पहली बार रामलीला में अनुसूचित जाति की इस लड़की ने अभिनय कर इतिहास रच दिया
समाज में लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं। रामलीला में अमूमन पुरुष ही सभी किरदारों को निभाते हैं, लेकिन कठुआ जिले में पहली बार रामलीला मंचन में एक लड़की ने अभिनय कर इतिहास रच दिया। अनुसूचित जाति की इस लड़की ने अपनी कला का लोहा मनवाया।
जम्मू, करुण शर्मा । समाज में लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं हैं। रामलीला में अमूमन पुरुष ही सभी किरदारों को निभाते हैं, लेकिन कठुआ जिले में पहली बार रामलीला मंचन में एक लड़की ने अभिनय कर इतिहास रच दिया। अनुसूचित जाति की इस लड़की ने अपनी कला का लोहा मनवाया।
भड्डू पंचायत के जोड़न गांव की रहने वाली 20 वर्षीय बबली देवी के पिता शाम लाल एक मिस्त्री हैं और माता वैष्णो देवी अशिक्षित हैं और घरेलू कामकाज देखती हैं। बबली देवी ने भड्डू की राम नाटक क्लब में भीलनी के किरदार को निभाया। उसका कहना है कि राम नाटक क्लब भड्डू के प्रधान यशपाल गोस्वामी ने उसे रामलीला में कोई किरदार निभाने के लिए प्रेरित किया।
गोस्वामी ने कहा कि आज यहां बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया जा रहा है। क्यों न बेटियां रामलीला में भी भाग लें। उन्होंने उसे प्रेरित किया और उसने भीलनी, मंथरा और सीता की सखी का किरदार निभाया। बबली का कहना है कि यहां रामलीला में पुरुष ही होते हैं।
उसे पहले अकेली लड़की होने के कारण हिचकिचाहट जरूर हुई। यहां तक कि मुहल्ले की महिलाओं ने उसे यह कहकर रामलीला में काम करने से रोका कि यह मर्दो का काम है। वह अकेली लड़की कहां मर्दो के बीच काम कर सकेगी, लेकिन उसे यशपाल गोस्वामी की याद रही कि वह अपने भाई, चाचा व दादा के बीच रहेगी। उसने बताया कि अगले साल और भी लड़कियां उसे देख रामलीला में काम करेगी।
लड़की को जिले भर की किसी रामलीला में अभिनय करने का पहला मौका भड्डू की रामा नाटक क्लब ने दिया है। उसे देखकर और भी क्लब लेंगे और वर्षो से चली आ रही पुरुष प्रधान प्रथा को तोड़कर लड़कियों को भी मंच पर मौका देंगे।