कश्मीर में विदेशी मेहमान भर रहे शांति की उड़ान, कई मुल्कों की सरहद लांघकर आए मेहमान मार्च तक यहां रुकेंगे
होकरसर में ज्यादातर साइबेरिया उत्तरी यूरोप रूस तुर्की कजाकीस्तान अफगानिस्तान और उत्तरी चीन से प्रवासी पक्षी आते हैं। इफशान दीवान ने बताया कि प्रवासी पक्षियों के झुंड का नेतृत्व सबसे अनुभवी और मार्ग को पहचानने वाला पक्षी करता है। अन्य पक्षी उसके पीछे चलते हैं।
श्रीनगर, जेएनएन : कश्मीर में इस समय जहां देखो वहां ही आपको विदेशी मेहमान नजर आएंगे। हालांकि ऐसा पहली बार देखने को नहीं मिल रहा है लेकिन बावजूद इसके इतनी ज्यादा संख्या में इस बार विदेशी मेहमान कश्मीर में आए हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें कश्मीर में पहली बार देखा गया है जबकि अन्य विदेशी मेहमानों को हर वर्ष इन दिनों कश्मीर का मौसम बरबस अपनी ओर खींच लेता है।
जीं हां हम बात कर रहे हैं कश्मीर में विदेशों से आए उन विशेष मेहमानों की जिन्हें आने के लिए न तो किसी पासपोर्ट की जरूरत है और न ही वीजा की। बस पंख फैलाते ही अपने साथियों संग हजारों मील की उड़ान भरते हुए कश्मीर आना है। कश्मीर में इस समय करीब चार लाख विदेशी मेहमान अपना डेरा जमा चुके हैं। डल, वुल्लर, छतलाम और होकरसर समेत वादी के तमाम वेटलैंड में इन्हें देखा जा सकता है। सुबह और शाम के समय तो ऐसा लगता है जैसे इन्होंने आसमान पर कब्जा कर लिया है। इनकी चहचहाट से पूरा इलाका गूंज उठता है। मानो कश्मीर में यह शांति का संदेश दे रहे हों। यह विदेशी मेहमान कोई और नहीं बल्कि प्रवासी पक्षी हैं, जो किसी भी मुल्क की सरहद को नहीं मानते। इस बार इन मेहमानों में टुंड्रा हंस समेत 20 प्रजातियों के पखेरु शामिल हैं, जो पहले कभी कश्मीर में नहीं देखे गए।
होकरसर को कश्मीर का सबसे बड़ा वेटलैंड माना जाता है, बीते एक माह के दौरान करीब डेढ़ लाख प्रवासी पक्षी यहां आ चुके हैं। होकरसर में सर्दियों के दौरान आठ लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षी आते हैं। इस समय हैगाम और शालबुग में लगभग 50 हजार, वुल्लर में लगभग 60 हजार, छतलाम और डल झील मेें करीब एक लाख प्रवासी पक्षी अपना डेरा जमा चुके हैं। इन प्रवासी पक्षियों में से अधिकांश मार्च तक कश्मीर में ही रहेंगे। कई प्रवासी पक्षी जनवरी-फरवरी में कश्मीर से अन्य इलाकों में चले जाते हैं।
ये पक्षी पहुंचे घाटी :
वेटलैंड वाइल्ड लाइफ वार्डन इफशान दीवान ने बताया कि इस समय चार लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षी विभिन्न वेटलैंड में जमा हो चुके हैं। सबसे ज्यादा होकरसर में ही हैं। अब तक जो प्रवासी पक्षी यहां पहुंचे हैं, उनमें मुख्य रूप से गीज, मालर्ड, पोचार्ड, गडवाल, वेडर, कूट और आम चैती के अलावा ग्रेलेग गीज, विंजज, शोवेलेर्स, टील्ज और ब्राह्मणी डक्स शामिल हैं। ये प्रवासी पक्षी हर साल यहां आते हैं।
ये पक्षी पहली बार दिखे :
इफशान दीवान ने बताया कि हार्पे टेल्ड सैंडपाइपर, ग्लासी आइबिस, डनलिन, रेड नेकेड फालारोप, येलो हैमर, टुंड्रा स्वान, ब्लैक टेल्ड गाडविट, बार टेल्ड गाडविट, स्पाटेड रेडशेंक, केंटिश प्लोवर, पैसिफिक गोल्डन प्लोवर, लेसर सैंड प्लोवर, टेरेक सैंडपाइपर, कर्ल सैंडपाइपर, रफ, कामन रेडशेंक, कामन ग्रीनशेंक, जैक स्निप, पिन टेल्ड स्निप, कामन स्निप, लिटिल स्टेंट पक्षियों को पहली बार यहां देखा गया है। वेटलैंड कर्मियों के साथ काम कर रहे वर्ड वाचर रियान सोफी और हमारे विशेषज्ञों ने इन प्रजातियों को चिन्हित किया है।
शिकारियों को रोकने के लिए विशेष दल :
इफशान दीवान ने बताया कि पहली बार कश्मीर में देखे गए करीब डेढ़ दर्जन प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों की आदतों का पता लगाने के लिए भी एक दल बनाया गया है। उन्होंने बताया कि वेटलैंड और आसपास के इलाकों में जहां यह प्रवासी पक्षी दिन के समय दाना चुगने जाते हैं, वहां शिकारियों को रोकने के लिए विशेष दल बनाए गए हैं। इसमें पुलिस के अलावा पर्यावरणविदों की भी मदद ली जा रही है।
विदेशी मेहमानों को देखने के भी प्रबंध :
इफशान ने कहा कि हमने इन विदेशी मेहमानों को देखने आने वालों के लिए भी प्रबंध किए हैं। होकरसर वेटलैंड में मौजूद एक कर्मी ने बताया कि हमने वेटलैंड को अलग-अलग ब्लाक में बांट रखा है। प्रत्येक ब्लाक का क्षेत्रफल बराबर होता है और जब किसी ब्लाक में पक्षी बैठे होते हैं तो हम उस समय उनकी गणना करते हैं। एक पक्षी के लिए डेढ़ फुट का दायरा रखते हैं।
रूस और उत्तरी चीन से भी आते हैं पक्षी :
होकरसर में ज्यादातर साइबेरिया, उत्तरी यूरोप, रूस, तुर्की, कजाकीस्तान, अफगानिस्तान और उत्तरी चीन से प्रवासी पक्षी आते हैं। इफशान दीवान ने बताया कि प्रवासी पक्षियों के झुंड का नेतृत्व सबसे अनुभवी और मार्ग को पहचानने वाला पक्षी करता है। अन्य पक्षी उसके पीछे चलते हैं। जब वह थक जाता है तो दूसरा उसका स्थान लेता है।