Vijay Mashaal in J&K: अखनूर डिवीजन में दिखा स्वर्णिम विजय वर्ष का जोश, 1971 के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
वर्ष 1971 के युद्ध में अखनूर सेक्टर में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाते हुए शहीद हुए सैन्यकर्मियों को मंगलवार को सेना की अखनूर डिवीजन मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में सलामी दी गई। विजय मशाल के सम्मान में अखनूर डिवीजन की रक्ख मुट्ठी ब्रिगेड में कार्यक्रम हुए थे।
जम्मू,राज्य ब्यूरो । वर्ष 1971 के युद्ध में अखनूर सेक्टर में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाते हुए शहीद हुए सैन्यकर्मियों को मंगलवार को सेना की अखनूर डिवीजन मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में सलामी दी गई।
सेना की स्वर्णिम विजय मशाल के सम्मान में अखनूर में हुए कार्यक्रम में जीओसी मेजर जनरल राजीव गढीहोक ने शहीदों को सलामी देने के साथ पचास साल पहले अखनूर सेक्टर में पाकिस्तान से लड़ाई में भारतीय सेना के वीरता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जम्मू से लेकर सियाचिन ग्लेशियर तक युद्ध में भारतीय वीरों द्वारा दिखाए गए साहस का भी जिक्र किया। इस दौरान सेना के जवानों ने शस्त्र उलटे कर देश पर कुर्बान हुए शहीदों को सलामी दी।इस मौके पर अखनूर डिवीजन की वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
सेना की उत्तरी कमान की सोलह कोर की टाइगर डिवीजन अखनूर व साथ लगते सुंदरबनी सेक्टर के इलाकों में नियंत्रण रेखा की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है। अखनूर डिवीजन मुख्यालय से पहले विजय मशाल के सम्मान में अखनूर डिवीजन की रक्ख मुट्ठी ब्रिगेड में कार्यक्रम हुए थे। अब आठ मई से विजय मशाल अखूनर से लगते राजौरी जिले के नौशहरा क्षेत्र में प्रवेश कर जाएगी। विजय मशाल के सम्मान में सीमांत राजौरी व पुंछ जिलों में कार्यक्रम होंगे।
दिल्ली से 16 दिसंबर 2020 को रवाना हुई विजय मशाल ने जम्मू कश्मीर के प्रवेशद्वार लखनपुर से 4 अप्रैल को प्रवेश किया था। करीब एक महीने तक कठुआ, सांबा व जम्मू जिले के मिलिट्री स्टेशनों में कार्यक्रम के बाद राजौरी पुंछ में कार्यक्रम होंगे। इसके बाद विजय मशाल वहां से रियासी जिले में ले जाई जाएगी।