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    कश्मीर में पहली बार वेद पंचमी पर गूंजे मंत्र, विशाखापत्तनम से आए 108 वेदज्ञाताओं ने पाठ किया

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 05 Jul 2022 08:10 AM (IST)

    Kheer Bhawani Temple Kashmir कश्मीर टेंपल केर्यंरग कमेटी (केटीसीसी) के संयोजक भरत रैना ने बताया कि कश्मीर तभी से है जब से भारत और भारत की सनातन संस्कृति है। वेद हमारे राष्ट्र भारत की सनातन धार्मिक मान्यताओं का मूल हैं।

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    मंदिर प्रांगण में लहराती केसरिया पताकाओं को देखें यह सनातन की बहाली की घोषणा नहीं तो और क्या है।

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : मां क्षीर भवानी मंदिर में सोमवार को वैदिक मंत्र व श्लोक गूंजते ही पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। कश्मीर में पहली बार वेद पंचमी पर्व पर विशाखापत्तनम से आए 108 वेदज्ञाताओं ने पूरे विधि विधान के साथ वेदपाठ किया। इस मौके पर जम्मू कश्मीर में अमन शांति के लिए प्रार्थना भी की। काफी संख्या में श्रद्धालु भी भक्तिरस में डूबे रहे।

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    माधव शर्मा के नेतृत्व में आए वेद ज्ञाताओं ने गांदरबदल के तुलमुला में स्थित मंदिर में जमा श्रद्धालुओं को वेदों की महिमा से भी अवगत कराया और बताया कि जब से यह सृष्टि है, वेद विद्यमान हैं। वेदों का अध्ययन जहां मानव को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, वहीं यह जीवन की जटिलताओं को हल करने का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। वेद और भारत की सनातन संस्कृति एक दूसरे के पर्याय हैं।

    कश्मीर टेंपल केर्यंरग कमेटी (केटीसीसी) के संयोजक भरत रैना ने बताया कि कश्मीर तभी से है जब से भारत और भारत की सनातन संस्कृति है। वेद हमारे राष्ट्र भारत की सनातन धार्मिक मान्यताओं का मूल हैं। आज ही के दिन इनकी उत्पति हुई थी इसलिए हमने सप्तऋषि चैरिटेबल ट्रस्ट विशाखापत्तनम से संपर्क किया और फिर वहां से 135 का एक दल कश्मीर में वेदपाठ के लिए रवाना हुआ। इनमें से 105 वेदज्ञाता शामिल थे। माधव शर्मा इनका नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन वह तेलुगू और संस्कृत के अलावा किसी अन्य भाषा में बात नहीं करते हैं। अनुष्ठान से पूरा वातावरण आध्यात्मिक बना हुआ है।

    मंत्रों से सनातन की पुनर्बहाली का संदेश : क्षीर भवानी में वेदपाठ से पूर्व तीन जुलाई को श्रीनगर के बादामी बाग सैन्य मुख्यालय में स्थित शिव मंदिर में ऋग्वेद का मंत्रोच्चार किया था। वेदपाठ के अलावा वेद ज्ञाताओं ने यहां विधि विधान के साथ श्रीयंत्र की आकृति का भी निर्माण किया और उसके बाद सभी शादीपोरा स्थित संगम पर पहुंचे। शादीपोरा को कश्मीर का प्रयागराज पुकारा जाता है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहीं पर वितस्ता में अमरनाथ की पहाड़ियों से निकलने वाली सिंध नदी का मिलन होता है। मां क्षीर भवानी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण से प्रफुल्लित चुन्नी लाल ने कहा कि यह यहां सनातन की पुनर्बहाली का संदेश है। मौजूदा समय में भी कश्मीर में स्थिति लगभग वैसी ही है। यहां वेदों का पाठ करने आए, वेदों का ज्ञान देने आए संत भी दक्षिण भारत से हैं। यहां चारों तरफ मंदिर प्रांगण में लहराती केसरिया पताकाओं को देखें यह सनातन की बहाली की घोषणा नहीं तो और क्या है।