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जीएससी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के लिए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तेजेंद्र सिंह सस्पेंड

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजीव राय भटनागर को मामले की जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी में जम्मू-कश्मीर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड के एमडी डॉक्टर यशपाल शर्मा जम्मू इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर मैकेनिकल गगन ज्योति जीएमसी कंट्रोल रूम के मेडिकल ऑफिसर डाॅक्टर जितेंद्र मेहता को शामिल किया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 02:26 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 02:26 PM (IST)
जीएससी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के लिए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तेजेंद्र सिंह सस्पेंड
जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज कोविड-19 अस्पताल जम्मू।

जम्मू, जागरण संवाददाता: संभाग के सबसे बड़े जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज कोविड-19 अस्पताल (जीएमसी) में ऑक्सीजन की कमी के लिए प्लांट इंजार्च एवं एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मैकेनिकल तेजेंद्र सिंह सूदन को निलंबित कर दिया है। प्रशासन के अगले आदेश तक उन्हें जम्मू स्वास्थ्य विभाग निदेशालय में अटैच कर दिया है।

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चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त सचिव के आदेश के अनुसार डॉक्टर हरजीत राय जिन्हें मेडिकल एजूकेशन डिपार्टमेंट में स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर नियुक्त किया गया है, को अब ऑक्सीजन प्लांट की जीएमसी सप्लाई का जिम्मा सौंपा है। इससे पहले राय, जम्मू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दीपक कुमार के बदले मेडिकल सुपरिंटेंडेंट का काम संभाल रहे थे। जीएमसी अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों को बीते दिनों ऑक्सीजन सप्लाई में हुई कौताही से मरीजों की जान पर बन आई थी। इतना ही नहीं अस्पताल के डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की कोविड के मरीजों के प्रति कौताही को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजीव राय भटनागर को मामले की जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी में जम्मू-कश्मीर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड के एमडी डॉक्टर यशपाल शर्मा, जम्मू इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के चीफ इंजीनियर मैकेनिकल गगन ज्योति, जीएमसी कंट्रोल रूम के मेडिकल ऑफिसर डाॅक्टर जितेंद्र मेहता को शामिल किया गया। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 के बढ़ते मामालों के बीच ऑक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई की खपत को निरंतर बनाए रखना बेहद जरूरी था। इसके लिए मैकेनिकल इंजीनियर और उसकी टीम को सभी वार्ड में निरंतर जाकर यह सुनिश्चित करना भी था कि मरीजों को ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं।

यह सुनिश्चित करना भी था कि कहीं किसी बैड पर ऑक्सीजन प्वाइंट से लीक तो नही हो रही। अगर ऐसा हो रहा है तो उसकी रिपेयर के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते। इसके लिए कुशल कारीगरों के लिए अस्पताल एथारिटी की भी जिम्मेवारी बनती थी कि वे मैकेनिकल इंजीनियर को ऑक्सीजन और सेंट्रल हीटिंग सिस्टम को दुरूस्त रखने के लिए कारीगर उपलब्ध करवाते। मैकेनिक इंजीनियर मामले की गंभीरता को देखते कंट्रोल रूम स्थापित करते। चौबीस घंटे अस्पताल में ऑक्सीजन और सेंट्रल हीटिंग प्लांट पर नजर रखते। जांच में पाया गया कि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।


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