Kupwara Encounter: जांबाजों ने बर्फ, बारिश और अंधेरे को हराकर ढेर किए घुसपैठिये, चुनौतीपूर्ण था रंगडोरी अभियान
चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया कि रंगडोरी अभियान अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण था। इस अभियान को पूरा करने वाले मैं अपने जवानों को बधाई देता हूं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर समुद्र तल से करीब पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित रंगडोरी, केरन में खून जमा देने वाली ठंड, बर्फ से ढकी चोटियां, बारिश और अंधेरा। परिस्थितियां पूरी तरह से स्वचालित हथियारों से लैस आतंकियों के साथ थी। आतंकी जहां बैठे थे, वहां से वह अपनी तरफ आने वाले किसी को भी आसानी से निशाना बना सकते थे। इसके बावजूद सेना की 4 पैरा का कमांडो दस्ता रुका नहीं, उसने घुसपैठियों के ठिकाने से बाहर आने का इंतजार करने के बजाय उन्हें उनके ठिकाने पर ही मार गिराने का फैसला किया।
पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रशिक्षित पांचों घुसपैठिये एक अप्रैल को खराब मौसम की आड़ में भारतीय सीमा में घुसे थे। बुधवार को पहली बार जब वह घेराबंदी में फंसे तो करीब तीन घंटे मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि वह वापस भाग निकले होंगे। अलबत्ता, शनिवार की शाम चार बजे रंगडोरी में उन्होंने सेना के एक गश्ती दल को अपनी तरफ आते देख फार्यंरग कर दी। आतंकियों ने सर्दी में निचले इलाके में गुज्जर समुदाय द्वारा खाली छोड़ी गई एक ढोक में ठिकाना बना रखा था, जो दावर नाले के पास थी।
...और आतंकियों के सामने जा गिरे: घुसपैठियों को मार गिराने के लिए सेना की 4 पैरा के कमांडो दस्ते ने जिम्मा संभाला। यह दस्ता शनिवार को ही जुमगुंड पहुंचा था। हैलीकाप्टर के जरिए यह जवान पहाड़ी पर पहंचे। उन्होंने आतंकियों की गोलियों की परवाह किए बगैर पहाड़ी से नीचे उनके ठिकाने की तरफ बढ़ना शुरू किया। इसी दौरान बर्फ का एक बड़ा तोंदा टूट गया और जवान उसके साथ सीधे आतंकियों के सामने जा गिरे।
फिर शुरू हो गई आमने-सामने की लड़ाई: बर्फ के साथ आतंकियों के सामने गिरते ही जवानों ने खुद को किसी तरह से संभाला और फिर आतंकियों के साथ आमने सामने की लड़ाई में शुरू हो गई। इस दौरान जवानों ने पांचों घुसपैठियों को मार गिराया। इस दौरान तीन जवान मौके पर ही शहीद हो गए। दो अन्य घायल जवानों ने अस्पताल में शहादत पाई। शहीद जवानों में हिमाचल प्रदेश के सूबेदार संजीव कुमार और पैरा ट्रूपर बालकृष्ण, उत्तराखंड के हवलदार देवेंद्र्र सिंह व पैरा ट्रूपर अमित कुमार और झुंझनू राजस्थान के पैरा ट्रूपर छत्तरपार्ल ंसह शामिल हैं।
बड़ी साजिश की फिराक में घुसे थे: कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि जिन परिस्थितियों में पांचों घुसपैठियों को मार गिराया गया है, वह बहुत ही कठिन थीं। मारे गए घुसपैठिए किसी भी तरह से सामान्य आतंकी नहीं थे। उनके पास से हथियारों का जो जखीरा मिला है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि वह यहां किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए ही विशेष तौर पर भेजे गए थे। वह किसी प्रशिक्षित सैन्य कमांडों की तरह ही लैस थे।
यह जखीरा मिला: रंगडोरी में मारे गए आतंकियों से पांच असाल्ट राइफलें, पांच एके मैगजीन, छह हथगोले, छह यूबीजीएल ग्रेनेड, एक गारमीन जीपीएस, एक आईकॉम रेडियो सेट, एक अल्ट्रा रेडियो सेट, दो मोबाइल फोन, एक घड़ी, दो आधार कार्ड, एक चार्जर और एक ब्लूटूथ हैंडसेट मिला है।
चिनार कोर में शहीदों को श्रद्धांजलि: रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि केरन आपरेशन में शहीद हुए सेना के पांचों जवानों को सोमवार को चिनार कोर मुख्यालय में श्रद्धाजंलि दी गई। चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू समेत सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों व जवानों ने पुष्पचक्र अर्पित किए। इसके बाद पांचों शहीदों के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ उनके परिजनों के पास पहुंचाए गए।
रंगडोरी अभियान अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण था: लेफ्टिनेंट जनरल: चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने बताया कि रंगडोरी अभियान अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण था। इस अभियान को पूरा करने वाले मैं अपने जवानों को बधाई देता हूं। घुसपैठ पहली अप्रैल की सुबह हुई थी। उसी दिन आतंकी एक नाले की तरफ भाग निकले थे। अगले दो दिन तक पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया। उनके भागने के सभी रास्ते बंद किए गए। अभियान के दौरान एक आतंकी एलओसी की तरफ भागा, उसे जल्द ही मार गिराया गया। अन्य आतंकियों के साथ नजदीकी लड़ाई हुई। मारे गए आतंकी पूरी तरह प्रशिक्षित थे। उनके पास से जो सामान मिला है, उससे पता चलता है कि वह यहां किसी बड़ी वारदात को ही अंजाम देने के लिए आए थे। उन्होंने कहा कि इस घुसपैठ से पाकिस्तान के इरादों को समझा जा सकता है। इस समय पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है और वह यहां आतंकियों को खून खराबा करने के लिए घुसपैठ करा रहा है।