Sanskarshala Facebook : जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे, बच्चों को दे अच्छे संस्कार
डा. आरती ने कहा कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। हो सकता है बच्चा जो आज व्यवहार आपसे कर रहा होवही व्यवहार आपने अपने माता-पिता से किया हो। हो सकता है कि बच्चा आज जो कुछ भी कर रहा है वह उसने आप से ही सीखा हो।
जम्मू, जागरण संवाददाता : दैनिक जागरण के संस्कारशाला फेसबुक लाइव पर शिक्षिका डा. आरती दुरानी ने संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार देने की सलाह अभिभावकों को दी। उन्होंने कहा कि बच्चे को जैसी सीख दोगे, बच्चा वैसा ही बनेगा। इस लिए बेहतर यही है कि बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार दो ताकि आगे चलकर बच्चा संस्कारी बनें और एक अच्छा इंसान बनें।
डा. आरती दुरानी ने इस मौके पर कहा कि यह तो सब जानते ही हैं कि जैसा बोओगे, वैसा ही काटेगा। लोग भली भांति यह जानते हैं लेकिन इस पर अमल कोई नहीं करता। उन्होंने कहा कि अकसर लोग शिकायत करते हैं कि बच्चे उनकी बात नहीं सुनते। वह उनका कहा नहीं मानते लेकिन असल यह है कि हमने ही बच्चों को ऐसा बनाया है। हम बच्चों को समय रहते सीख नहीं दे पाए कि माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। उन्हें यह नहीं सीखा पाए कि क्या अच्छा और क्या बुरा है। डा. आरती ने कहा कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। हो सकता है बच्चा जो आज व्यवहार आपसे कर रहा हो, बीते कल वही व्यवहार आपने अपने माता-पिता से किया हो। हो सकता है कि बच्चा आज जो कुछ भी कर रहा है, वह उसने आप से ही सीखा हो। इसलिए बच्चे के सामने
ऐसा कुछ न करें जिससे कल आपको परेशानी हो। बच्चे के आदर्श उसके माता-पिता और परिवार के सदस्य होते हैं। इसलिए बच्चों का अच्छा आदर्श बनें। उनके साथ समय बिताएं। उन्हें अच्छी अच्छी बात बताएं। उनको अच्छा साहित्य पढ़ने को दें। डा. दुरानी ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक भी बच्चे पर प्रभाव छोड़ते हैं। ऐसे में शिक्षकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ अच्छे बुरे का ज्ञान भी दें। उन्हाेंने कहा कि इस समय बच्चों का अधिकतर समय घर में ही बीत रहा है। आनलाइन पढ़ाई हो रही है। ऐसे में बच्चे घर से ही सीख रहे हैं। माता-पिता को ही बच्चों के गुरू की भूमिका भी निभानी है। उनके साथ सामंजस्य बनाकर रखें। गलती होने पर डांटें नहीं बल्कि प्यार से समझाएं। यकीन मानिए प्यार से बच्चा बहुत जल्दी सीख जाता है सिर्फ खुद पर विश्वास रखने की आवश्यकता है।