एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त न करने पर एफआइआर दर्ज करने के निर्देश
जागरण संवाददाता जम्मू चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट जम्मू ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल बख्शी नगर की इंचार्ज प्रिसिपल डॉ. सुनंदा रैना और फार्माकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विशाल टंडन के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।
जागरण संवाददाता, जम्मू : चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट जम्मू ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल बख्शी नगर की इंचार्ज प्रिसिपल डॉ. सुनंदा रैना और फार्माकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विशाल टंडन के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने तालाब तिल्लो की रहने वाली डॉ. भावना सैनी की शिकायत पर सुनवाई के बाद यह निर्देश जारी किए। कोर्ट ने एसएसपी जम्मू को आदेश का पालन करवाने और रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है। डॉ. भावना सैनी ने शिकायत में कहा था कि जीएमसी की अधिसूचना के तहत उन्होंने एकेडमिक अरेंजमेंट के तहत एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन किया था। विभाग में दो पद रिक्त थे और वह अकेली उम्मीदवार थी। आरोपितों ने जानबूझ कर इंटरव्यू का नतीजा घोषित नहीं किया ताकि किसी चहेते उम्मीदवार को नियुक्त किया जा सके। डॉ. भावना ने कहा कि उनके पति ने सात दिसंबर 2017 को सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के तहत जानकारी मांगी, लेकिन तय समय में कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद प्रिसिपल के सामने 10 जनवरी 2018 को अपील की, जिसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि उम्मीदवार के पास वांछित योग्यता नहीं थी। पैनल के विशेषज्ञ ने 10 में से आठ नंबर देकर किया था चयनित
डॉ. भावना सैनी ने 27 फरवरी 2018 को राज्य सूचना आयोग के पास दूसरी अपील दायर की। इसके जवाब में सूचना अधिकारी ने खुलासा किया कि इंटरव्यू लेने वाले पैनल के विशेषज्ञ डॉ. वीके भान ने डॉ. भावना को 10 में से आठ नंबर देकर चयनित किया था। पैनल के दूसरे सदस्य डॉ. दिनेश कुमार ने लिखित में जवाब दिया कि डॉ. भावना के चयन को लेकर पैनल सदस्यों में कोई विवाद नहीं था। सभी ने सर्वसम्मति से डॉ. भावना का चयन करते हुए रजिस्ट्रार डॉ. विशाल टंडन के माध्यम से जीएमसी प्रिसिपल को इसकी सूचना दी थी, लेकिन राज्य सूचना आयोग के पास जो अवार्ड रोल पेश किया गया, उसमें नंबरों से छेड़छाड़ कर सात नंबर दर्शाए गए। डॉ. भावना ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्होंने एसएसपी क्राइम ब्रांच के पास भी आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने और मामले की जांच करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।