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Film Policy in Jammu Kashmir : क्षेत्रीय निर्माताओं के प्रोत्साहन केे बिना फिल्म नीति अधूरी

Film Policy in Jammu Kashmir पैनल निकाय में फिल्म निर्माण के विभिन्न विभागों के प्रख्यात पेशेवर शामिल थे। चर्चा में सभी ने कहा कि सामूहिक रूप से सभी सरकारी पहल के समर्थन में हैं लेकिन साथ ही वह जेके फिल्म नीति में संशोधन की मांग करते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 11:41 AM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 11:44 AM (IST)
Film Policy in Jammu Kashmir : क्षेत्रीय निर्माताओं के प्रोत्साहन केे बिना फिल्म नीति अधूरी
पिछले दस वर्षों से इससे जुड़े लोगों के लिए आय का कोई स्रोत नहीं है।

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जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू-कश्मीर के फिल्म निर्माता, निर्देशकों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर फिल्म नीति में क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं के प्रोत्साहन को लेकर जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक कोई भी नीति बनाना बे मायने है। फिल्म नीति बनाना अच्छा कदम है लेकिन इसमें क्षेत्रीय कलाकारों, निर्माता, निर्देशकों के लिए कुछ भी ऐसा नहीं है, जो दूसरे क्षेत्रों में क्षेत्रीय फिल्म प्रोत्साहन के लिए रखा जाता है। जब तक क्षेत्रीय फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए नीति में बदलाव नहीं किए जाते जम्मू-कश्मीर में फिल्म उद्योग को बढ़ावा नहीं मिल सकता।

संवाददाता सम्मेलन में स्थानीय फिल्म निर्माता, निर्देशकों, कलाकारों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 5 अगस्त 2021 को जेके फिल्म नीति शुरू की। जिस पर जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में कला, संस्कृति और सिनेमा के क्षेत्र से संबंधित विभिन्न कामकाजी पेशेवरों और समुदायों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। इसका जिक्र मंगलवार को आयोजित पैनल चर्चा में वक्ताओं ने किया। मोहित मट्टू, तनवीर डार, अतुल विनोद दुग्गल, भरत अरोड़ा और शिव कुमार पैनल चर्चा के वक्ता थे।

पैनल निकाय में फिल्म निर्माण के विभिन्न विभागों के प्रख्यात पेशेवर शामिल थे। चर्चा में सभी ने कहा कि सामूहिक रूप से सभी सरकारी पहल के समर्थन में हैं, लेकिन साथ ही वह जेके फिल्म नीति में संशोधन की मांग करते हैं। नीति में कला के साथ जुडे़ क्षेत्रीय लोगों को अधिकतम लाभ का आश्वासन देना चाहिए। केंद्र शासित प्रदेश में संस्कृति और सिनेमा, बॉलीवुड में काम करने वाले फिल्म निर्माता वे नहीं हैं, जिन्हें वास्तव में सब्सिडी और अनुदान की आवश्यकता होती है। लेकिन निश्चित रूप से स्थानीय निकायों और स्थानीय पेशेवरों को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

पिछले दस वर्षों से इससे जुड़े लोगों के लिए आय का कोई स्रोत नहीं है। कला, संस्कृति और सिनेमा के क्षेत्र में, अब वे अपने अस्तित्व के लिए अजीब काम करने के लिए मजबूर हैं। इस फिल्म नीति को उन लोगों के अस्तित्व को आश्वस्त करना चाहिए जो कला, संस्कृति और सिनेमा के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करना चाहते हैं।

सरकार को उन लोगों को भी गारंटी और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए जो फिल्म शूट के लिए उपकरण में निवेश करना चाहते हैं। उन्होंने अपने क्षेत्रीय सिनेमा के लिए प्रदर्शनी नीति को सुविधाजनक बनाने का भी आग्रह किया। सरकारी निकाय विशेष रूप से जेकेएफडीसी से अनुरोध किया कि क्षेत्रीय पेशेवरों को नीति संशोधनों में शामिल करें। जिनके लिए सिनेमा एक गंभीर व्यवसाय है। मोहित मट्टू, तनवीर डार, अतुल विनोद दुग्गल, भरत अरोड़ा, शिव कुमार ने कहा कि उन्हें बदलाव का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।


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