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Kishtwar Machail Yatra: 35 साल में पहली बार गुपचुप तरीके से किश्तवाड़ पहुंची मचैल माता की छड़ी

छड़ी यात्र के स्वागत के लिए सारे बाजार रंग-बिरंगी झंडियां लगाई जाती थीं। कहीं छबीलें तो कहीं प्रसाद बांटा जाता था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 11:28 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 11:28 AM (IST)
Kishtwar Machail Yatra: 35 साल में पहली बार गुपचुप तरीके से किश्तवाड़ पहुंची मचैल माता की छड़ी
Kishtwar Machail Yatra: 35 साल में पहली बार गुपचुप तरीके से किश्तवाड़ पहुंची मचैल माता की छड़ी

किश्तवाड़, संवाद सहयोगी। पिछले 35 साल में पहली बार देखने को मिला कि मचैल माता की पवित्र छड़ी यात्र गुपचुप तरीके से पूरी हो गई। शाम छह बजे तक किसी को पता नहीं था कि मचैल यात्र की छड़ी किश्तवाड़ आ रही है। जैसे ही शहर में पुलिस की हरकत होने लगी तो लोगों का ध्यान सड़क पर गया। तब पाया कि पुलिस के वाहन के पीछे यात्र का त्रिशूल एक वाहन पर रखा गया है। लोग माथा टेकने के लिए आगे बढ़े। छड़ी बाजार से गुजरती हुई डीसी दफ्तर की तरफ रवाना हुआ। डीसी अंग्रेज सिंह राणा और एसएसपी डॉ. हरमीत सिंह ने छड़ी पूजन किया। छड़ी यात्र रात गलहार में रुकने के बाद गुलाबगढ़ के लिए रवाना होगी।

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हालांकि किश्तवाड़ इलाके में 1990 के दशक में आंतकवाद चरम सीमा पर था तब भी यात्र की पवित्र छड़ी इस तरीके से नहीं चली लेकिन इस वर्ष यात्र की छड़ी के चुपचाप जाने पर किश्तवाड़ के लोगों को काफी ठेस पहुंची है। रविवार को 18 अगस्त का दिन था यह वह दिन होता है जब किश्तवाड़ के लोग सुबह से बाजार को सजाने में लग जाते थे। छड़ी यात्र के स्वागत के लिए सारे बाजार रंग-बिरंगी झंडियां लगाई जाती थीं। कहीं छबीलें तो कहीं प्रसाद बांटा जाता था। इस दौरान किश्तवाड़ में उत्सव जैसा माहौल होता था जो इस बार नहीं दिखा। 


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