Move to Jagran APP

बोर्ड की बैठक में किसानों ने कहा, दिन प्रतिदन सिकुड़ रही कृषि योग्य भूमि

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में कि

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 03:40 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 03:40 AM (IST)
बोर्ड की बैठक में किसानों ने कहा, दिन प्रतिदन सिकुड़ रही कृषि योग्य भूमि
बोर्ड की बैठक में किसानों ने कहा, दिन प्रतिदन सिकुड़ रही कृषि योग्य भूमि

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में किसानों ने एक से बढ़कर एक मुद्दे उठाए और खेतीबाड़ी में पेश आ रही दिक्कतों को गिनाया। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (स्कॉस्ट) के चट्ठा कैंपस में हुई इस बैठक में किसानों, बोर्ड के सदस्यों व स्कॉस्ट के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार ने की और किसानों की मांगों को सुना। उन्नत किसान व बोर्ड के सदस्य सतपाल चाढ़क ने सिकुड़ रही कृषि योग्य भूमि का मुद्दा उठाया।

loksabha election banner

बासमती क्षेत्र आरएसपुरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि योग्य भूमि पर लगातार मकान, दुकानें बन रही हैं, जिससे खेती की जमीन घटती जा रही है। अगर यही हाल रहा तो खेती के लिए जमीन ही नहीं बचेगी। वैसे भी कृषि भूमि में पक्के ढांचे बनाने की अनुमति कैसे दी जा रही है। उन्होंने राज्य प्रशासन से मांग की कि भूमि हस्तांतरण को लेकर फर्द काटने के क्रम पर रोक लगाई जाए।

वहीं, किसान नेता व किसान बोर्ड के सदस्य तेजेंद्र ¨सह वजीर ने राज्य में लागू प्रधानमंत्री सिचांई योजना को विफल करार दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य में चल ही नहीं पाई है और इससे मोटा नुकसान सहना पड़ रहा है। अगर सही तरीके से यह योजना लागू होती तो पानी के स्त्रोत का सही इस्तेमाल होता और दूर-दूर तक के खेतों में सिचांई के लिए पानी पहुंच पाता। नहरों की सफाई का भी मुद्दा उन्होंने उठाया। वहीं, केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं को लेकर उन्होंने जम्मू के साथ भेदभाव करने का मुद्दा उठाया। कहा कि केंद्र की इस योजनाओं का अधिकतम लाभ कश्मीर संभाग को दिया जा रहा है, जबकि जम्मू के साथ अनदेखी हो रही है। यही कारण है कि जम्मू के किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता। राज्य सरकार इस अनदेखी को खत्म करने की दिशा में काम करे।

आरएसपुरा बासमती ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रधान देवराज चौधरी ने कहा कि आरएसपुरा के प्रसिद्ध बासमती के दाम किसानों को दिलाए जाएं। बासमती लगा रहे किसानों को पिछले कुछ वर्षो से नुकसान हो रहा है। कम से कम छह हजार रुपये प्रति क्विंटल का दाम किसानों को मिलना चाहिए। राज्य प्रशासन को चाहिए कि आरएसपुरा की बासमती के निर्यात के लिए राज्य प्रशासन ठोस कदम उठाए। बैठक में किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे कोऑपरेटिव सोसायटी यूनियन के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने राज्य में किसानों के विकास के लिए सहकारिता मिशन को मजबूत बनाने पर बल दिया। कहा कि सहकारिता मिशन जितना बेहतर होगा, किसानों को उतना लाभ होगा। इस दिशा में राज्य सरकार को पहल करनी होगी। वहीं, उन्होंने मवेशी पालक किसानों को बेहतरीन नस्ल के जानवर देने पर जोर दिया। कहा कि नस्ल अच्छी होगी तो अपने आप दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा। उन्होंने बैठक में भाग लेने वाले किसानों का धन्यवाद किया, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र के मुद्दों को यहां उठाया।

राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार ने किसान वर्ग की परेशानियों को गौर से सुना और इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। वहीं, उन्होंने किसानों के खेती के रिकॉर्ड व संबंधित विभाग के कामकाज को डिजिटल बनाए जाने पर जोर दिया। कहा कि आज आधुनिक दौर का युग है, कंप्यूटर का जमाना है। ऐसे में तमाम रिकॉर्ड डिजीटल करने से किसान वर्ग को ही लाभ होगा। संबंधित विभाग डिजिटलाइजेशन के काम को पूरा कराने की दिशा में काम करें। बैठक में जम्मू-कश्मीर किसान सलाहकार बोर्ड के सचिव अब्दुल हमीद वानी ने कार्यक्रम की अगुवाई की। इस दौरान किसान राजेंद्र जम्वाल, टूंडा ¨सह के अलावा स्कॉस्ट के डायरेक्टर रिसर्च केएस रिस्म भी उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.