फुटबॉल खेल को बढ़ावा देगी पांच सदस्यीय एडहॉक कमेटी
जागरण संवाददाता, जम्मू : डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन (डीएफए) जम्मू को भंग कर देने के बाद गठित 13 सदस
जागरण संवाददाता, जम्मू : डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन (डीएफए) जम्मू को भंग कर देने के बाद गठित 13 सदस्यीय एडहॉक कमेटी ने पांच सदस्यीय एडहॉक कमेटी के पदाधिकारियों का चयन कर लिया है। इनका काम जम्मू संभाग में फुटबॉल गतिविधियों को बढ़ावा देना है ताकि संभाग के सभी जिलों में फुटबॉल की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के एकसमान अवसर मिल सकें।
जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष जमीर अहमद ठाकुर ने पांच सदस्यीय एडहॉक कमेटी के पदाधिकारियों के नाम पर अपनी अंतिम मुहर भी लगा दी है। जम्मू जिला फुटबॉल एडहॉक कमेटी का चेयरमैन नरेंद्र गुप्ता को बनाया गया है। अरुण पाल सिंह को वाइस चेयरमैन, यूसुफ डान को सचिव, भारत भूषण को संयुक्त सचिव और मोहित वर्मा को कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एडहॉक कमेटी के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन का मुख्य काम जिलों में फुटबॉल गतिविधियों को बढ़ावा देना है। ऐसा वे सभी सदस्यों की सहमति के बाद ही कर सकेंगे। एडहॉक सचिव और कोषाध्यक्ष जिला इकाइयों को जारी किए जाने वाले फंड और वित्तीय लेनदेन का पूरा हिसाब रखेंगे। संयुक्त सचिव जम्मू संभाग की जिला कमेटियों के साथ होने वाली बैठकों की जानकारी डीएफए एडहॉक कमेटी के सदस्यों को देंगे।
एडहॉक कमेटी का मुख्य काम जिला फुटबॉल गतिविधियां करवाने से पहले कमेटी के पांचों सदस्यों की लिखित रूप से अनुमति लेना आवश्यक होगा। अगर कोई सदस्य सही तरह से कामकाज नहीं करेगा तो फिर अन्य पदाधिकारियों में आम राय बनने के बाद उसे हटाया भी जा सकेगा।
गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को जम्मू संभाग में फुटबॉल गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देने का खामियाजा देर से ही सही आखिरकार डिस्ट्रिक्ट फुटबॉल एसोसिएशन (डीएफए) जम्मू को उठाना ही पड़ा था। जम्मू संभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 55 में से 49 क्लब के प्रतिनिधियों द्वारा डीएफए जम्मू के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकने के बाद जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन (जेकेएफए) के दबाव में आकर डीएफए जम्मू को भंग कर दिया गया था और उसके तीनों पदाधिकारियों को अपनी सदस्यता से त्यागपत्र भी देना पड़ा था। 55 में से 49 को वोट देने का अधिकार
जम्मू संभाग में करीब 55 क्लब में से 49 क्लब के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन के चुनाव में वोट करने का अधिकार है। इन्हीं क्लब के सदस्यों ने डीएफए जम्मू द्वारा जम्मू संभाग के सभी 10 जिलों में फुटबॉल खेल को बढ़ावा नहीं देने पर आपत्ति जताई थी। इतना ही नहीं टीम चयन के दौरान जम्मू संभाग के खिलाड़ियों को नजरअंदाज करना, संतोष ट्रॉफी फुटबॉल के लिए ट्रायल आयोजित करने के बावजूद जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन की हाई कमान द्वारा भेजी गई खिलाड़ियों की सूची में शामिल खिलाड़ियों को ही उत्तराखंड में गत महीने आयोजित संतोष ट्रॉफी में भेजना एक प्रमुख वजह रही। सदस्यों का कहना था कि जेकेएफए का मुख्य काम जम्मू-कश्मीर में फुटबॉल खेल को बढ़ावा देना है। इसके लिए स्पोर्ट्स काउंसिल की ओर से उन्हें करोड़ों रुपये की राशि जारी की जाती रही। इसके बावजूद जेकेएफए ने हिमाचल प्रदेश में सितंबर में संपन्न हुई लड़कों के वर्ग की अंडर-14 सब जूनियर फुटबॉल प्रतियोगिता और आंध्र प्रदेश में आयोजित महिला वर्ग की सीनियर नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जम्मू-कश्मीर की टीम नहीं भेजी। जो खेल के दृष्टिकोण से गंभीर मामला है।
नाराज पूर्व खिलाड़ियों ने इस संदर्भ में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में जेकेएफए के अध्यक्ष जमीर ठाकुर को पूरे मामले से अवगत करवाया था। उनके दबाव में आने के बाद ही डीएफए जम्मू को भंग कर दिया गया था। डीएफए जम्मू के अध्यक्ष शेख महमूद, महासचिव यूसुफ डान और कोषाध्यक्ष राजेश द्वारा अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया गया। इसके बाद जम्मू संभाग के पंजीकृत क्लबों के सदस्यों द्वारा 13 सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन किया गया था।