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फारूक अब्दुल्ला ने कहा- 370 हटने से न तो विकास हुआ, न ही आतंक का खात्मा

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में न तो विकास हुआ और न ही आतंकवाद खत्म हुआ है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 10:05 AM (IST)
फारूक अब्दुल्ला ने कहा- 370 हटने से न तो विकास हुआ, न ही आतंक का खात्मा
फारूक अब्दुल्ला ने कहा- 370 हटने से न तो विकास हुआ, न ही आतंक का खात्मा

जम्मू, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में न तो विकास हुआ और न ही आतंकवाद खत्म हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि साल 1999 में भारतीय एयर लाइंस के जहाज को अगवा किए जाने की घटना से भी भाजपा ने कोई सबक नहीं सीखा और पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर को रिहा कर दिया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण था।

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एक निजी न्यूज नेटवर्क की तरफ से आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए फारूक ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से किसी से सलाह-मशविरा किए बिना ही अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला कर लिया। सरकार कहती है कि कश्मीर अब भारत का हिस्सा बन गया है, हम तो पहले से ही भारत का हिस्सा हैं और तिरंगा फहराते रहे हैं। हम कभी अलगाववादी नहीं रहे हैं और अलगाववाद को बढ़ावा नहीं दिया।

चार अगस्त 2019 को गुपकार घोषणापत्र में राजनीतिक पार्टियों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। फारूक ने कहा कि मैंने भारत का कई अहम मंचों पर प्रतिनिधित्व किया है फिर भी बख्शा नहीं गया। जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि साल 1990 में कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाए। वह मानते हैं कि कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है।

 महबूबा मुफ्ती की रिहाई के लिए राहुल ने दी लोकतंत्र की दुहाई

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को रिहा किए जाने की मांग की है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, 'लोकतंत्र को ज्यादा नुकसान उस समय पहुंचता है जब भारत सरकार गैरकानूनी तरीके से सियासी दलों के नेताओं को हिरासत में लेती है। ये बेहद माकूल वक्‍त है जब महबूबा मुफ्ती को रिहा कर दिया जाए।' राहुल गांधी ने यह मांग ऐसे समय उठाई है जब महबूबा मुफ्ती की हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। 

इससे पहले वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम भी ऐसी ही मांग कर चुके हैं। बीते दिनों चिदंबरम ने कहा था कि पीएसए के तहत महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का कानून का दुरुपयोग है। यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। चिदंबरम ने कहा था‍ कि 61 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री चौबीसो घंटे सुरक्षा गार्डों की नजर में रहती हैं। फ‍िर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा कैसे हैं। बता दें कि पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं। 

सनद रहे पिछले साल महबूबा मुफ्ती ने जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्छेद 35ए को लेकर केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी और कहा था कि राज्य में अनुच्छेद 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा। उन्‍होंने यह भी कहा था कि यदि कोई हाथ अनुच्छेद 35ए को छूने की कोशिश करेगा तो न केवल वह हाथ, बल्कि सारा शरीर जलकर राख हो जाएगा। पिछले चुनावों के दौरान महबूबा मुफ्ती की यह धमकी एक मुद्दा भी बनी थी। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के इस बयान की कड़ी निंदा की थी और भारत की एकता और अखंडता के प्रति संकल्‍प जताया था।


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