Jammu: कचरा निस्तारण व्यवस्था ने बढ़ा दी प्रतिष्ठानों की प्रतिष्ठा, साल में 6 लाख किलो कचरा निस्तारण हो रहा
सालिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्टसर्प डॉ. जफर इकबाल का कहना है कि प्रतिदिन सौ किलो से ज्यादा कचरा पैदा करने वालों को अपनी मशीन लगाना अनिवार्य है।
जम्मू, अंचल सिंह: मंदिरों के शहर जम्मू के कई होटल व प्रतिष्ठान स्वयं कचरा निस्तारण कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। केसी रेजीडेंसी, वेवमॉल समेत शहर के करीब डेढ़ दर्जन प्रतिष्ठान व होटल वालों ने कचरे से खाद बनाने की मशीनें लगा रखी हैं। इन मशीनों के लगाने के बाद यहां से निकलने वाले कचरे को नगर निगम को सौंपने अथवा खुले में फेंकने की नौबत नहीं आती। कचरे से खाद तैयार हो जाती है और इसका इस्तेमाल पार्क, गमलों में कर होटल व प्रतिष्ठान हरियाली ला रहे हैं।
करीब दो साल पहले जम्मू नगर निगम ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देशों पर सभी प्रतिष्ठानों, होटलों, संस्थानों को निर्देश दिए थे कि वे अपने कचरे का स्वयं निस्तारण करें। जिन प्रतिष्ठानों, संस्थानों, होटलों का प्रतिदिन सौ किलो से ज्यादा कचरा निकलता है, उन्हें इन निर्देशों का अनुपालन करना था। इतना ही नहीं जम्मू नगर निगम ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू करते हुए जुर्माने भी किए थे। नतीजतन शहर में डेढ़ दर्जन के करीब प्रतिष्ठानों ने अपनी खाद बनाने की मशीनें लगा लीं। अब यह प्रतिष्ठान शहर की स्वच्छता में अपना योगदान दे रहे हैं।
छह लाख किलो कचरा लग रहा ठिकाने: शहर में करीब 20 प्रतिष्ठान मशीनें लगाकर स्वयं कचरे से खाद बना रहे हैं। साल में करीब 6 लाख किलो कचरा निस्तारण इन्हीं के प्रयासों से हो रहा है। प्रतिदिन 100 किलो से ज्यादा वाले प्रतिष्ठान को स्वयं कचरे के निस्तारण के प्रबंध करने अनिवार्य हैं। फिलहाल बीस के करीब प्रतिष्ठान ही आगे बढ़े हैं। निगम की टीमें भी शेष होटलों, प्रतिष्ठानों से कचरा उठाती हैं।
5 से 10 लाख रुपये में लगाई मशीन: कचरे से खाद बनाने की मशीन करीब 3.5 लाख रुपये से 50 लाख रुपये में मिलती है। शहर में 5 से 10 लाख रुपये की लागत वाली मशीनें इन संस्थानों, प्रतिष्ठानों ने लगाई हैं। इस मशीन में शाम को कचरा डाल दिया जाता है। सुबह इस कचरे का चूरा बन चुका होता है। इस चूरे को फिर टोकरी में निकाला जाता है। ऐसी दर्जन भर टोकरियां होती हैं। एक-एक करके टोकरे भरे जाते हैं। टोकरे में चूरा डाल दिया जाता है। इसमें हल्का पानी फेंका जाता है। करीब दस दिन में खाद तैयार हो जाती है। रूटीन में एक के बाद एक टोकरी की खाद तैयार होती है। संस्थान इस खाद से गमलों, पार्क में पेड़-पौधे उगाते हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण भी होता है।
यह कर रहे हैं कचरा निस्तारण
- केसी रेजीडेंसी होटल
- अमर सिंह क्लब
- वेदास बैँक्वेट हाल
- वेवमॉल
- लाडर्स इन
- होटल फारच्युन रवैरा
- जम्मू क्लब
- सिग्नेट पार्क एशिया होटल
- होटल रेडीसन
- होटल टीआरजी
- होटली रमादा
- पहलवान स्वीट्स
- आरबीआई फ्लैट्स
- होटल लैमन ट्री
- रायल पार्क बैंक्वेट हाल
- उत्सव बैंक्वेट हाल
पर्यावरण संरक्षण में बढ़ रहे कदम
सालिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्टसर्प डॉ. जफर इकबाल का कहना है कि प्रतिदिन सौ किलो से ज्यादा कचरा पैदा करने वालों को अपनी मशीन लगाना अनिवार्य है। लिहाजा जागरुक करने और सख्ती के बाद बीस के करीब लोग इस समय मशीनें लगाकर कचरे का निस्तारण कर रहे हैं। यह कचरा शहर में नहीं आता। प्रतिष्ठानों, संस्थानों में ही इससे खाद बना दी जाती है। इससे पर्यावरण तो सुरक्षित हो ही रहा है, निगम को भी सुविधा होती है। ऐसे ही जब हर कोई आगे कदम बढ़ाएगा तो शहर स्वच्छ बन जाएगा।