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साबरमती की तर्ज पर सूर्यपुत्री तवी को विकसित करने की याेजना तो बनी पर काम शुरू नहीं हुआ

शहर की जीवनदायिनी सूर्यपुत्री तवी नदी सरकारी की बेरुखी के कारण प्रदूषण का जहर पीने पर विवश है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 01:46 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 01:46 PM (IST)
साबरमती की तर्ज पर सूर्यपुत्री तवी को विकसित करने की याेजना तो बनी पर काम शुरू नहीं हुआ
साबरमती की तर्ज पर सूर्यपुत्री तवी को विकसित करने की याेजना तो बनी पर काम शुरू नहीं हुआ

जम्मू, जेएनएन : शहर की जीवनदायिनी सूर्यपुत्री तवी नदी सरकारी की बेरुखी के कारण प्रदूषण का जहर पीने पर विवश है। ऑलम यह है कि सरकार ने सूर्यपुत्री तवी नदी को साबरमती की तर्ज पर विकसित करने की योजना तो बनाई है लेकिन पिछले छह महीनों से इस पर काम ही शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में शहर के 14 बड़े नालों की गंदगी से सूर्यपुत्री तवी नदी प्रदूषित हो रही है।

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जम्मू शहर की गंदगी को ठिकाने लगाने के लिए साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट भले ही शुरू हो गया है। इससे अब भगवती नगर में तवी किनारे कचरा नहीं फेंका जा रहा है लेकिन जब तक तवी नदी को नालों की गंदगी से मुक्त नहीं किया जाता तब तक इस दिशा में किए जाने वाले प्रयास सार्थक साबित नहीं होंगे।

अब हालत यह है कि आज भी सारे शहर की गंदगी नालों से होते हुए तवी नदी में जा रही है। नालों को तवी में पड़ने से रोकने के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणाएं पिछले एक दशक से हो रही हैं लेकिन ऐसा कोई प्रोजेक्ट फिलहाल सिरे नहीं चढ़ा। ठीक इसके विपरीत कुछ माह पूर्व यूनिवर्सिटी रोड से एक नाले को निकालते हुए विक्रम चौक में लाकर तवी नदी में डाल दिया गया है। अमरूट योजना के तहत ऐसे ही नालों का निर्माण हो रहा है लेकिन इन्हें तवी नदी में ही डाला जा रहा है।

वहीं जम्मू नगर निगम ने हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद तवी नदी किनारे भगवती नगर में कचरा फेंकना तो बंद कर दिया है लेकिन अभी भी इसके किनारों में कचरे के ढेर फेंके जा रहे हैं। इतना ही नहीं इसका खनन भी पूरी तरह रुक नहीं पाया है। करोड़ों रुपये खर्च कर तवी किनारे महाराजा हरि सिंह पार्क तो बनाया गया लेकिन इसके आसपास तवी में नालों से गिरती गंदगी बदबू फैला रही है।

प्रदूषण फैला रहा कचरा 

जम्मू शहर से प्रतिदिन करीब 400 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसका वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण अभी तक शुरू नहीं हो सका। पहले भगवती नगर में इस कचरे को फेंका जाता था। अब इसे कोट भलवाल के कालागाम में फेंका जा रहा है। शहर की गंदगी तो प्रदूषण का सबब बन ही रही है। सबसे घातक अस्पतालों से निकलने वाला सैकड़ों टन डीग्रेडेबल और नॉन-डीग्रेडेबल वेस्ट भी है। सबसे घातक नॉन-डीग्रेडेबल वेस्ट होता है जो नष्ट नहीं होता और वातावरण के लिए काफी संक्रमित होता है। इस वेस्ट से कई बीमारियां जैसे एग्जिमा, तपेदिक, कैंसर, एलर्जी, अस्थमा आदि फैलती हैं।

तवी बनेगी आकर्षण का केंद्र

जेडीए के वीसी पीएस राठौर का कहना है कि सरकार जल्द ही साबरमती प्रोजेक्ट को शुरू कर तवी नदी को संरक्षित कर देगी। कृत्रिम झील भी बन जाएगी तो यही तवी हर किसी के आकर्षण का केंद्र बन जाएगी। तवी के किनारे महाराजा हरि सिंह पार्क अभी से लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है। आने वाले वर्षों में तवी सभी को आकर्षित करेगी। 


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