Kashmir में आतंकवाद पर अंतिम प्रहार, आतंरिक सुरक्षा के लिए 14 साल बाद BSF की वापसी
BSF In Kashmir बीएसएफ ने कुख्यात आतंकी अकबर भाई सैफुल्ला खालिद इंजीनियर अब्बास राही हैदर हिजाजी जैश के गाजी बाबा और उसके उत्तराधिकारी सहराई बाबा समेत तीन हजार आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई। श्रीनगर में करीब एक दर्जन से ज्यादा आतंकी हमलों को भी नाकाम बनाया।
श्रीनगर, नवीन नवाज : कश्मीर में आतंकियों का काल कहे जाने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जांबाज लगभग 14 साल बाद फिर अन्य सुरक्षाबलों के साथ मिलकर घाटी में आतंकवाद को कुचलते नजर आएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद कश्मीर में मरणासन्न आतंकवाद पर अंतिम प्रहार को धार देने की चल रही तैयारियों के बीच बीएसएफ को फिर से कश्मीर में आतंरिक सुरक्षा और आतंकरोधी अभियानों में शामिल करने का फैसला लिया गया है।
पहले चरण में बीएसएफ की लगभग दो दर्जन कंपनियों को कश्मीर में तैनात किया जा रहा है। प्रत्येक कंपनी में सामान्य तौर पर 90 से 100 अधिकारी व जवान होते हैं। बीते एक माह में घाटी में अर्धसैनिकबलों की लगभग 55 कंपनियां तैनात की गई हैं। कश्मीर में हाल मेें आतंकी हिंसा और अफगानिस्तान में प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ की आशंका को रोकने के लिए यह बड़ा कदम है।
इन जिलों में होगी तैनाती : बीएसएफ को श्रीनगर, पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग, गांदरबल, कुलगाम और बारामुला में तैनात किया जा रहा है। इनमें से कुछ कंपनियां सीआरपीएफ के जवानों का स्थान लेंगी। हटाए गए सीआरपीएफ कर्मी कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए लगाए जाएंगे।
बीएसएफ को लाने की मुख्य वजह
- सीमा सुरक्षा बल के पास कश्मीर में पहले भी आतंकवाद से लोहा लेना का अनुभव
- बीएसएफ का खुफिया तंत्र काफी समर्थ है, जो सीमावर्ती इलाकों में भी सक्रिय है।
- कश्मीर की भौगोलिक, सामाजिक और सुरक्षा परिस्थितियों से पूरी तरह अवगत
- बीएसएफ के पास सीआरपीएफ से ज्यादा संसाधन
- बीएसएफ के पास शहरी इलाकों, जंगल, मैदान, जल और पहाड़ पर भी लड़ने का अनुभव
ये मिलेगी जिम्मेदारी : बीएसएफ के जवान महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे। इसमें मुख्य रूप से श्रीनगर में टेलीफोन एक्सचेंज, बैंक्वेट हाल, आल इंडिया रेडिया परिसर कश्मीर, पुराना सचिवालय, मंडलायुक्त कश्मीर कार्यालय, हरी पर्वत आदि शामिल है। इसके अलावा श्रीनगर-अनंतनाग और श्रीनगर-बारामुला हाईवे पर कुछ विशेष जगहों पर राजमार्ग को सुरक्षित बनाने का जिम्मा भी बीएसएफ के पास रहेगा। इन्हें आवश्यकतानुसार दक्षिण कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में भी शामिल किया जाएगा।
1993 में कश्मीर में किया गया था सक्रिय कश्मीर में वर्ष 1993 में बीएसएफ को पूरी तरह सक्रिय किया गया था। इसके बाद बीएसएफ ने आतंकवाद को कुचलने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2005 में श्रीनगर में बीएसएफ को आतंकरोधी अभियानों से हटाना शुरू कर दिया गया। वर्ष 2007 तक वादी से बीएसएफ को आपरेशनल ड्यूटी से मुक्त करते हुए सीमा पर अपनी मौलिक जिम्मेदारी निभाने को तैनात कर दिया गया था। हालांकि वर्ष 2016 में वादी में हिंसक प्रदर्शनों और 2019 में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने पर बीएसएफ की कुछ वाहिनियों को वादी में आंतरिक सुरक्षा की ड्यूटी के लिए बुलाया गया था, लेकिन यह वाहिनियां चंद दिनों बाद लौट गई थीं।
इसलिए बीएसएफ को कहते हैं आतंकियों का काल : जम्मू कश्मीर में बीएसएफ ने करीब 14 साल में आतंकवाद का सफाया करने में अहम भूमिका निभाने के साथ पुलिस को भी पूरा सहयोग दिया। इस दौरान बल ने कुख्यात आतंकी अकबर भाई, सैफुल्ला खालिद इंजीनियर, अब्बास राही, हैदर हिजाजी, जैश के गाजी बाबा और उसके उत्तराधिकारी सहराई बाबा समेत तीन हजार आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा श्रीनगर में करीब एक दर्जन से ज्यादा आतंकी हमलों को भी नाकाम बनाया। बीएसएफ ने वादी में आतंकरोधी अभियानों में करीब 9400 आतंकियों को गिरफ्तार करने के अलावा करीब 11 हजार छोटे बड़े हथियार भी बरामद किए हैं।