आग ने छीने आशियाने, पेट भरने को भी न बचे दाने
सुरेंद्र सिंह जम्मू मराठा बस्ती में रविवार-सोमवार मध्य रात्रि को भड़की आग ने करीब 130 श्रमिक परिवारों के आशियाने छीन लिए।
सुरेंद्र सिंह, जम्मू
मराठा बस्ती में रविवार-सोमवार मध्य रात्रि को भड़की आग ने करीब 130 श्रमिक परिवारों के आशियाने छीन लिए। अब श्रमिकों के पास बचा है तो सिर्फ झुग्गियों के निशान। आग ने परिवारों का सब कुछ छीन लिया। सिर पर न तो छत रही, न बदन पर पहनने को कपड़े। पेट की आग मिटाने के लिए श्रमिकों के पास अनाज का दाना भी नहीं बचा। सोमवार सुबह जब आग ठंडी हुई तो राख का ढेर बने आशियानों के पास पहुंचे लाचार श्रमिक बचा सामान तलाशते नजर आए। जैसे जैसे राख के ढेर हटाते गए, वैसे वैसे उम्मीदें भी दम तोड़ती गई। राख के ढेर के नीचे से कुछ नहीं मिला। अगर मिले तो जले हुए बर्तन के अवशेष जो अब उपयोग करने लायक नहीं। दिन भर मजदूरी कर श्रमिकों ने बचा कर रखे पैसे भी राख हो चुके थे।
राख हुए आशियाने के पास पत्नी और बच्चों संग बैठा सुरेश कहता है उसका कुछ नहीं बचा। दूध तक के लिए पैसे नहीं हैं। सुबह से बच्चा दूध के लिए बिलख रहा है, लेकिन कहां से लाऊं। बचा तो कुछ नहीं है।
अपने विकलांग बेटे की जली साइकिल को संभालते लखन का कहता है कि बेटा अपनी बहन के पास हिमाचल गया है। इसी साइकिल के सहारे चलता था। रोते हुए कहता है कि खुश हूं कि बेटा यहां नहीं था। अगर यहां होता तो शायद उसे बचाना मुश्किल होता। दुखी भी हूं कि अब दूसरी साइकिल कहां से लाऊंगा। गरीब हूं, दिहाड़ी लगाता हूं। नई साइकिल खरीदने की औकात नहीं है। आग लगने के कारणों के बारे में लोग अनभिज्ञ हैं। लोगों कहते हैं कि कुछ नहीं पता। आग रोहिंग्या बस्ती से शुरू हुई थी। उसके बाद चीखो-पुकार सुन जागे तो किसी तरह भाग कर जान बचाई। मोहम्मद शाकिर की झुग्गी से शुरू हुई थी आग
मराठा बस्ती में आग उसके साथ लगती रोहिग्या बस्ती से शुरू हुई थी। रोहिग्या बस्ती के मोहम्मद शाकिर की झुग्गी में सबसे पहले आग लगी थी। उसके बाद आग फैलती गई और आसपास की झुग्गियों को चपेट में ले लिया। मोहम्मद शाकिर कहता है कि उसकी झुग्गी सबसे पीछे नाले के पास है। साथ ही मस्जिद है। आग झुग्गी के पीछे लगी थी। आधी से ज्यादा झुग्गी जल गई तो पड़ोसी सिराज मुस्तफा ने उन्हें जगाया। समय लगभग रात सवा दो से ढाई के बीच का था। अगर पड़ोसी नहीं जगाता तो शाकिर का पूरा परिवार जिंदा जल जाता। शाकिर ने कहा कि उसकी झुग्गी के ऊपरी से न तो कोई बिजली तार निकलता है और न पीछे कोई चूल्हा जलता है, जिससे कि कोई चिगारी निकलती। आग कैसे लगी, कुछ समझ नहीं आ रहा है। रोहिग्या बस्ती के लोगों ने कहा कि वहां पचास से ज्यादा झुग्गियां जली हैं, जिनमें 45 परिवार रहते थे। एक साल बाद फिर लौटा भयावाह मंजर
मराठा बस्ती में आग का यह भयावाह मंजर पूरे एक साल और पंद्रह दिन के बाद देखने को मिला। वर्ष 18 मई, 2018 को भी ऐसी काली रात आई थी, जिसमें इसी बस्ती की 70 झुग्गियां राख हो गई थी। उस वक्त अग्निकांड में बिहार के सीवान जिले के सगारपट्टी के लौटन प्रसाद कस सात वर्षीय बेटा नीरज जिंदा जल गया था। लौटन के चार बच्चे झुग्गी में सो रहे थे। तीन तो बाहर निकल आए, लेकिन वर्षीय नीरज का कोई पता ही नहीं चला। इस बार किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन सरकारी आंकड़ों की मानें तो 100 से ज्यादा झुग्गियां राख हुर्ई, जिससे इतने ही परिवार प्रभावित हुए हैं। पिछली बार बच गई थी रोहिग्या बस्ती
