श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को शनिवार को उस समय एक और बड़ा झटका लगा,जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और दो बार के विधायक पूर्व मंत्री अब्दुल हक खान ने अपने इस्तीफे का एलान किया।

उत्तरी कश्मीर में जिला कुपवाड़ा के लोलाब विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 और 2014 में लगातार दो बार पीडीपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अब्दुल हक खान ने देर शाम गए एक बयान जारी कर कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए मैं अपनी सभी राजनीतिक गतिविधियां पूरी तरह बंद कर रहा हूं।

खान ने कहा कि पिछले चार सालों के दौरान जम्मू-कश्मीर की स्थिति में कई बदलाव हुए जिसकी वजह से पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। मुझे लगता है कि मेरे पास करने के लिए अब कुछ नहीं बचा है। मैंने भी राजनीति से अपने नाते को सार्वजनिक करने की जरूरत महसूस नहीं की। वह पार्टी गतिविधियों से पूरी तरह से अलग थे। हालांकि तकनीकी रूप से वह इस दौरान भी पीडीपी का हिस्सा थे, लेकिन पार्टी ने भी मेरे स्थान पर मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में अन्य उम्मीदवार नामांकित कर दिया था।

पार्टी की इस कार्रवाई ने कई अफवाहों और अटकलों को जन्म दिया, जिसने मेरे परिवार और शुभचिंतकों को आहत किया। इन अटकलों पर विराम लगाने के लिए ही मैंने पार्टी से अपने इस्तीफे को सार्वजनिक करने का फैसला किया।

आज के बाद मेरा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है। मैं पार्टी की प्राथमिका सदस्यता और अन्य सभी ओहदों से इस्तीफा देता हूं। बीते दो वर्ष के दाैरान पीडीपी के लगभग दो दर्जन पूर्व विधायक और पूर्व एमएलसी और वरिष्ठ नेता अपना पाला बदल जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स कांफ्रेंस और कांग्रेेस का दामन थाम चुके हैं। 

खान से पहले जो बड़े नेता अब तक पीडीपी से नाता तोड़ चुके हैं उनमें पूर्व मंत्री दिलावर मीर, रफी अहमद मीर, जफर इकबाल, अब्दुल मजीद पाडर, राजा मंजूर खान, कमर हुसैन, अब्दुल रहीम राथर, जावेद हुसैन बेग, सुरिंदर चौधरी आदि शामिल हैं।

माना जा रहा है कि खान के पार्टी छोड़ने से पीडीपी उत्तरी कश्मीर में कमजोर होगी। खान का वहां काफी प्रभाव है। यही नहीं खान के पार्टी से चले जाने के बाद उनके सैकड़ों समर्थकों सहित कुछ और नेता भी पीडीपी से किनारा कर सकते हैं।

Edited By: Rahul Sharma