जाने वाली एक नियमित संवैधानिक और प्रशासनिक प्रक्रिया है। जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, राज्यपाल शासन को छह माह से ज्यादा विस्तार नहीं दिया जा सकता।


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