Jammu Kashmir Domicile : पहले टुकड़ों में बंटी थी जिंदगी अब हुआ एक का एहसास
Jammu Kashmir Domicile Certificate जम्मू की निवासी परीक्षा ने कहा कि मेरे पति कौशल की फैक्टरी गांधीनगर गुजरात में हैं। वह जम्मू कश्मीर में अपनी एक फैक्टरी लगाना चाहते थे। पति के लिए डोमिसाइल तभी मिलता जब वह 15 साल जम्मू कश्मीर में रहते।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : (पार्ट-1) : सच पूछो तो आज अपने आप मेें सुरक्षा और विश्वास की एक नयी भावना को महसूस करती हूं। पहले जिंदगी टुकड़ों में बंटी होने का एहसास होता था, अब उससे हमेशा के लिए निजात मिल गई है। अब निश्चिंत हुई, अपने और अपने परिवार के भविष्य को लेकर। स्थानीय निवासी सुगंधा पठानिया ने जम्मू कश्मीर की किसी डोमिसाइल धारक लड़की की प्रदेश के बाहर शादी करने पर उसके पति को भी डोमिसाइल का अधिकार मिलने पर संतोष और खुशी जताते हुए कहा।
सुगंधा के पति मनीष पठानिया ने कहा कि हमारा परिवार जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश, दो जगह बंटा हुआ है। पहले स्टेट सब्जेक्ट के कारण कई दिक्कतें थी, फिर डोमिसाइल की शर्ते पूरा करना मुश्किल हो रहा था। बच्चों के भविष्य को लेकर आशंकित रहते थे। मेरा अपना बिजनेस है, जिसे मैं चाहकर भी नहीं बढ़ा पाता था, अब ऐसा नहीं होगा। पत्नी और बच्चों का डोमिसाइल तो बन गया था, लेकिन मेरा बनने में दिक्कत थी। अब यह दिक्कत दूर हो गई है। मैं अपने कारोबार को अब जम्मू कश्मीर में आसानी से आगे बढ़ा सकता हूं। चाहूं तो हिमाचल से यहां पूरा कारोबार स्थानांतरित कर लूं। जो असुरक्षा की भावना थी, वह समाप्त हुई है। यह सिर्फ किसी परिवार के विकास तक सीमित नहीं है, जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार का यह फैसला तो एक तरह से जम्मू कश्मीर में कारोबारी गतिविधियों को भी बढ़ाएगा। मैं यहां बहुत से ऐसे परिवारों को जानता हूं जिनकी बेटियां पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के नामी व्यापारिक परिवारों में ब्याही गई हैं, लेकिन वह यहां की व्यवस्था के कारण निवेश करने से बचते थे। अब वह ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि जिसने जम्मू कश्मीर की बेटी से शादी की है, वह अब डोमिसाइल माना जाएगा और वह बिना किसी डर यहां निवेश करेगा। वहीं, सुगंधा ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह फैसला जम्मू कश्मीर में पूंजी निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा।
पार्ट-2 : जम्मू की निवासी परीक्षा ने कहा कि मेरे पति कौशल की फैक्टरी गांधीनगर, गुजरात में हैं। वह जम्मू कश्मीर में अपनी एक फैक्टरी लगाना चाहते थे। पति के लिए डोमिसाइल तभी मिलता, जब वह 15 साल जम्मू कश्मीर में रहते। ऐसा करने के लिए हमें गुजरात में अपना सबकुछ बेचकर जम्मू आना पड़ता। फिर जम्मू में कारोबार लगाना मुश्किल होता। ऐसे हालात में कई पारवारिक, सामाजिक व आॢथक दिक्कतें भी पैदा होती। आज जो सुविधा मिली है, वह वाकई क्रांतिकारी है। अब मेरे पति को जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल प्राप्त करने, उन्हेंं जम्मू-कश्मीर में निवेश करने से कोई नहीं रोक सकता। हम सोलर पैनल के निर्माण की एक इकाई जम्मू में लगाने पर विचार कर रहे हैं।
पार्ट-3 : स्थानीय निवासी मोहम्मद इमरान ने कहा कि यह फैसला बहुत सही है। मेरे एक परिचित हैं, उनके कारेाबारी मित्र मेरठ में रहते हैं। वह अपने बेटे की शादी मेरे परिचित की बेटी से करना चाहते थे, लेकिन बात अटक गई, क्योंकि लड़के का डोमिसाइल नहीं बनता। मुझे लगता है कि अब यह रिश्ता हो जाएगा। इसी तरह मेरी चचेरी बहन असमा खान की शादी मलेरकोटला, पंजाब में हुई है। उसके पति अबरार चाहते हैं कि वह यहां आकर बसे, क्योंकि यहां का माहौल उन्हेंं अच्छा लगता है, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहे थे, कारण आपको पता है। अब वह जरूर यहां आकर बसेंगे। सरकार का यह फैसला जम्मू कश्मीर के सामाजिक, आॢथक विकास का रास्ता तैयार करने वाला है।
पार्ट-4 : स्थानीय निवासी डा. विजय शर्मा ने कहा कि डोमिसाइल को लेकर जो फैसला अब हुआ है, यह बहुत पहले होना चाहिए था। आप यकीन नहीं करेेंगे, लेकिन सच है, हमारे साथ कई काबिल लड़कियां एमबीबीएस की पढ़ाई करती थीं। इनमें से अधिकांश शादी के बाद दिल्ली, मुंबई अपने पति के साथ चली गई। अगर वह यहां होतीं तो जम्मू कश्मीर के चिकित्सा जगत में योगदान कर रही होंती।