वर्ष 2018 में जब मराठा बस्ती में आग लगी थी, तो उस समय हवा के रुख ने रोहिग्या बस्ती को बचा लिया था। आग मराठा बस्ती से शुरू हुई थी, जो उसके पीछे बसी रोहिग्या बस्ती नहीं पहुंची, क्योंकि हवा का रुख सीआरपीएफ सेंटर की ओर था। हवा का रुख इस बार भी उसी ओर था, लेकिन इस बार आग रोहिग्या बस्ती से शुरू हुई, जिसने हवा के साथ आगे बढ़ते हुए मराठा बस्ती को चपेट में ले लिया। सूखी घास और पॉलीथिन से बनी थी झुग्गियां
एक ही जगह पर बसी मराठा और रोहिग्या बस्ती में सभी झुग्गियां सूखी घास से बनी थीं। छत पर पॉलीथिन डाली गई थी। सूखी घास और पॉलीथिन के कारण आग तेजी से फैली। लोगों को अंदर से सामान निकालने का मौका तक नहीं दिया। लोगों के लिए सबसे पहले अपने और अपने परिवार को सुरक्षित करना प्राथमिकता था और उन्होंने ऐसा ही किया। इनमें से अधिकतर वे लोग हैं, जो पिछले वर्ष भी अग्निकांड में अपना सब कुछ गंवा चुके हैं। पिछली बार भी प्रभावित हुए राम प्रकाश ने बताया कि पिछले वर्ष भी सब कुछ खो दिया था। किसी तरह से अब कुछ संभला था, लेकिन आग ने एक बार फिर सबकुछ छिन गया। इसी तरह प्रदीप महतो कहते हैं कि लगता है कि कोई जानबूझ कर ऐसा कर रहा है। अब इतनी हिम्मत नहीं बची है कि फिर से बेघर होने की तकलीफ उठा सकें।
पीड़ितों को दी जा रही है सहायता: एसडीएम
अग्निकांड के बाद मौके पर पहुंचे एसडीएम साउथ श्रीकांत बाला साहेब ने कहा कि पीड़ित परिवारों को टेंट मुहैया करवाए जा रहे हैं। रेडक्रॉस की ओर से टेंट भेजे गए हैं। पेयजल की व्यवस्था कर दी गई है। पीएचई के टैंकर मौके पर खड़े कर दिए हैं। प्रशासन ने लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था भी दी है। वहीं प्रभावितों को नुकसान के मुआवजे देने पर एसडीएम ने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा। फिलहाल इन लोगों के रहने व खाने-पीने की व्यवस्था करना प्रशासन की प्राथमिकता है, जिसे पूरा किया जा रहा है। कारणों की हो रही है जांच : एसडीपीओ
एसडीपीओ ईस्ट आरएस राही ने कहा कि आग कैसी लगी इसकी जांच की जा रही है। झुग्गियों के ऊपर से बिजली के तार भी गुजरते हैं, जिससे शार्ट सर्किट की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसके अलावा किसी चूल्हे से उड़कर आई चिगारी से भी आग भड़की हो सकती है। इस मामले में किसी शरारती तत्व का हाथ होने की आशंका पर उन्होंने कहा कि ऐसा अभी तक कुछ सामने नहीं आया है। जांच की जा रही है, जांच पूरी होने के बाद कुछ कहा जा सकता है।
खालसा एड ने लगाया लंगर
मराठा बस्ती में आग से प्रभावित लोगों के लिए खालसा एड ने लंगर की व्यवस्था की है। संस्था सदस्य सुबह ही घटनास्थल पर राशन और अन्य जरूरी सामान लेकर पहुंच गए थे। उन्होंने वहां लोगों के लिए पेयजल की व्यवस्था भी की। संस्था ने कहा कि उसका काम लोगों की सेवा करना है। जो सीख उन्हें गुरुओं से मिली है हम उसी की पालना कर रहे हैं। वहीं खालसा एड के इस सहयोग की पुलिस, प्रशासन व स्थानीय लोगों ने सराहना की है।
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